पराली प्रबंधन को लेकर कृषक संगोष्ठी आयोजित
29 अप्रैल 2025, श्योपुर: पराली प्रबंधन को लेकर कृषक संगोष्ठी आयोजित – कलेक्टर एवं जिला मजिस्ट्रेट श्री अर्पित वर्मा द्वारा पराली प्रबंधन के लिए विभिन्न उपाय सुनिश्चित किये जा रहे है, इसी क्रम में उनके द्वारा दिये गये निर्देशानुसार कृषि विभाग जिला श्योपुर द्वारा ग्राम प्रेमसर में कृषक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। पंचायत भवन में आयोजित पराली प्रबंधन कृषक संगोष्ठी को संबोधित करते हुए एसडीएम श्री बीएस श्रीवास्तव ने किसानों से अपील करते हुए कहा कि खेतो में पराली न जलाएं, इसके नुकसान ही नुकसान है, पर्यावरण के साथ-साथ खेती की भूमि को भी नुकसान पहुंचता है और आगजनी की घटना में कोई हानि भी हो सकती है, उन्होंने कहा कि प्रशासन द्वारा सभी किसानों को समझाइश दी जा रही है कि पराली न जलाएं, बल्कि उसका वैज्ञानिक तरीके से उचित प्रबंधन सुनिश्चित करें। पराली जलाने की घटनाओं पर संबंधित किसानों के विरुद्ध अर्थदंड अधिरोपित करने की कार्यवाही की जायेगी।
उप संचालक कृषि श्री जीके पचौरिया ने कहा कि खेतों में गेहूं, सरसों, धान आदि फसलों की पराली जलाने से पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है साथ ही भूमि में उपलब्ध लाभदायक जीवाणु भी नष्ट हो जाते है, जिससे भूमि की उर्वरा शक्ति कम होती जाती है और इसका प्रभाव फसल उत्पादन पर पड़ता है। उन्होंने कहा कि शासन द्वारा पराली की घटनाओं पर सेटेलाइट के माध्यम से निगरानी रखी जा रही है। उन्होंने किसानों से अपील की कि गेहूं की पराली को जलाने के बजाय स्ट्रॉ रीपर के माध्यम से भूसा बनाया जा सकता है, जो पशुओं के लिए चारे के रूप में उपयोग किया जा सकता है, भूसे का विक्रय कर अतिरिक्त आमदनी भी प्राप्त की जा सकती है। सहायक कृषि यंत्री श्री अंकित सेन द्वारा संगोष्ठी के दौरान हैप्पी सीडर एवं सुपर सीडर के माध्यम से मूंग फसल की बुवाई करने के संबंध में बताया गया। इसके अलावा नरवाई का स्ट्रॉ रीपर से भूसा बनाने तथा बेलर से गठ्ठे बनाने के संबंध में जानकारी दी गई।
कृषि विज्ञान केन्द्र बडौदा के वैज्ञानिक डॉ कायम सिंह द्वारा किसानों को पराली जलाने के हानिकारक प्रभावों के संबंध में बताया गया, उनके द्वारा कृषकों को समझाइश दी गई कि पराली जलाने से भूमि की उर्वरा शक्ति कमजोर होती है तथा पर्यावरण में प्रदूषण फैलता है, मिट्टी में उपलब्ध मित्र कीट एवं लाभदायक सूक्ष्म जीवाणु जलकर नष्ट हो जाते है। जिससे मिट्टी आगे आने वाले समय में कठोर एवं बंजर हो जाएगी, इसके हानिकारक परिणाम आने वाली पीढ़ियों को भुगतने पडेंगे। कार्यक्रम का संचालन जिला परामर्शदाता श्री विश्वम्भर गौड़ द्वारा किया गया। इस अवसर पर श्री अखिलेश सोलंकी सहायक कृषि यंत्री, श्री शरद रघुवंशी वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी, श्री अरुण कुमार शाक्य कृषि विकास अधिकारी एवं क्षेत्रीय कृषि विस्तार अधिकारी तथा कृषक गण उपस्थित थे।
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