State News (राज्य कृषि समाचार)

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री ने 26 सौ करोड़ की लागत की दूधी सिंचाई परियोजना का किया भूमि-पूजन

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26 जुलाई 2023, भोपाल: मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री ने 26 सौ करोड़ की लागत की दूधी सिंचाई परियोजना का किया भूमि-पूजन – मुख्यमंत्री श्री चौहान ने बनखेड़ी नर्मदापुरम में 2631 करोड़ 74 लाख लागत की दूधी सिंचाई परियोजना का भूमि-पूजन किया। इस परियोजना से एक लाख 36 हजार एकड़ से अधिक क्षेत्र में सिंचाई होगी। नदी पर 2631 करोड़ से बाँध बनेगा, जिससे इस क्षेत्र के खेतों को पानी मिलेगा और किसानों के घर में खुशहाली आएगी। दूधी नदी पर बाँध के साथ  डोकरीखेड़ा डेम भी बनाया जाएगा।

श्री चौहान ने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा विकास के कार्य निरंतर किए जा रहे हैं। सड़कों का जाल बिछाया गया है। पूर्व में किसानों को साल में एक फसल लेना मुश्किल होता था। अब दो ही नहीं तीन फसल ली जा रही हैं। मूंग की तीसरी फसल की खरीदी भी सरकार द्वारा की जा रही है। किसानों की समृद्धि के लिए हर कदम उठाये जा रहे हैं।

इस पहल के तहत दूधी नदी पर 162 मीटर लम्बाई एवं 38 मीटर ऊँचाई के बाँध का निर्माण कराया जायेगा। इस निर्मित जलाशय से 55 हजार 410 हेक्टेयर अर्थात एक लाख 36 हजार 921 एकड़ क्षेत्र में सिंचाई सुविधा उपलब्ध होगी। परियोजना के निर्माण के लिये 2631 करोड़ 74 लाख रूपये की प्रशासकीय स्वीकृति दी गई है। परियोजना के निर्माण से नर्मदापुरम जिले के 92 ग्रामों की 30 हजार 410 हेक्टेयर भूमि एवं छिंदवाड़ा जिले के 113 ग्रामों की 25 हजार हेक्टेयर भूमि क्षेत्रफल में भूमिगत पाइप प्रणाली से 2.50 हेक्टेयर तक पानी उपलब्ध होगा, जिससे किसानों द्वारा स्प्रिंकलर/ड्रिप लगा कर सिंचाई की जा सकेगी। भूमिगत पाइप लाइन प्रणाली बनाये जाने से नहर के लिये स्थाई भू-अर्जन नहीं होगा। स्थाई भू-अर्जन बाँध, पम्प हाउस के लिये किया जायेगा।  इस पद्धति से सिंचाई होने पर किसानों को खेत समतल करने की आवश्यकता नहीं होगी। कम पानी में अधिक उपयोगी सिंचाई प्रणाली का लाभ मिल सकेगा।

भूमिगत सिंचाई प्रणाली की प्रमुख विशेषताएँ

परम्परागत रूप से खुली नहर प्रणाली में प्रत्येक 40 हेक्टेयर में जल उपलब्ध कराया जाता है। यहाँ से किसान को अपने-अपने खेतों तक जल ले जाने की व्यवस्था की जाती है। इससे भूमि का समतलीकरण और खेत के अंदर बहाव प्रणाली का निर्माण करना होता है। परियोजना की विशेषता यह है कि इसमें भूमिगत पाइप नहर वितरण प्रणाली से प्रत्येक 2.5 हेक्टेयर तक के भूमि क्षेत्र पर एक आउटलेट दिया जायेगा। इस आउटलेट पर पर्याप्त दबाव से जल मिलेगा। कृषक फव्वारा पद्धति (स्प्रिंकलर) अथवा टपक पद्धति (ड्रिप) का उपयोग सिंचाई के लिये कर सकेंगे।

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