अधिक उपज देने वाली जलवायु अनुकूल फसलों का विकास
20 मार्च 2025, भोपाल: अधिक उपज देने वाली जलवायु अनुकूल फसलों का विकास –
2014-2024 के दौरान, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के तत्वावधान में आईसीएआर संस्थानों और राज्य/केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालयों सहित राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रणाली (एनएआरएस) ने 2900 स्थान विशिष्ट उन्नत फसल किस्में/संकर विकसित की हैं जिनमें अनाज की 1380, तिलहन की 412, दलहन की 437, फाइबर फसलों की 376, चारा फसलों की 178, गन्ने की 88 और अन्य फसलों की 29 शामिल हैं। इन 2900 किस्मों में से 2661 किस्में (अनाज 1258; तिलहन 368; दलहन 410; फाइबर फसलें 358; चारा फसलें 157, गन्ना 88 और अन्य फसलें 22) एक या एक से अधिक जैविक और/या अजैविक तनावों के प्रति सहनशील हैं। इस अवधि के दौरान चावल (14), गेहूँ (53), मक्का (24), बाजरा (26), तिलहन (21), दालें (9) और अनाज चौलाई (5) की 152 जैव-प्रबलित किस्में जारी और अधिसूचित की गई हैं। इसी तरह, बागवानी फसलों में, पिछले दस वर्षों (2014-2024) के दौरान, कुल 819 किस्में जारी और अधिसूचित की गई हैं, जिनमें बारहमासी मसाले (60), बीज मसाले (49), आलू और उष्णकटिबंधीय कंद फसलें (71), बागान फसलें (26), फल फसलें (123), सब्जी फसलें (429), फूल और अन्य सजावटी पौधे (53) और औषधीय और सुगंधित पौधे (8) शामिल हैं; जिनमें से 19 जैव-प्रबलित किस्में हैं। यह जानकारी कृषि राज्य मंत्री श्री भागीरथ चौधरी ने लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दी । विभिन्न एजेंसियों से प्राप्त मांगों के अनुसार इन किस्मों के प्रजनक और गुणवत्ता वाले बीजों का उत्पादन करने के लिए व्यवस्थित प्रयास किए गए हैं। किसानों को बीज की शीघ्र आपूर्ति के लिए रबी 2024-25 से पर्याप्त गुणवत्ता वाले प्रजनक बीज उत्पादन और खरीफ 2025 के लिए प्रसंस्करण की योजना बनाई गई है।
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