राज्य कृषि समाचार (State News)

मध्य प्रदेश में सिंचाई विस्तार: सेंधवा और निवाली माइक्रो उद्वहन परियोजनाओं का भूमि पूजन

11 जनवरी 2025, भोपाल: मध्य प्रदेश में सिंचाई विस्तार: सेंधवा और निवाली माइक्रो उद्वहन परियोजनाओं का भूमि पूजन – बड़वानी जिले के सेंधवा कृषि उपज मंडी परिसर में 11 जनवरी को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव सेंधवा और निवाली माइक्रो उद्वहन सिंचाई परियोजनाओं का भूमि पूजन करेंगे। इन परियोजनाओं की कुल लागत 2,491 करोड़ रुपये है। इसी कार्यक्रम में मुख्यमंत्री 58.46 करोड़ रुपये के 19 विकास कार्यों का लोकार्पण और 2,580.82 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले 13 अन्य परियोजनाओं का भूमि पूजन भी करेंगे।

सिंचाई के क्षेत्र में हो रही प्रगति पर चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रदेश में सिंचाई रकबे में तेजी से वृद्धि हुई है। वर्ष 2003 में जहां केवल 3 लाख हेक्टेयर भूमि सिंचाई के अंतर्गत थी, वह अब बढ़कर 50 लाख हेक्टेयर तक पहुंच चुकी है। सरकार का लक्ष्य 2028-29 तक इसे 1 करोड़ हेक्टेयर तक विस्तारित करना है।

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सेंधवा माइक्रो उद्वहन सिंचाई परियोजना पर 1,402.74 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। इस परियोजना से 98 गांवों के लगभग 53 हजार किसान लाभान्वित होंगे। यह परियोजना 44,148 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा प्रदान करेगी। नर्मदा नदी से जल को 501 मीटर की ऊंचाई तक पाइपलाइनों के माध्यम से उठाया जाएगा, जिसमें 56.39 किलोमीटर लंबी मुख्य पाइपलाइन का उपयोग किया जाएगा। सिंचाई के लिए दाबयुक्त जल का उपयोग स्प्रिंकलर और ड्रिप तकनीक से किया जाएगा, जिससे कम पानी में अधिक क्षेत्र की सिंचाई संभव हो सकेगी। सेंधवा परियोजना से सेंधवा तहसील के 67 गांव, राजपुर के 24 गांव, निवाली के 6 गांव और बड़वानी तहसील के 1 गांव लाभान्वित होंगे।

दूसरी ओर, निवाली माइक्रो उद्वहन सिंचाई परियोजना 1,088.24 करोड़ रुपये की लागत से तैयार होगी। इस परियोजना से 87 गांवों में सिंचाई सुविधाएं विकसित की जाएंगी, जो लगभग 33 हजार हेक्टेयर भूमि को कवर करेंगी। परियोजना के तहत नर्मदा नदी से जल को 465 मीटर की ऊंचाई तक पाइपलाइनों के माध्यम से उठाया जाएगा, जिसमें 40.18 किलोमीटर लंबी पाइपलाइन का उपयोग होगा। पाटी तहसील के 29 गांव, बड़वानी के 26 गांव और निवाली तहसील के 32 गांवों के किसान इससे लाभान्वित होंगे। यहां भी दाबयुक्त जल का उपयोग स्प्रिंकलर और ड्रिप तकनीक से किया जाएगा, जिससे भूमि समतल करने की आवश्यकता नहीं होगी और पानी का कुशल प्रबंधन सुनिश्चित होगा।

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दोनों परियोजनाओं का उद्देश्य जल प्रबंधन को बेहतर बनाना और कृषि उत्पादन को बढ़ावा देना है। माइक्रो सिंचाई तकनीकों, जैसे स्प्रिंकलर और ड्रिप सिस्टम, से न केवल पानी की बचत होगी, बल्कि फसल की गुणवत्ता और उत्पादन क्षमता में भी सुधार होगा। इन परियोजनाओं से किसानों को बेहतर सिंचाई सुविधाएं मिलने और राज्य में कृषि क्षेत्र में नई संभावनाओं के दरवाजे खुलने की उम्मीद है।

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