State News (राज्य कृषि समाचार)

मध्यप्रदेश में गाँव की चौपाल से चलेगी अब सरकार : मुख्यमंत्री श्री चौहान

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पेसा एक्ट-मुख्यमंत्री की पाठशाला

7 दिसम्बर 2022, भोपाल । मध्यप्रदेश में गाँव की चौपाल से चलेगी अब सरकार : मुख्यमंत्री श्री चौहान – पेसा एक्ट एक सामाजिक क्रांति है, इससे जनजातीय विकासखण्डों में ग्राम सभाओं को अधिकार सम्पन्न बनाया जा रहा है। मध्य प्रदेश में गत 15 नवंबर से लागू इस एक्ट के प्रभावी क्रियान्वयन के लिये अब सशक्त रूप से ग्राम सभाओं की शुरूआत हो चुकी है। ग्रामीणजन अपने अधिकारों का उपयोग कर ग्राम को आत्मनिर्भर बनाये और ग्रामीणों को आर्थिक संबल प्रदान करें।

अधिकार सम्पन्न ग्राम सभा

मध्यप्रदेश में जनजातीय समुदाय के लिये ऐतिहासिक निर्णय लिया जाकर पेसा एक्ट लागू किया गया है। इसमें प्रत्येक जनजातीय ग्राम की अलग से ग्राम सभा होगी और उसे अधिकार सम्पन्न बनाया जाएगा। इसके लिये जरूरी है कि ग्राम के लोग पेसा एक्ट की भावना को समझे और उसे अपने ग्राम हित में लागू करें।

जल, जंगल और जमीन का अधिकार

पेसा एक्ट में आपको जल, जंगल और जमीन का अधिकार मिलता है । अब हर साल ग्राम की ग्राम सभा में पटवारी और फारेस्ट गार्ड नक्शा, खसरे की नकल, बी-1 की कापी लेकर आयेंगे और ग्रामवासियों को पढ़ कर सुनायेंगे। गड़बड़ी पाई गई तो ग्राम सभा सुधार करेगी। गड़बड़ी करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी।

भू-अर्जन में ग्राम सभा की अनुमति

अब किस सरकारी कार्य, योजना के लिये जमीन देना है, यह ग्राम सभा तय करेगी। ग्राम की भूमि का बिना ग्राम सभा की अनुमति के भू-अर्जन नहीं किया जा सकेगा। किसी जनजातीय भाई की जमीन पर कोई व्यक्ति बहला-फुसला कर, शादी के माध्यम से अथवा धर्मांतरण द्वारा कब्जा नहीं कर पायेगा। गाँव की गिट्टी, पत्थर, रेती आदि की खदानों की नीलामी होनी है या नहीं यह ग्राम सभा तय करेगी। खदान पहले जनजातीय सोसायटी को, फिर ग्राम की बहन को और फिर पुरूष को प्राथमिकता के आधार पर दी जायेगी।

तालाबों का अधिकार ग्राम सभा का

गाँव के तालाबों का प्रबंधन, उनमें मछली पालन, सिंघाड़ा उत्पादन आदि का अधिकार ग्राम सभा का होगा और प्राप्त आमदनी पर ग्रामवासियों का हक होगा। सौ एकड़ तक के सिंचाई तालाब और बाँधों का प्रबंधन ग्राम सभा के पास होगा। हर्र, बहेड़ा, ऑवला, गोंद, करंज आदि वनोपज संग्रह और बेचने का अधिकार ग्राम सभा को होगा। वह इनके मूल्य भी निर्धारित कर सकेगी। वनोपज की आमदनी भी ग्राम सभा के पास आयेगी। जनजातीय भाइयों को अब तेन्दूपत्ता तोडऩे और बेचने का अधिकार होगा। साथ ही आमदनी भी उनके खाते में जायेगी। आगामी 15 दिसम्बर तक ग्राम सभा तय कर ले कि वह इस वर्ष तेन्दूपत्ता संग्रहण करेगी अथवा नहीं।

मनरेगा की मॉनिटरिंग

ग्राम पंचायत में एक वर्ष में जो पैसा आता है उससे क्या किया जाये, यह ग्राम सभा तय करेगी। यदि गाँव के मजदूरों को कोई दूसरे स्थान पर ले जाता है तो उसे ग्राम सभा से इसकी अनुमति लेना होगी। बाहरी व्यक्ति गाँव में आता है तो उसे भी ग्राम सभा की अनुमति लेनी होगी। मनरेगा के कार्यों की मॉनिटरिंग ग्राम सभा करेगी। कार्य का मस्टर रोल भी ग्राम सभा में रखा जायेगा।

गाँव में नई दारू दुकान

गाँव में नई दारू दुकान खुले या नहीं, इसका फैसला ग्राम सभा करेगी। यदि दारू की दुकान, अस्पताल, स्कूल, धार्मिक स्थल के पास है तो ग्राम सभा उसे बंद करने अथवा दूसरी जगह ले जाने की अनुशंसा कर सकेगी। ग्राम सभा किसी दिन को ड्राय-डे घोषित करने के लिये कलेक्टर को अनुशंसा कर सकेगी।

साहुकारी का लाइसेंस

कोई निजी साहूकार, ब्याज देने वाला व्यक्ति लायसेंस लेकर और सरकार द्वारा तय ब्याज दर पर ही ग्रामीणों को ऋण दे सकेगा। अवैध रूप से दिये गये ऋण शून्य हो जायेंगे।
गाँव के छोटे-छोटे झगड़ों के निराकरण के लिये ग्राम शांति एवं विवाद निवारण समिति गठित की जायेगी, जो उनका निपटारा करेगी। जिन मामलों में एफआईआर दर्ज होती है, उसकी जानकारी पुलिस द्वारा ग्राम सभा को देना होगी। बाजारों, मेलों, त्योहारों का प्रबंधन ग्राम सभा कर सकेगी। आँगनवाड़ी, छात्रावास, स्कूल, आश्रम शालाएँ, अस्पताल के प्रबंधन का अधिकार भी ग्राम सभाओं के पास होगा।

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