राज्य कृषि समाचार (State News)

मध्यप्रदेश में ग्रीन एनर्जी प्लांट से किसानों को नई आय का जरिया, पराली से बनेगी बिजली और जैविक खाद

11 नवंबर 2024, भोपाल: मध्यप्रदेश में ग्रीन एनर्जी प्लांट से किसानों को नई आय का जरिया, पराली से बनेगी बिजली और जैविक खाद – मध्यप्रदेश में पराली जलाने की समस्या और किसानों की कम उपजाऊ जमीनों से आय बढ़ाने के लिए राज्य सरकार ने ग्रीन एनर्जी प्रोजेक्ट पर जोर दिया है। रीवा के कमिश्नर कार्यालय में आयोजित समीक्षा बैठक में उप मुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल ने बताया कि रीवा, सतना और मऊगंज जिलों में ग्रीन एनर्जी प्लांट स्थापित किए जाएंगे, जिससे किसानों को पराली और कम उपजाऊ जमीन का बेहतर उपयोग करने का मौका मिलेगा।

ग्रीन एनर्जी प्लांट के तहत धान के पैरे (पराली) और नेपियर घास जैसे कच्चे माल से बिजली, जैविक खाद और बायोगैस का उत्पादन किया जाएगा। रीवा जिले के गुढ़ क्षेत्र में इस प्लांट की स्थापना के लिए कार्य जल्द शुरू करने के निर्देश दिए गए हैं। मऊगंज में प्लांट के लिए एक हजार हेक्टेयर जमीन उपलब्ध कराई गई है, जिसमें 95% निजी जमीन शामिल है। इस जमीन पर किसानों के साथ अनुबंध करके नेपियर घास की खेती भी कराई जाएगी।

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बैठक में मौजूद कलेक्टरों और रिलायंस ग्रीन एनर्जी प्रोजेक्ट के प्रतिनिधियों ने जानकारी दी कि ग्रीन एनर्जी प्लांट के लिए पर्याप्त मात्रा में पराली उपलब्ध है और इसके सर्वे का कार्य चल रहा है। एक प्लांट के लिए लगभग 22 हजार मैट्रिक टन पराली की आवश्यकता होगी, जो आसपास के धान और गेहूं उत्पादक क्षेत्रों से प्राप्त की जाएगी। इसके अलावा, कम उपजाऊ जमीनों पर नेपियर घास की खेती से कच्चे माल की उपलब्धता सुनिश्चित होगी।

इस प्रोजेक्ट के जरिए स्थानीय स्तर पर रोजगार भी सृजित होंगे। प्रशिक्षित युवाओं को पराली कंप्रेस करके कच्चे माल के रूप में तैयार करने के कार्य में शामिल किया जाएगा, जिससे स्थानीय रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।

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रिलायंस ग्रीन एनर्जी के प्रतिनिधियों ने बताया कि प्लांट से कम्प्रेस, बायोगैस, हाइड्रोजन, मैथेनॉल और जैविक खाद जैसे उत्पाद बनाए जाएंगे। यह परियोजना किसानों के लिए अतिरिक्त आय का साधन बनने के साथ-साथ परती और कम उपजाऊ जमीनों के उपयोग को भी प्रोत्साहित करेगी।

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बैठक में रीवा की कलेक्टर प्रतिभा पाल, मऊगंज कलेक्टर अनुराग वर्मा और अन्य अधिकारी मौजूद रहे।

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