पर्यावरण पोषक – इन्दौर बायोटेक
- अरूण डिके, डॉ. सुप्रिया रत्नपारखी
- आयुष नागर , अदिति ताम्हणे
8 मार्च 2021, इन्दौर। पर्यावरण पोषक – इन्दौर बायोटेक – इन्दौर बायोटेक इन्पुट्स एंड रिसर्च प्रा.लि., भारत के मध्य क्षेत्र का एक प्रमुख जैव उर्वरक एवं जैव कीटनाशक उद्योग है जो पच्चीस साल से अधिक वर्षों से रसायनिक उर्वरक और विषैले पौध रक्षक रसायनों के विकल्प के रूप में सुरक्षित जैव उत्पाद में अग्रणी है। हमारे पास केन्द्रीय तथा राज्य स्तरीय उत्पादन के लिए जरूरी लायसेंस उपलब्ध हैं। इस इकाई में 1000 लीटर क्षमता की द्विस्तरीय उत्पादन इकाईयाँ, फरमेंटर, स्प्रे ड्रायर, औद्योगिक सेंट्रीफ्यूज उचित भंडारण और गुणवत्ता नियंत्रण के लिए आधुनिक प्रयोगशाला उपलब्ध है। कंपनी द्वारा उत्पादित लगभग चालीस प्रकार के जैव उर्वरक और जैव कीटनाशक भारत के दस राज्यों के किसानों को भेजे जाते हैं।
इन उत्पादकों के उच्च मानकों को बनाए रखने के लिए जैव (प्रभावकारिता परीक्षण) और उसकी ताजगी (शेल्फलाइफ) का अध्ययन भी हम करते हैं। हमारे उत्पादों में ट्रायकोडर्मा (जैव फफूंद नाशक) बेसिलस थूरिंजियनिस (बी.टी. कीटनाशक) स्यूडोमोनास एवं मायकोराइजा (भूमि की उर्वरकता बनाए रखने वाले जीवाणु) किसानों के बीच विशेष रूप से लोकप्रिय हैं। इसके अलावा हमारे अन्य उत्पाद जैसे भ्रूण पोषक, कीटों के अंडे, उत्पाद की रोकथाम के लिए फेरोमोन ट्रैप, मिट्टी की उर्वरकता के लिए प्रोमाइन, वर्मीकम्पोस्ट व्यापक रूप से स्वीकार्य हैं। किसानों की मांग के अनुसार हम जीवाणुओं के मिश्रण भी प्रदान करते हैं। उत्पादन में सक्रिय हमारे वैज्ञानिक विभिन्न प्रक्रियाओं में प्रशिक्षित हैं।
हमारी विनिर्माण इकाई में विभिन्न शासकीय और कृषि अनुसंधान संस्थानों के साथ सहयोग भी किया है। इन्दौर बायोटेक हमेशा उत्पादों के उन्नयन और सुधार के लिए प्रयासरत रहती है। कंपनी की अलग से एक अनुसंधान और विकास (आर एंड डी) इकाई है जिसे सन् 2018 में ष्ठस्ढ्ढक्र (डायरेक्टर सांयटिफिक एंड इंडस्ट्रीयल रिसर्च) द्वारा मान्यता दी गई है। कंपनी को इकोसर्ट (ढ्ढस्ढ्ढ 9001-2008) और मानक पथदर्शक (Bureau of Indian Standard) ने प्रमाणित किया है ।
कृषि विज्ञान को हम सामाजिक विज्ञान मानते हैं इसलिए हमारे वैज्ञानिक समय-समय पर किसानों के खेतों में जाकर उन्हें मार्गदर्शन देते हैं उन्हें हमारे उत्पादों की और खेतों में उनका प्रयोग कैसे करें इसके लिए प्रशिक्षित भी करते हैं। हमारे सहयोगी संस्थान रंगवासा जैविक ग्राम संस्थान ने पिछले 15 वर्षों में मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, महाराष्ट्र और गुजरात से आए कृषक समूह को केंचुआ खाद कैसे बनाते हैं। जैविक खाद जैविक पौध रक्षक क्या है कैसे उपयोगी है इसके लिए प्रशिक्षण दिया है। इसके अलावा शहरों के विभिन्न स्कूली और कॉलेज के हजारों छात्र-छात्राओं को जैविक खेती से जोडऩे के लिए हमने हमारे चलित प्रदर्शन चार्ट, फ्लेक्स चार्ट, आडोविज्युअल एवं पुस्तकों का प्रकाशन भी किया है जो पूरे देश में लोकप्रिय हो रहे हैं।
हम ग्रामीण महिलाओं को रोजगार के अवसर प्रदान करते हैं और फसलों से कुटीर उद्योग चलाकर उनके गांव कैसे विकसित हो और महिला सशक्तीकरण होकर उनका आर्थिक विकास कैसे हो ये सीखने के अवसर प्रदान करते हैं। हम हमारे उत्पादों को गोबर, गोमूत्र, गुड़ और दालों के आटे में मिलाकर किस प्रकार कम दामों में खेत से मुनाफा प्राप्त कर सकते हैं, ये बताते हैं।
केंचुआ पालन और जैव उर्वरक हमने पहली बार मध्यप्रदेश में सन् 1992 में प्रारंभ किया था साथ ही खेतों के फसल अवशेषों को गोबर के साथ और हमारे द्वारा विकसित जीवाणुओं (तेजस) से खेत में ही जैव उर्वरक कैसे बनाते हैं इसका भी प्रशिक्षण दिया है।
(Nurturing Nature प्रकृति का पोषण) ये इन्दौर बायोटेक का ध्येय वाक्य हैं । (Motto) क्योंकि जब तक खेती में बहुसंख्या में पेड़ पौधे नहीं होंगे और बहुफसलीय खेती नहीं होगी, किसानों को वांछित परिणाम नहीं मिलेंगे। इसलिए प्रकृति का पोषण हम जरूरी मानते हैं ।
जैसा कि ऊपर बताया गया है। हमारा कृषि विज्ञान सामाजिक विज्ञान हैं जिसमें किसानों के साथ शहरी उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य का विचार भी जरूरी है । इसी उद्देश्य से विगत वर्षों में समान विचार वाले पद्मश्री जनक पलटा मॅकगिलिगन, सौर ऊर्जा उद्योगपति अंबरिष केला और कुछ साथियों ने मिलकर ये सोचा कि क्या कोई वैकल्पिक व्यवस्था हो सकती है जिसमें जैविक उत्पाद का पूरा पैसा किसानों का और जैविक खाद्यान्न सीधे ग्राहकों को प्राप्त हो इसके लिए हमने जैविक सेतू की स्थापना सन् 2014 में की। आज 7 वर्ष हो गए हैं किसान और ग्राहक दोनों लाभान्वित हुए हैं।
जैसा कि हमारे प्रधानमंत्री चाहते हैं किसान स्वावलंबी हो और उसका फायदा आम जनता को मिलें। इन्दौर बायोटेक उसी मार्ग पर अग्रसर हैं।