राज्य कृषि समाचार (State News)

गुलाबी सुण्डी नियंत्रण के लिए पीबीनॉट तकनीक का व्यापक परीक्षण और प्रदर्शन

12 जुलाई 2022, भटिंडा: गुलाबी सुण्डी नियंत्रण के लिए पीबीनॉट तकनीक का व्यापक परीक्षण और प्रदर्शन – ‘प्रोजेक्ट बंधन : गुलाबी सुण्डी से सुरक्षा’ के तहत दक्षिण एशिया जैव तकनीकी केंद्र (एसएबीसी), जोधपुर ने खरीफ 2022 के लिए उत्तरी कपास उत्पादन क्षेत्र में अंबुजा सीमेंट फाउन्डेशन (एसीएफ) के साथ मिलकर पीआई फाउन्डेशन के सहयोग से केंद्रीय कपास अनुसंधान संस्थान की तकनीकी निगरानी में कीट मिलन व्यवधान (मेटिंग डिस्परशन ) पीबीनॉट तकनीक का बड़े पैमाने पर परीक्षण और प्रदर्शन किया है।

उल्लेखनीय है कि इस परीक्षण और प्रदर्शन को 7 क्लस्टर में 469 एकड़ में किया जा रहा है। प्रत्येक क्लस्टर में 65 एकड़ से ज्यादा है,जो पंजाब के भटिंडा, मानसा और फाजिल्का; हरियाणा के सिरसा व फतेहाबाद व राजस्थान के गंगानगर व हनुमानगढ़ सहित सात जिलों में फैला हुआ है।  इस व्यापक प्रदर्शन के तहत किसानों के लिए खेतों पर ही आठ गहन प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए गए। इनमें 650 से ज्यादा किसानों और खेत मजदूरों को प्रशिक्षित किया गया। एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन के तहत 7 जिलों के 7 जियोटैग मेगा कपास क्लस्टर में पीबीनॉट को सुव्यवस्थित रूप से बांधना, क्षेत्र कर्मचारियों को गहन प्रशिक्षण, स्थानीय कार्यकर्ताओं और समन्वयकों को ढ़ांचागत प्रशिक्षण दिया गया। इन 7 जिलों में पीबीनॉट बांधने के अलावा  बड़ी संख्या में फेरोमॉन ट्रैप वितरित किए गए हैं व लगाए गए हैं। कपास अवशेष व कपास के डंठलों को मच्छरदानी से ढंक दिया गया है, ताकि पीबीडब्लू कीट को इन सभी 7 पीबीनॉट क्लस्टरों में प्रवेश करने और अंडे देने से रोका जा सके।

दक्षिण एशिया जैव प्रौद्योगिकी केंद्र, जोधपुर के अध्यक्ष डॉ सीडी मायी के अनुसार “कीट मिलन व्यवधान फेरोमॉन आधारित तकनीकी नवाचार है जो पीबीडब्लू के प्रजनन चक्र को इस प्रकार प्रभावित करता है, कि उनकी आबादी में अत्यधिेक गिरावट देखी जाती है और फसल खराबी  में भी कमी आती है। पीबी नॉट डिस्पेंसर ऐसे सैक्स फेरोमॉन छोड़ता है जो नर कीट को मादा कीट को ढूंढने और मिलन से रोकता है। इससे इनका प्रजनन चक्र बाधित होता है। कीट मिलन रुकावट तकनीक पीबीडब्लू जैसे कीटों का प्रबंधन करने की सशक्त प्रक्रिया के तौर पर उभरा है।” वहीं पीआई इंडस्ट्रीज लिमिटेड के सीईओ श्री प्रशांत हेगड़े कहते हैं “पीआई फाउन्डेशन ने भारतीय कपास उत्पादकों के लिए अपने जापानी साझेदारों के साथ मिल कर यह कीट मिलन व्यवधान पीबीनॉट तकनीक नवाचार शुरू किया है। पिछले तीन सालों से भारत में व्यापक तौर पर इस तकनीक का परीक्षण किया गया है और यह पीबीडब्लू प्रबंधन में काफी प्रभावी पाई गई। ” दूसरी ओर केंद्रीय कपास अनुसंधान क्षेत्रीय स्टेशन, सिरसा के पूर्व प्रमुख डॉ दिलीप मोंगा ने कहा कि प्रोजेक्ट बंधन से उम्मीद है कि यह एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन;(आईपीएम) के एक घटक के तौर पर इस पर्यावरण अनुकूल तकनीक के असर को प्रदर्शित करेंगे। जबकि अंबुजा सीमेंट फाउन्डेशन (एसीएफ) के कार्यक्रम समन्वयक श्री राजेश सुथार ने कहा इस वर्ष एसीएफ ने दक्षिण एशिया जैव प्रौद्योगिकी केंद्र के साथ मिलकर पंजाब व राजस्थान के कपास उत्पादक क्षेत्रों में कीट नियंत्रण के लिए पीबी नॉट तकनीक की शुरूआत की है। पीबी नॉट तकनीक वयस्क पीबीडब्लू कीट के मिलन में रुकावट डालकर कीट नियंत्रण में सक्षम है। उम्मीद है कि यह प्रभावी कीट नियंत्रक तकनीक साबित होगी और कपास उत्पादकों के लिए प्रभावी व सुगम प्रक्रिया होगी।        

बता दें कि केंद्रीय कीटनाशक बोर्ड (सीआईबी) ने गुलाबी सुण्डी के प्रभावी प्रबंधन के लिए 2020 में भारत में पीबीनॉट की बिक्री के लिए पंजीकरण को मंजूरी दे दी थी। गत वर्ष पीआई ने सीआईसीआर नागपुर के तकनीकी पर्यवेक्षण में तीन सौ एकड़ से अधिक बड़े क्षेत्र में इस तकनीक के प्रदर्शन कार्यक्रम को सफलतापूर्वक संचालित किया।  दक्षिण एशिया जैवप्रौद्योगिकी केंद्र (एसएबीसी) के संस्थापक निदेशक भागीरथ चौधरी के अनुसार “कीट मिलन रुकावट तकनीक नर कीट बंध्याकरण की उन मुख्य तकनीकों में से एक है, जो अमरीका ने 2002 से 2018 के बीच वहां कई राज्यों में पीबीडब्लू उन्मूलन के लिए इस्तेमाल की। एसएबीसी खरीफ 2022-23 में देशव्यापी पीबीडब्लू प्रबंधन रणनीति एवं वैज्ञानिक कार्यक्रम की अगुवाई कर रहा है। आईसीएआर.सीआईसीआर के तकनीकी पर्यवेक्षण के तहत इस कार्यक्रम को नाम  प्रोजेक्ट बंधन : गुलाबी सुण्डी से सुरक्षा नाम दिया गया है।

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