अमानक सोयाबीन बीज से मुश्किल में अन्नदाता
(दिलीप दसौंधी, मंडलेश्वर)
28 सितम्बर 2021, अमानक सोयाबीन बीज से मुश्किल में अन्नदाता – मंडलेश्वर के एक किसान की सोयाबीन की फसल में फलियां नहीं लगने का मामला सामने आया है। पीडि़त किसान ने लीज की जमीन पर सोयाबीन बोई है, जिसमें पहले ही बहुत निवेश किया जा चुका है, लेकिन अमानक बीज के कारण उसकी लागत भी नहीं निकलेगी। शिकायत के बाद कृषि अधिकारियों ने खेत का निरीक्षण किया, लेकिन अभी तक जाँच प्रतिवेदन नहीं दिया है। इससे कारण पता नहीं लग पाया है।
श्री ओमप्रकाश पिता गणपति पाटीदार निवासी मंडलेश्वर ने कृषक जगत को बताया कि साढ़े पांच एकड़ जमीन एक लाख बीस हजार रुपए में लीज पर लेकर पाटीदार कृषि सेवा केंद्र मंडलेश्वर से सोयाबीन की किस्म जेएस 335 के 5 बेग बीज 15 हजार में खरीदकर सोयाबीन की बुवाई की थी। लेकिन अमानक बीज के कारण करीब 75 दिन की फसल होने पर भी उसमें फलियां नहीं लगी है। मामले की शिकायत विभागीय अधिकारी और कलेक्टर को की गई। फसल में खाद,बीज, निंदाई-गुड़ाई और स्प्रिंकलर खरीद कर सिंचाई करने में करीब 25 हजार से अधिक की राशि अलग से खर्च हो चुकी है। त्रुटिपूर्ण बीज के कारण खर्च की लागत भी नहीं निकलेगी। गत दिनों कृषि विभाग के अधिकारी/ वैज्ञानिक ने खेत का निरीक्षण कर पंचनामा बनाया था। जाँच रिपोर्ट अभी नहीं मिली है। किसान ने जब संबंधित दुकानदार से पक्का बिल मांगा तो उसने देने से इंकार कर दिया, तो उसकी शिकायत थाने पर की गई। इसके बाद दुकानदार द्वारा थाने में बिल दिया गया। इससे बीज कम्पनी पर भी संदेह के बादल मंडरा रहे हैं, क्योंकि शिकायतकर्ता किसान ने उसे दिए गए लॉट का बीज जिन-जिन किसानों को दिया है, उसकी सूची मांगी तो देने से इंकार कर दिया है।
पाटीदार कृषि सेवा केंद्र, मंडलेश्वर के श्री अरुण पाटीदार ने इस मामले से पल्ला झाड़ते हुए खुद को मात्र विक्रेता बताया और पूरी जिम्मेदारी संबंधित बीज कम्पनी पवन एग्रो सीड्स, भीकनगांव की बताई। पवन एग्रो सीड्स के श्री अनिल जायसवाल ने कहा कि शिकायतकर्ता ने सोयाबीन के जिस लॉट के बीज की शिकायत की है उसका 64 क्विंटल बीज तैयार किया गया था। गुणवत्ता भी अच्छी थी। अन्य किसी किसान ने शिकायत नहीं की है। वहीं श्री एमएस ठाकुर, एसडीओ (एग्रीकल्चर), महेश्वर ने कृषक जगत को बताया कि शिकायतकर्ता किसान के खेत का केवीके खरगोन के वैज्ञानिक श्री व्हाय. के. जैन के साथ निरीक्षण किया था। जाँच प्रतिवेदन तैयार होने पर संबंधित किसान को दे दिया जाएगा। उसके बाद मुआवजे के लिए वह उपभोक्ता फोरम में जा सकता है, क्योंकि मुआवजा तय करने का अधिकार कृषि विभाग के पास नहीं है।