राज्य कृषि समाचार (State News)एग्रीकल्चर मशीन (Agriculture Machinery)

ग्रीष्मकालीन कृषण क्रियाएं: आधुनिक कृषि यंत्रों के प्रयोग की सम्पूर्ण जानकारी

लेखक: अक्षय तिवारी, पूजा चौहान, योगेश राजवाड़े, सुनियोजित कृषि विकास केंद्र, केंद्रीय कृषि अभियांत्रिकी संस्थान, भोपाल

19 मई 2025,भोपाल: ग्रीष्मकालीन कृषण क्रियाएं: आधुनिक कृषि यंत्रों के प्रयोग की सम्पूर्ण जानकारी – मध्य प्रदेश एक कृषि प्रधान राज्य है, जहाँ देश की बड़ी आबादी )लगभग 70 प्रतिशत(प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से कृषि पर निर्भर करती है। यहाँ हर मौसम की अपनी एक खास भूमिका होती है, जो फसलों की उत्पादकता और गुणवत्ता को प्रभावित करती है। इन्हीं ऋतुओं में से ग्रीष्मकाल अर्थात अप्रैल से जून तक का समय, खेती के दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। यह वह समय होता है जब खेतों की गतिविधियाँ भले ही थमी हुई प्रतीत होती है, परंतु असल में यह भूमि के सुधार, शोधन और तैयारी कासबसेव्यस्त और रणनीतिक काल होता है।

इस मौसम की विशेषताएँ- जैसे कि तेज़ धूप, अत्यधिक तापमान (अक्सर 35°C से 45°C) और वर्षा की अनुपस्थिति जहां एक ओर चुनौतियाँ पेश करती हैं, वहीं दूसरी ओर भूमि के दीर्घकालिक सुधार के लिए एक अनमोल अवसर भी प्रदान करती हैं,ग्रीष्मकाल केवल फसल बोने का ही समय नहीं है, अपितु यह, वह चरण है जब किसान भविष्य की उपज के लिए बीज बोता है तैयारी के रूप में।

इसके साथ ही, वर्तमान समय में किसान पारंपरिक ज्ञान के साथ-साथ आधुनिक कृषि यंत्रों और तकनीकों का भी सहारा ले रहे हैं। ट्रैक्टर, सबसॉइलर, चिज़ल प्लाऊ, मल्चर, लेज़र लैंड लेवलर, और अब तो ड्रोन जैसी तकनीकों ने खेतों की तैयारी को कहीं अधिक सटीक और गुणवत्तापूर्ण बना दिया है। इन्ही यंत्रो की सहायता से ग्रीष्मकालीन कृषण क्रियाओं में भूमि की तैयारी को और भी अधिक सरल और प्रभावशाली बना दिया है। साथ ही साथ सरकार की विभिन्न योजनाएँ और अनुदान भी किसानों को इन संसाधनों तक पहुँचने में सहायता प्रदान कर रहे हैं अतः यह स्पष्ट है कि ग्रीष्मकाल केवल “खाली समय” नहीं है, बल्कि यह आने वाले कृषि चक्र की सफलता की नींव है। यदि किसान इस समय का रणनीतिक और वैज्ञानिक तरीके से उपयोग करें, तो उनकी उपज, मुनाफा और मिट्टी की सेहत-  तीनों में संतुलन और सुधार संभव है। 

