राज्य कृषि समाचार (State News)

मत्स्य पालन को मिलेगा उद्योग का दर्जा, सरकार देगी आधुनिक सुविधाएं और अनुदान: सीएम डॉ. यादव

निषादराज सम्मेलन में सीएम ने की बड़ी घोषणाएं

15 जुलाई 2025, भोपाल: मत्स्य पालन को मिलेगा उद्योग का दर्जा, सरकार देगी आधुनिक सुविधाएं और अनुदान: सीएम डॉ. यादव – मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि अब मत्स्य पालन को केवल परंपरागत काम नहीं, बल्कि आधुनिक उद्योग के रूप में विकसित किया जाएगा। मछुआ समुदाय को अब वही सुविधाएं, अनुदान और सम्मान मिलेंगे, जो अन्य उद्योगों को दिए जाते हैं। उन्होंने कहा कि मछली और मछुआरों का संबंध हजारों वर्षों पुराना है और यह साहस का कार्य है। श्रीराम के परम मित्र निषादराज की स्मृति में उज्जैन के कालिदास संस्कृत अकादमी परिसर में आयोजित राज्य स्तरीय निषादराज सम्मेलन एवं प्रशिक्षण कार्यक्रम में उन्होंने यह बातें कहीं।

453 स्मार्ट फिश पार्लर और 92 करोड़ की केज परियोजना

मुख्यमंत्री ने मछुआरों की आजीविका को मजबूत बनाने के लिए कई बड़ी योजनाओं की घोषणा की। उन्होंने 22.65 करोड़ की लागत से बनने वाले 453 स्मार्ट फिश पार्लर का भूमि पूजन और 92 करोड़ रुपये की लागत से इंदिरा सागर बांध में 3360 केज परियोजना का वर्चुअल भूमि पूजन किया। ये योजनाएं मछुआरों को रोजगार, स्वरोजगार और बेहतर आय दिलाने में मदद करेंगी।

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430 मोटरसाइकिलों में आईस बॉक्स देकर मिला समर्थन

राज्य सरकार ने मत्स्य उत्पादों को ताज़ा और बाजार तक पहुँचाने के लिए 430 मछुआरों को आईस बॉक्स युक्त मोटरसाइकिलें भी वितरित कीं। इससे अब मछुआरों को मछली बेचने में सहूलियत मिलेगी और उनकी आय में वृद्धि होगी। वर्तमान में मध्यप्रदेश में 4.4 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में मत्स्य पालन हो रहा है और वर्ष 2024-25 में राज्य का मछली उत्पादन 3.81 लाख मीट्रिक टन दर्ज किया गया।

217 करोड़ से बनेगी आधुनिक हैचरी

मुख्यमंत्री ने बताया कि 217 करोड़ रुपये की लागत से आधुनिक मछली बीज हैचरी बनाई जाएगी, जिससे मछुआरों को बीज के लिए अब बंगाल पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। सरकार का लक्ष्य प्रदेश को दूध और मछली उत्पादन दोनों में अग्रणी राज्य बनाना है। भोपाल में 40 करोड़ की लागत से एक अत्याधुनिक एक्वा पार्क (मछलीघर) का निर्माण भी शुरू हो चुका है।

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तालाब और जलाशयों में होगी केज फिशिंग

डॉ. यादव ने कहा कि उनकी सरकार ने प्रदेश में सिंचाई का रकबा बढ़ाकर किसानों और मछुआरों दोनों को लाभ पहुँचाया है। पिछली सरकार में केवल 7 लाख हेक्टेयर भूमि सिंचित होती थी, जो अब बढ़कर 55 लाख हेक्टेयर हो गई है। पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक परियोजना से यह रकबा बढ़कर 100 लाख हेक्टेयर तक जाएगा। इससे कई तालाब और जलाशय विकसित होंगे, जहाँ मछली पालन को बढ़ावा मिलेगा। इंदिरा सागर और अन्य जलाशयों में 3 लाख से अधिक केज लगाने की योजना है।

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महिलाओं को भी मिलेगा लाभ, मछुआ क्रेडिट कार्ड बांटे जा रहे

मुख्यमंत्री ने बताया कि इस क्षेत्र में महिलाएं भी तेजी से जुड़ रही हैं और आगे बढ़ रही हैं। मछुआ समुदाय को आत्मनिर्भर बनाने के लिए उन्हें मछुआ क्रेडिट कार्ड दिए जा रहे हैं, जिससे वे अपना व्यवसाय संचालित कर सकें। लगभग 2 लाख मत्स्य पालक राज्य में पंजीकृत हैं, जो सरकार की योजनाओं से लाभान्वित हो रहे हैं।

नशा मुक्ति और फिजूलखर्ची से बचने का आह्वान

कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि आज बदलते समय के साथ लोगों को खुद को भी बदलने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि 15 से 30 जुलाई तक प्रदेशभर में नशा मुक्ति अभियान चलाया जाएगा। उन्होंने सभी को नशा और फिजूलखर्ची से दूर रहने और अपने जीवन को बेहतर बनाने का संकल्प दिलवाया।

मछुआ कल्याण एवं मत्स्य पालन मंत्री श्री नारायण सिंह पंवार ने कहा कि राज्य सरकार पिछड़े मछुआ समुदाय को मुख्यधारा में लाने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है। वहीं, म.प्र. मछुआ कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष श्री सीताराम बाथम ने कहा कि प्रदेश में कई जगह निषाद मंगल भवन बनाए गए हैं और जो कार्य वर्षों में नहीं हुए, वे अब महीनों में पूरे हो रहे हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री की दूरदृष्टि और संवेदनशील नेतृत्व की प्रशंसा की।

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