राज्य कृषि समाचार (State News)किसानों की सफलता की कहानी (Farmer Success Story)

सपनों को मिला सहारा: निर्मला और रीना की उड़ान से आत्मनिर्भरता की नई कहानी

18 जुलाई 2025, भोपाल: सपनों को मिला सहारा: निर्मला और रीना की उड़ान से आत्मनिर्भरता की नई कहानी – हम सिर्फ आटा नहीं, उम्मीदें पैक करते हैं…” — जब सिहोरा गांव की श्रीमती निर्मला शर्मा ये शब्द कहती हैं, तो उनकी आंखों में चमक और आत्मविश्वास साफ नज़र आता है। यह कहानी सिर्फ एक महिला की नहीं, बल्कि उन हजारों लोगों की है जिन्होंने प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्यम उन्नयन योजना (PM-FME) के जरिए अपने सपनों को उड़ान दी है।

श्रीमती निर्मला शर्मा

विदिशा जिले की कुरवाई तहसील के छोटे से गांव सिहोरा की रहने वाली श्रीमती निर्मला शर्मा ने जब आत्मनिर्भर बनने का सपना देखा, तो उनके पास सीमित संसाधन थे लेकिन हौसले बुलंद थे। पीएम-एफएमई योजना के तहत 26.47 लाख रुपये का ऋण लेकर उन्होंने अपने गांव में ही एक आधुनिक फ्लोर मिल और पैकेजिंग यूनिट की स्थापना की। वह स्थानीय किसानों से शरबती, काला और लाल गेहूं खरीदती हैं, उसकी ग्रेडिंग और प्रोसेसिंग कर दलिया, चापर और आटे की एक से 30 किलो तक की पैकिंग तैयार करती हैं। आज उनकी मेहनत की बदौलत यह उत्पाद न केवल देशभर में, बल्कि विदेशों में भी पहुंच रहा है। वर्ष 2022-23 में उनका टर्नओवर 12 करोड़ 42 लाख रुपये से अधिक रहा — जो यह दिखाता है कि गांव की एक महिला कैसे वैश्विक बाजार में पहचान बना सकती है।

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सीहोर जिले के हीरापुर गांव की श्रीमती रीना परमार की कहानी भी किसी प्रेरणा से कम नहीं। एक सामान्य गृहिणी से डेयरी उद्यमी बनने का उनका सफर साहस और दूरदृष्टि का परिचायक है। उन्होंने पीएम-एफएमई योजना से 25 लाख रुपये का ऋण लेकर गांव में ही डेयरी प्रोडक्ट यूनिट शुरू की। हर दिन 15,000 लीटर दूध से घी, पनीर, मावा और श्रीखंड का उत्पादन कर वे सीहोर और आसपास के क्षेत्रों में ग्राहकों की पहली पसंद बन चुकी हैं। आज उनकी यूनिट गांव की कई महिलाओं को रोजगार भी दे रही है।

ये कहानियाँ बताती हैं कि योजना सिर्फ एक आर्थिक सहायता नहीं, बल्कि सामाजिक बदलाव की नींव है। वर्ष 2024-25 में मध्यप्रदेश में इस योजना के अंतर्गत कुल 3554 लाभार्थियों को 298.48 करोड़ रुपये के ऋण वितरित किए गए। राज्य के 52 जिलों में आत्मनिर्भरता की यह लहर दौड़ रही है, जिसे उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग पूरे समर्पण से संचालित कर रहा है।

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इन महिलाओं ने न केवल खुद को आर्थिक रूप से सशक्त किया, बल्कि अपने गांवों के लोगों के लिए प्रेरणा और रोज़गार का स्रोत भी बन गईं।

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आज निर्मला और रीना जैसी महिलाएं सिर्फ नाम नहीं, बदलाव की पहचान बन चुकी हैं।

प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्यम उन्नयन योजना:

मध्यप्रदेश में आत्मनिर्भरता की नई इबारत

राज्य सरकार के उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग द्वारा क्रियान्वित की जा रही प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्यम उन्नयन योजना (PM-FME) के तहत मध्यप्रदेश में वर्ष 2024-25 में राज्य के 52 जिलों में 3554 उद्यमियों को कुल 298.48 करोड़ रुपये का ऋण वितरित किया गया है।योजना का उद्देश्य पारंपरिक खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को तकनीकी, वित्तीय और विपणन सहायता दे कर आत्मनिर्भरता और स्थानीय रोजगार को बढ़ावा देना है।

प्रमुख उपलब्धियाँ:

प्रशिक्षण सुविधा: सीहोर, मुरैना, ग्वालियर में इन्क्यूबेशन सेंटर, जहाँ व्यवसाय प्रबंधन, गुणवत्ता ,ब्रांडिंग का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

सबसे अधिक लाभार्थी: नरसिंहपुर (253 उद्यमी, ₹24.38 करोड़), खरगोन (197 लाभार्थी, ₹11.82 करोड़), दमोह (132 लाभार्थी, ₹5.93 करोड़)।

ऋण वितरण राशि में शीर्ष पर: भिंड (116 लाभार्थी, ₹22.24 करोड़), शिवपुरी (₹15.07 करोड़), ग्वालियर (₹15.18 करोड़), मुरैना (₹11.49 करोड़)।

राजधानी भोपाल में भी प्रभाव: 51 उद्यमियों को ₹5.12 करोड़ का ऋण।

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