ग्रीष्मकालीन कृषण क्रियाएं- इस दौरान की जाने वाली प्रमुख गतिविधियाँ जैसे-गहरी जुताई, मिट्टी सुधार, सौर कीट नियंत्रण, खरपतवार नियंत्रण और सिंचाई प्रबंधन ,ढेलों की तुड़ाई, जुताई, बखराई, खेत समतलीकरण हेतु पाटा चलाना ये क्रियाएं खेत को आगामी खरीफ और रबी फसलों के लिए तैयार करती हैं।इन क्रियाओं के माध्यम से भूमि को इस प्रकार तैयार किया जाता है कि बीज के अंकुरण और वृद्धि के लिए एक आदर्श वातावरण प्राप्त हो सके। मिट्टी को गहराई से पलटने और भुरभुरा करने से जड़ों का मिट्टी में बेहतर प्रवेश और प्रसार संभव होता है, जिससे पौधों को पोषक तत्व और नमी सहजता से उपलब्ध होती है और मिट्टी की जल धारण क्षमता बढती है। साथ ही साथ मौजूद खरपतवारों, कीटों और बीमारियों को नियंत्रित करना, मिट्टी के तापमान को संशोधित करना,मिट्टी की कठोर परतों को तोड़ना और जल निकासी की सुविधा में सुधार करना, कुशल जल प्रबंधन के लिए खेत को समतल करना इन क्रियाओं का मुख्य उद्देश्य है।

मृदा सौरिकरण – सूर्य की गर्मी की मदद से मृदा में पाए जाने वाले फफूंद, बैक्टीरिया और सूत्रकृमि (निमेटोड्स) नष्ट होते हैं, इसे ही मृदा सौरिकरण कहा जाता है। ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई के द्वारा मृदा सौरिकरण एक प्राकृतिक और प्रभावी तरीका है, जिससे फसलो में रोग कम आते है साथ ही साथ खरपतवार के बीज और जड़ें उच्च तापमान से मर जाती है। तथा लाभकारी जीव जैसे ट्राइकोडर्मा, एज़ोटोबैक्टर, फॉस्फोबैक्टीरिया आदि सुरक्षित रहते है। इसकी सफलता के लिए गहरी जुताई का होना अत्यंत आवश्यक है क्योकि गहरी जुताई से मिट्टी टूटती है, ढीली और भुरभुरी होती है, जिससे सौरिकीकरण के दौरान सूर्य की गर्मी मिट्टी की गहराई तक पहुंच सकती है। बिना जुताई के मिट्टी सख्त रहती है, जिससे गर्मी नीचे तक नहीं पहुँच पाती और कीट, रोगाणु मिट्टी में रह सकते हैं।

प्रमुखयंत्र-

ड्रेनेज ट्रेंचर- ट्रेंचर मशीन एक विशेष कृषि यंत्र है, जिसका उपयोग खेतों में जल निकासी के लिए गड्ढे या नालियाँ (ट्रेंच) खोदने के लिए किया जाता है। यह मशीन खासतौर पर भारी मिट्टी और उन क्षेत्रों में उपयोग होती है जहाँ खेतों में जलभराव की समस्या अधिक होती है और अधिक वर्षा के कारण फसलों को नुकसान पहुँचता है। यह पारंपरिक गड्ढा खुदाई की तुलना में बहुत तेज और सटीक कार्य करता है।

चिज़ल प्लाऊ-
चिज़ल प्लाऊ एक प्राथमिक जुताई उपकरण है जिसका उपयोग अधिक गहरी जुताई के लिए किया जाता है। यह मिट्टी की कठोर परतों (हार्डपैन) को तोड़ता है तथा मिट्टी की ऊपरी परत को बनाए रखते हुए नीचे की सघन परतों को ढीला करता है। इससे मिट्टी में हवा का प्रवाह बेहतर होता है, पानी का अवशोषण बढ़ता है और जड़ों की वृद्धि में सुधार होता है। इसकी कार्य करने की गहराई को मिट्टी की स्थिति और फसल की आवश्यकता के अनुसार समायोजित किया जा सकता है।

सबसॉइलर– यह सामान्य जुताई गहराई से अधिक नीचे की मिट्टी को काटता है। इसका आकार चिज़ल हल के समान होता है, लेकिन इसमें अधिक गहराई पर कार्य करने के लिए मज़बूत शैंक (टाइन) लगाए जाते हैं ताकि अधिक बल को सहन किया जा सके। जब सामान्य जुताई गहराई के नीचे एक सघन या कठोर मिट्टी की परत पाई जाती है। यह कठोर परत मशीनरी के आवागमन या मिट्टी कणों के बीच रासायनिक या भौतिक बंधन (सीमेंटेशन) के कारण बन सकती है। इस प्रकार की कठोर परत, जिसे कभी-कभी “प्लाउ पैन” कहा जाता है, जल प्रवाह और निकासी में बाधा, मिट्टी में वायुसंचार की कमी, और फसलों की जड़ों की वृद्धि में कमी का कारण बन सकती है  इस प्रकार की मृदा परिस्तिथियों में सबसॉइलर यंत्र का उपयोग किया जाता है।

