ड्रोन के जरिए खेती होगी आसान, किसानों की मेहनत और लागत होगी कम
31 जनवरी 2025, भोपाल: ड्रोन के जरिए खेती होगी आसान, किसानों की मेहनत और लागत होगी कम – सरसों की खेती में आधुनिक तकनीकों के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) की तिलहन मॉडल ग्राम परियोजना के तहत ड्रोन तकनीक से उर्वरक और पोषक तत्वों के छिड़काव का प्रदर्शन किया गया। यह कार्यक्रम उत्तर प्रदेश के कृषि विज्ञान केंद्र, कटिया के वैज्ञानिकों द्वारा सीतापुर जिले के ब्लॉक ऐलिया स्थित मॉडल गांव हेमपुर में आयोजित किया गया।
कार्यक्रम में कृषि ड्रोन के उपयोग से पोषक तत्व प्रबंधन और कीट-रोग नियंत्रण पर विशेष ध्यान दिया गया। वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं केंद्र अध्यक्ष डॉ. दया शंकर श्रीवास्तव ने बताया कि ड्रोन तकनीक परंपरागत छिड़काव की तुलना में अधिक प्रभावी, समय बचाने वाली और पर्यावरण के अनुकूल है। इसके उपयोग से खेतों में समान रूप से पोषक तत्वों का वितरण होता है, जिससे फसल उत्पादन की गुणवत्ता और मात्रा में सुधार संभव है।
कृषि में ड्रोन के फायदे
सस्य वैज्ञानिक डॉ. शिशिर कांत सिंह ने किसानों को ड्रोन से पोषक तत्व प्रबंधन की तकनीकी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि यह तकनीक प्राकृतिक खेती को भी बढ़ावा दे सकती है। जैविक खेती के तहत पीले व नीले चिपचिपे पाश (ट्रैप्स) और लेडी बर्ड बीटल जैसे मित्र कीटों के संरक्षण पर जोर दिया गया, जिससे रासायनिक कीटनाशकों की आवश्यकता कम हो सके।
प्रसार वैज्ञानिक शैलेन्द्र सिंह ने कहा कि ड्रोन तकनीक कृषि के भविष्य को अधिक दक्ष और पर्यावरण-अनुकूल बनाने में सहायक होगी। इस कार्यक्रम के दौरान किसानों ने तकनीक में रुचि दिखाई और ड्रोन संचालन से जुड़ी ट्रेनिंग की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि सरकार कृषि ड्रोन को बढ़ावा देने के लिए सब्सिडी और प्रशिक्षण सुविधाएं उपलब्ध करा रही है, जिससे अधिक किसान इस तकनीक का लाभ उठा सकें।
ड्रोन के उपयोग से न केवल उर्वरकों और पोषक तत्वों का कुशल छिड़काव संभव होगा, बल्कि श्रम, पानी और उत्पादन लागत में भी कमी आएगी। खेती को टिकाऊ और आधुनिक बनाने की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
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