गन्ना किसानों के लिए खुशखबरी, अगले सीजन के लिए एफआरपी बढ़ाकर 355 रुपये प्रति क्विंटल तय
01 मई 2025, नई दिल्ली: गन्ना किसानों के लिए खुशखबरी, अगले सीजन के लिए एफआरपी बढ़ाकर 355 रुपये प्रति क्विंटल तय – आगामी 2025-26 गन्ना सीजन (अक्टूबर से सितंबर) के लिए केंद्र सरकार ने गन्ना किसानों को राहत देते हुए 355 रुपये प्रति क्विंटल का न्यूनतम खरीद मूल्य, यानी उचित एवं लाभकारी मूल्य (FRP) तय किया है। आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (CCEA) ने यह फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंगलवार को लिया।
इस फैसले का लाभ देश के लगभग 5 करोड़ गन्ना किसानों और उनके परिवारों के साथ-साथ चीनी मिलों से जुड़े करीब 5 लाख श्रमिकों को मिलेगा।
क्या है नई एफआरपी?
- एफआरपी तय की गई है: 355 रुपये प्रति क्विंटल
- यह दर 10.25% रिकवरी के आधार पर है, यानी यदि एक टन गन्ने से 102.5 किलो चीनी बनती है।
- हर अतिरिक्त 0.1% रिकवरी पर 3.46 रुपये अतिरिक्त मिलेंगे, और
- हर 0.1% कम रिकवरी पर 3.46 रुपये घटाए जाएंगे।
जिनकी रिकवरी 9.5% से कम होगी, उन्हें भी राहत
सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि 9.5% से कम रिकवरी वाली मिलों में कोई कटौती नहीं की जाएगी। ऐसे मामलों में किसानों को 329.05 रुपये प्रति क्विंटल का भुगतान किया जाएगा।
उत्पादन लागत और बढ़ी हुई एफआरपी का गणित
सरकार के मुताबिक, 2025-26 के लिए गन्ने की उत्पादन लागत (A2+FL) 173 रुपये प्रति क्विंटल आंकी गई है। नए एफआरपी के अनुसार, यह लागत से 105.2% ज्यादा बैठता है।
इसके साथ ही, यह एफआरपी पिछले सीजन की तुलना में 4.41% अधिक है।
एफआरपी कैसे तय होती है?
एफआरपी का निर्धारण कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (CACP) की सिफारिशों और राज्यों व अन्य हितधारकों के साथ विचार-विमर्श के बाद होता है। यह दर चीनी मिलों द्वारा गन्ने की खरीद के लिए न्यूनतम अनिवार्य मूल्य होती है, जिसे किसान और मिलें आपसी सहमति से बदल नहीं सकते।
गन्ना बकाया भुगतान की स्थिति
- 2023-24 सीजन में किसानों को कुल 1.11 लाख करोड़ रुपये देना था, जिसमें से 99.92% (1,11,703 करोड़) का भुगतान हो चुका है।
- 2024-25 सीजन में अब तक 85,094 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है, जो कुल बकाया का 87% है।
भारत का चीनी उद्योग एक प्रमुख कृषि आधारित क्षेत्र है। देशभर में करोड़ों किसानों की आजीविका इसी पर निर्भर करती है। इसके साथ-साथ इसमें बड़ी संख्या में श्रमिक और परिवहन, मजदूरी जैसे सहायक व्यवसाय भी शामिल हैं।
हालिया फैसले से गन्ना किसानों को राहत मिलने की उम्मीद है, खासकर तब जब उत्पादन लागत बढ़ रही है और भुगतान में अक्सर देरी होती है। हालांकि, एफआरपी को लेकर किसानों के संगठन कई बार इसे अपर्याप्त बताते रहे हैं, विशेषकर तब जब बाजार में चीनी की कीमतें अधिक हों।
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