एम.बी. प्लाऊ- यह मिट्टी को गहराई से काटकर उसे पलट देता है। इसमें एक धारदार फाल और एक मोल्डबोर्ड होता है, जिसकी सहायता से ये मिट्टी को 8 से 12 इंच तक गहराई में पलटता है, जिससे मिट्टी की कठोर परत टूटती है। जिससे पानी का रिसाव बेहतर होता है और जल संग्रहण क्षमता बढ़ती है। इसका उपयोग खेतों की जुताई, मिट्टी को हल्का और भुरभुरा करने के लिए ग्रीष्मकाल और खरीफ फसलो की पूर्व तैयारी में किया जाता है। यह पशु चालित और ट्रैक्टर चालित दोनों प्रकार का होता है।

डिस्क प्लाऊ- यह एक आधुनिक कृषि यंत्र है जो खासकर खेती में पथरीली, सूखी और कठोर मिट्टी और  खरपतवार की जड़ों से प्रभावित मिट्टी में सबसे अच्छा काम करता है। जहाँ मोल्ड बोर्ड प्लाऊ से जुताई करने में कठिनाई होती है वहा डिस्क प्लाऊ गहरी जुताई के माध्यम से फसलों और खरपतवारों के अवशेषों को मिट्टी में मिलाता है इसमें गोल घुमावदार लोहे की डिस्कें (चक्के)लगी होती हैं जो घूमकर मिट्टी को काटती और पलटती है।

मल्चर- मल्चर का उपयोग फसल कटाई के बाद खेत में बचे फसल अवशेषों जैसे तने, पत्तियां, शाखाएं आदि को छोटे-छोटे टुकडों में काटकर मिट्टी की सतह पर बिछाने के लिए किया जाता है। इन टुकड़ों को ही “मल्च”कहा जाता है, जो मिट्टी की ऊपरी सतह को ढककर कई तरह से लाभ पहुँचाता है, इसके उपयोग से फसल अवशेष जलाने की आवश्यकता नहीं पड़ती और वायु प्रदूषण भी नहीं होता है तथा अवशेष धीरे-धीरे सड़ते है, जो जैविक खाद बन जाते है और मिट्टी को उपजाऊ बनाते हैं।

लेजर लैंड लेवलर- यह मशीन किसानों के लिए बेहद उपयोगी है, विशेषकर ऐसे किसानों के लिए जिनके खेत पूर्ण रूप से समतल नहीं है और उन्हें फसल बोने, उवर्रक व पानी देने आदि कार्यों में परेशानी होती है। यह लेजर तकनीक का उपयोग करके खेतों को सटीक रूप से समतल करने में मदद करता है,  यह मिट्टी को ऊंचे स्थानों से हटाकर निचले स्थानों पर जमा करता है, जिससे एक समतल सतह बनती है यह खेत को मिलिमीटर स्तर तक समतल कर सकता है। जिससे समान रूप से हर पौधे को बराबर नमी और पोषक तत्व मिलते हैं साथ ही साथ जलभराव, कटाव और उपजाऊ मिट्टी के बहाव की समस्या से भी बचाता है।

चिज़ल प्लाऊ

टाइन की संख्या-3 से 13 (मॉडल पर निर्भर)टाइन प्रकार- स्प्रिंग-लोडेड या कठोर टाइनकार्य गहराई-15 से 45 सेमी उपयुक्त ट्रैक्टर शक्ति-35 HP से 75+ HP

सब-सॉइलर

  • शैंक की संख्या 1 से 5 (मॉडल पर निर्भर)
  • कार्य गहराई 40 से 100सेमी
  • उपयुक्त ट्रैक्टर शक्ति 45 HP से 100+ HP

