बीमा कंपनियों की मनमानी पर उपभोक्ता फोरम की सख्ती, पशुपालकों को मिलेगा मुआवजा और ब्याज
13 दिसंबर 2024, भोपाल: बीमा कंपनियों की मनमानी पर उपभोक्ता फोरम की सख्ती, पशुपालकों को मिलेगा मुआवजा और ब्याज – मध्यप्रदेश में पशुपालकों के लिए उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग (कंज्यूमर फोरम) ने बड़ी राहत दी है। बीमा कंपनियों द्वारा बीमित पशुओं की मृत्यु के बाद भी दावा राशि नहीं देने की शिकायतों पर आयोग ने सख्त रुख अपनाया है। आयोग ने बीमा कंपनियों को पशुपालकों को बीमा दावा राशि के साथ 8% वार्षिक ब्याज और वाद व्यय (कानूनी खर्च) का भुगतान करने का आदेश दिया है। इस फैसले से प्रदेश के कई पशुपालकों को राहत मिलेगी, जो लंबे समय से अपने हक की लड़ाई लड़ रहे थे।
क्या है मामला?
मध्यप्रदेश के कई जिलों के पशुपालकों ने शिकायत की थी कि बीमा कंपनियां पशुओं के बीमा दावा राशि का भुगतान करने में आनाकानी कर रही हैं। पशु धन बीमा योजना के तहत, पशुपालक अपने मवेशियों का बीमा करवाते हैं ताकि मवेशियों की आकस्मिक मृत्यु की स्थिति में उन्हें वित्तीय सहायता मिल सके। लेकिन कई मामलों में बीमा कंपनियां दावों का निपटारा नहीं कर रही थीं, जिससे पशुपालकों को परेशानी का सामना करना पड़ा।
किन मामलों में मिला राहत का आदेश?
उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग ने चार पशुपालकों के मामलों में बीमा कंपनियों को राहत देने का निर्देश दिया है:
- मंजली पति निरपत (जिला दमोह) – इस प्रकरण में न्यू इंडिया इंश्योरेंस कंपनी को बीमा दावा राशि के साथ ब्याज और वाद व्यय का भुगतान करने का आदेश दिया गया।
- महेश सिंह पिता हीरा सिंह (ग्राम घुहारा) – इस मामले में भी न्यू इंडिया इंश्योरेंस कंपनी को दावा राशि और कानूनी खर्च का भुगतान करना होगा।
- गुलाब अहिरवार पिता मनीराम (ग्राम रनेह) – इस प्रकरण में ओरियंटल इंश्योरेंस कंपनी को बीमा दावा राशि, ब्याज और वाद व्यय का भुगतान करना होगा।
- लक्ष्मी रानी यादव पति बिहारी यादव (ग्राम हटा) – इस मामले में एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी को पशुपालक को दावा राशि और ब्याज सहित अन्य राहत देनी होगी।
इन मामलों में, कंज्यूमर फोरम ने न केवल बीमा दावा राशि देने का आदेश दिया बल्कि प्रकरण प्रस्तुति की तारीख से लेकर अदायगी (भुगतान) की तारीख तक 8% वार्षिक ब्याज और वाद व्यय (कानूनी खर्च) भी देने के निर्देश दिए हैं। यह फैसला उन सभी पशुपालकों के लिए एक उदाहरण बनेगा, जो बीमा कंपनियों की लापरवाही के कारण समय पर मुआवजा नहीं पा सके।
राष्ट्रीय पशु धन बीमा योजना के तहत, पशुपालक अपने मवेशियों का बीमा कराते हैं ताकि उनकी मृत्यु की स्थिति में उन्हें मुआवजा मिल सके। इस योजना के तहत, प्रीमियम का कुछ हिस्सा सरकार द्वारा वहन किया जाता है, और पशुपालक को मामूली राशि का भुगतान करना होता है। लेकिन दावों के निपटारे में देरी और बीमा कंपनियों की मनमानी के कारण कई बार किसानों को अपने हक के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता है।
इस फैसले के बाद राज्य के पशुपालकों के पास एक मजबूत विकल्प आ गया है। अब यदि बीमा कंपनी दावा राशि देने में देरी करती है या उसे अकारण रोकती है, तो पशुपालक उपभोक्ता फोरम में शिकायत दर्ज करा सकते हैं। उपभोक्ता फोरम में जाने के लिए पशुपालकों को कोई विशेष कानूनी जानकार की जरूरत नहीं होती। वे सीधे आवेदन देकर न्याय की गुहार लगा सकते हैं।
क्यों है यह फैसला महत्वपूर्ण?
यह फैसला इसलिए अहम है क्योंकि पशुपालन ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। पशुपालकों के लिए पशु धन बीमा योजना एक सुरक्षा कवच की तरह है, लेकिन जब बीमा कंपनियां भुगतान करने से इनकार करती हैं, तो उन्हें आर्थिक संकट का सामना करना पड़ता है। कंज्यूमर फोरम का यह फैसला बीमा कंपनियों को सख्त संदेश देता है कि वे किसानों के हक का सम्मान करें और समय पर दावों का निपटारा करें।
मध्यप्रदेश में उपभोक्ता फोरम ने बीमा कंपनियों की मनमानी पर सख्त रुख अपनाया है। पशुपालकों को बीमा दावा राशि, ब्याज और वाद व्यय दिलाने का यह आदेश राज्य के अन्य पशुपालकों के लिए एक नजीर बनेगा। अब पशुपालकों को अपने हक की लड़ाई लड़ने के लिए एक मजबूत कानूनी हथियार मिल गया है। पशुपालन और डेयरी विभाग के प्रमुख सचिव ने सभी पशुपालकों से अपील की है कि अगर उनका दावा लंबित है तो वे उपभोक्ता फोरम में शिकायत दर्ज कराएं।
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