State News (राज्य कृषि समाचार)

जुगाड़ तकनीक में भारतीयों का ज़वाब नहीं

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इंदौर ( 11 जून ) :  खेती में आजकल बीज की बुवाई से लेकर फसल की ढुलाई तक में आधुनिक साधनों का इस्तेमाल किया जाने लगा है। कुछ साधन महंगे होने से नहीं खरीद सकते, लेकिन किसी मूल कृति को देखने अथवा अपनी कल्पनाशीलता से जुगाड़ तकनीक के माध्यम से उसी तरह का सरल और सस्ता साधन बनाने में भारतीय कृषकों का कोई ज़वाब नहीं है। कृषि क्षेत्र का एक ऐसा ही वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है ,जिसमें जुगाड़ तकनीक द्वारा ट्रैक्टर की मदद से गेहूं से भरे हुए बोरों को सरलता से ट्रॉली में डालते देखा जा सकता है।

प्रायः देखा गया है कि किसान जब खलिहान से फसल को बाज़ार में बेचने जाते हैं, तो उनकी कोशिश रहती है कि फसल की अधिकतम बोरियां ट्रॉली में रखी जाए , लेकिन इसके लिए अधिक मजदूरों की ज़रूरत पड़ती है और ज्यादा भुगतान करना पड़ता है। इसके विकल्प में  कृषक ने कम लागत वाली जुगाड़ तकनीक का इस्तेमाल किया है ,इससे श्रम लागत में भी कमी आई है।  इस जुगाड़ तकनीक में ट्रैक्टर के पीछे एक लम्बी रॉड, जिसे सुविधानुसार ऊंचा -नीचा और दाएं -बाएं  किया जा सकता है , इसमें लोहे की आड़ी पट्टी में बंधी रस्सियों के ज़रिये इन भरे हुए बोरों को ट्रॉली में आसानी से डाला जा सकता है। इसमें रॉड को थ्री पॉइंट लिंकेट से जोड़ा गया है , जो ट्रैक्टर लिफ्ट से चलती है। इस नई सुविधा से उपज के बोरों को ट्रॉली में स्थानांतरित करना आसान हो गया है।  

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