जोड़ने का प्रकार- 3-पॉइंट लिंक

एम.बी. प्लाऊ

  • मोल्डबोल्ड की संख्या 1, 2, 3 या 4 (भूमि व ट्रैक्टर की क्षमता पर निर्भर(
  • कार्य की चौड़ाई20 से 45 सेंटीमीटर
  • गहराई15 से 30 सेंटीमीटर तक
  • ट्रैक्टर शक्ति35 से 75+ HP
  • वजनलगभग 150 किग्रा से 500 किग्रा तक

डिस्क प्लाऊ

  • डिस्क की संख्या2, 3, 4, या 5
  • कार्य की गहराई15 से 25 सेंटीमीटर तक
  • ट्रैक्टर शक्ति 40 से 100+ HP (डिस्क की संख्या के अनुसार)

वजन-200 किग्रा से 500 किग्रा तक

मल्चर

  • कार्यकी चौड़ाई5 से 8 फीट
  • ब्लेड प्रकारY-आकार या T-आकार रोटरी ब्लेड
  • ब्लेड की संख्या30 से 72 तक (मॉडल पर निर्भर)
  • PTO गति –540 / 1000 RPM
  • कटर शाफ्ट गति – 1800 से 2200 RPM
  • ट्रैक्टर शक्ति- 35 से 75+ HP तक

वर्किंग क्षमता –1.5–2.5 एकड़ प्रति घंटा

लेजर लैंड लेवलर

  • लेवलिंग गहराई10 से 30 सेंटीमीटर तक
  • सेंसर प्रकार लेजर रिसीवर + ट्रांसमीटर
  • कंट्रोल सिस्टम इलेक्ट्रॉनिक कंट्रोल यूनिट (ECU)
  • हाइड्रोलिक सिस्टम ट्रैक्टर से संचालित
  • लेवलिंग एक्यूरेसी±2 से ±5 मिमी तक
  • ट्रैक्टर शक्ति 50 HP या उससे अधिक
  • वर्किंग स्पीड लगभग 4-6 किमी/घंटा

लेवलिंग दक्षता- 70%

ड्रेनेज ट्रेंचर

  • फरो की गहराई0.5 मीटर से 2.0 मीटर तक (मॉडल पर निर्भर)
  • फरो की चौड़ाई10 से 60 सेमी तक (ट्रेंच ब्लेड के अनुसार)
  • उत्खनन गतिलगभग 50 से 100 मीटर/घंटा
  • ट्रैक्टर शक्ति- 35 से 75+ HP तक

सरकारी योजनाएं- मध्य प्रदेश और केंद्र सरकार के द्वारा चलाई जा रही योजनाएं जो किसानो को कृषि यंत्रो पर प्रमुख रूप से अनुदान और सहायता से लाभन्वित कर रही है- यांत्रिकीकरण योजना, कस्टम हायरिंग सेंटर योजना, सब मिशन ऑन एग्रीकल्चरल मेकेनाइजेशन, ई-नाम पोर्टल

लेख का उद्देश्य- इस लेख का मुख्य उद्देश्य किसानों, कृषि छात्रों और कृषि से जुड़े सभी पाठकों को ग्रीष्मकालीन खेती और  कृषि यंत्रों के संपूर्ण दृष्टिकोण से परिचित कराना है। यह लेख ग्रीष्मकाल के मौसम में भूमि की उपयुक्त तैयारी, मृदा सुधार, कीट एवं खरपतवार नियंत्रण तथा आधुनिक कृषि यंत्रों के प्रभावशाली उपयोग पर केंद्रित है। इसके अतिरिक्त, इसमें सरकार द्वारा चलाई जा रही उन योजनाओं और सुविधाओं की जानकारी भी दी गई हैं। यह लेख पारंपरिक कृषि ज्ञान को आधुनिक तकनीकों से जोड़ने का एक प्रयास है ताकि खेती को अधिक लाभकारी, टिकाऊ और वैज्ञानिक बनाया जा सके।

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