उद्यानिकी किसानों को नहीं फसल बीमा का लाभ
प्रदेश में 6 साल से नहीं हुआ बीमा, सरकार क्यों उदासीन
20 जनवरी 2025, भोपाल: उद्यानिकी किसानों को नहीं फसल बीमा का लाभ – किसानों को फसलों में होने वाले नुकसान से बचाने के लिए भारत सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना एवं उद्यानिकी फसलों के लिए मौसम आधारित फसल बीमा योजना लागू की है। परन्तु म.प्र. के उद्यानिकी किसान विगत 6 वर्षों से मौसम आधारित फसल बीमा योजना के लाभ से वंचित हैं। इसका मुख्य कारण कोरोना काल से बजट की कमी एवं टेंडर का न होना बताया जा रहा है। परन्तु इसमें किसानों का क्या दोष है वह नुकसान सहने को मजबूर है और सरकार उदासीन बन तमाशा देख रही है। एक तरफ सरकारें दुहाई दे रही हैं कि किसानों की आमदनी दोगुना करने के लिए परम्परागत फसलों के साथ-साथ उद्यानिकी फसलें भी अपनाना चाहिए, वहीं दूसरी तरफ उनकी फसल सुरक्षा की कोई व्यवस्था नहीं है परन्तु सरकार का ध्यान इस ओर नहीं है।
जानकारी के मुताबिक म.प्र. में रबी 2019-20 के बाद उद्यानिकी फसलों का बीमा नहीं हुआ है। 6 वर्ष बीत रहे हंै परन्तु उद्यानिकी कृषकों की सुध न सरकार ले रही है और न ही प्रशासन। ज्ञातव्य है कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत मौसम आधारित फसल बीमा योजना प्रदेश के सभी जिलों में लागू है।
मध्य प्रदेश में उद्यानिकी फसल का बहुत बड़ा रकबा है। 26 लाख 57 हजार हेक्टेयर भूमि पर 4 करोड़ 40 हजार टन उद्यानिकी से जुड़ी फसलों का उत्पादन है। इससे प्रदेश के 36 लाख 79 हजार किसान जुड़े हुए हैं। खरीफ वर्ष 2020 से रबी 2022-23 के लिए 6 बार टेंडर जारी किये गए। लेकिन दरें अधिक होने से योजना का क्रियान्वयन नहीं हो सका। रबी 2022-23 से रबी 2023-24 के लिए निविदा बुलाई गई, लेकिन एक ही निविदा आने से निविदा नहीं खोली गई।
सूत्रों के मुताबिक बीच की अवधि में कोरोना की मार के साथ-साथ केला, प्याज, संतरा, मिर्च आदि फसलें
कैसे होगी किसानों को नुकसान की भरपाई?
खराब होने से किसानों को लाखों का चूना लग चुका है। ऐसा नहीं है कि प्रदेश में उद्यानिकी फसलें कभी बीमा के दायरे में आई ही नहीं। वर्ष 2019-20 तक उद्यानिकी की फसलें बीमा दायरे में रही हैं। सिर्फ इस एक साल की बात करें तो 2019-20 में उद्यानिकी से जुड़े 3 लाख 46 हजार 974 किसानों ने फसल बीमा कराया था। इनमें खरीफ सीजन में 90 हजार 990 और रबी सीजन में 2 लाख 55 हजार 984 किसानों ने फसल बीमा कराया था।
प्रदेश में प्रधानमंत्री फसल बीमा का लाभ उद्यानिकी से जुड़े 2 लाख 88 हजार 896 किसानों ने साल 2019-20 में लिया था। 19412 लाख रुपये बीमा क्लेम के रूप में किसानों को मिले थे।
उद्यानिकी फसल उत्पादकों की व्यथा – ग्राम धावड़ीखापा जिला पांढुर्ना के किसान श्री मंसाराम पिता झोटया खोड़े ने कृषक जगत को बताया कि मेरे यहां संतरे के 1 हज़ार पेड़ हैं। संतरे की फसल में साल में दो बार नवंबर -दिसंबर और मार्च -अप्रैल में बहार आती है। फिलहाल तो फसल अच्छी है, लेकिन आकस्मिक वर्षा /तेज़ हवा चलने पर संतरे नीचे गिरने अथवा गलन होने से किसानों का बहुत आर्थिक नुकसान होता है। जिसके लिए कोई मुआवजा नहीं मिलता।
ग्राम मोरडोंगरी के श्री विनय डिगरसे ने बताया कि हर साल 3-4 एकड़ में गोभी लगाते हैं। औसत 6-7 लाख की फसल ले लेते हैं। लेकिन इस साल खरीफ में अतिवृष्टि से गोभी फसल को बहुत नुकसान हुआ। यदि उद्यानिकी फसल का बीमा होता, तो कुछ आर्थिक राहत मिल जाती। एक तरफ उत्पादन कम हुआ, तो दूसरी तरफ लागत बढ़ गई। ग्राम हिवरासेनाडवार के श्री प्रकाश डोंगरे ने एक एकड़ में टमाटर और दो एकड़ में मिर्च लगाई है। उनका कहना है कि गांव में फसल बीमे के लिए सिर्फ मक्का फसल ही अधिकृत है। इस साल टमाटर और मिर्च में बहुत मंदी होने से उचित दाम नहीं मिल रहे हैं। इन दिनों प्राकृतिक प्रकोप की आशंका अधिक रहती है। इसलिए जोखिम से बचने के लिए अधिकांश फसल अभी बेच रहे हैं। यदि उद्यानिकी फसल बीमा होता तो देर से बेचता, तब प्राकृतिक आपदा आने पर मुआवजा तो मिलता। उद्यानिकी फसलों का बीमा होना चाहिए। ऐसी ही परेशानी दो एकड़ में टमाटर लगाने वाले सांवरगांव के श्री कृष्णा कामड़े ने भी बताई।
फोपनार जिला बुरहानपुर के श्री संजय महाजन ने केले के 60 हज़ार पौधे लगाए हैं। उन्होंने बताया कि क्षेत्र के किसानों की केला फसल हर साल वर्षा, ओलावृष्टि या तेज़ हवा के कारण आड़ी पड़ जाती है, जिससे बहुत नुकसान होता है। लेकिन उद्यानिकी फसल का बीमा नहीं होने से कोई मुआवजा नहीं मिलता।
श्री डीएस चौहान, उप संचालक उद्यानिकी, इंदौर ने कृषक जगत को बताया कि उद्यानिकी फसलों के बीमे को लेकर राज्य शासन ने अभी कोई निर्णय नहीं लिया है।
उद्यानिकी किसान फसल बीमा नहीं होने के कारण चिंतित अवश्य है, परन्तु सरकार को कोई चिंता नहीं है वह किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के नारे के साथ कागजों में आमदनी दोगुनी करने के प्रयास कर रही है।
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