राज्य कृषि समाचार (State News)

हतुनिया के रतन को मिला सिंचाई का सहारा

नीमच। ऐसा ही हुआ नीमच जिले के वाटरशेड परियोजना ग्राम हतुनिया में जहां पर रतन मेघवाल एवं उसका परिवार रहता है। परिवार में 6 सदस्य और लगभग 4 हैक्टेयर असिंचित कृषि भूमि जिस पर वह खरीफ में मात्र एक फसल उड़द ले पाता था, बाकी पूरे साल सिंचाई के अभाव में भूमि पड़ती रहती थी और वह परिवार के पालन पोषण के लिये मजदूरी पर ही निर्भर था। मजदूरी भी नियमित रूप से नहीं मिल पाती थी, ठेकेदारों के यहां मजदूरी किया करता था, यहां उसे उसकी मेहनत की अपेक्षा कम पैसा मिल पाता था और शोषण होता था। कई बार बंधुआ मजदूर के रूप में भी काम करना पड़ता था। यह सिलसिला लगभग 15 वर्षो से चल रहा था परंतु उसके मन में हमेशा यह चाह थी की वह कुछ स्वयं का व्यवसाय करें जिससे वह ज्यादा पैसा कमा सके और उसका परिवार स्थायी रूप से अच्छा जीवनयापन कर सके। खेती और मजदूरी से वह वर्ष में लगभग 1.25 लाख रुपये तक ही कमा पाता था जो वर्तमान समय में पूरे परिवार की जरूरतों को पूरा करने के लिये कम है।
वाटरशेड योजना आने के बाद हतुनिया में एवं आस-पास के गांवों में लगभग 3 वर्षों से यह निर्माण कार्यो में मजदूरी का कार्य कर रहा था, कभी-कभी वह एन.एम. सद्गुरु वाटर डेव्लहपमेंट फाउंडेशन की वाटरशेड समिति की बैठकों में भी आ जाता और सरकार की विभिन्न योजनाओं एवं गतिविधियों के बारे में सुना करता था, पिछली बैठक में भी वह आया और उसने अपनी सिंचाई संबंधी समस्या को विस्तारपूर्वक बताया, जिस पर वाटरशेड समिति ने उसकी समस्याओं का विश्लेषण कर यह निर्णय लिया कि कृषि विभाग के सहयोग से उसकी निजी भूमि पर खेत तालाब का निर्माण किया जाय जिससे उसके खेत के आसपास बहने वाले नालों से एक जगह पानी को रोका जा सके। उसके पश्चात उस पानी को उसके खेत तक पहुंचाने के लिये वाटरशेड योजना के कृषि मद से अंशदान पर सिंचाई पाईप लाईन एवं डीजल पम्प देने का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किया गया। उक्त बैठक के बाद कृषि विभाग में खेत तालाब खुदवाने हेतु दस्तावेज की फाईल जमा कर स्वीकृति ली गई और तालाब खुदवाया गया। तालाब खोदने के पश्चात बारिश में तालाब में पानी को रोका गया। जिसके कारण उसने खरीफ 2013 में पहली बार सोयाबीन की फसल ली सोयाबीन के उत्पादन से उसने लगभग 1.60 लाख रु. कमाये। रबी में उसने भूमि को सिंचित कर 3 हैक्टर भूमि में धनिया एवं लगभग 1 हैक्टर में गेहूं व चना बोया है। पिछली रबी में उसे लगभग 5.00 लाख की आय हुई। इस कमाई से वह अपने परिवार की स्थायी आजीविका का निर्वाह गुणवत्ता पूर्वक कर पायेगा। आज की स्थिति में रतन एवं उसका परिवार बहुत खुश है।

प्राकृतिक जायद मूंग फसल में मिट्टी बनी सहारा

Advertisements

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *