शिवपुरी जिले में फसल अवशेष जलाने पर पूर्ण प्रतिबंध
22 अक्टूबर 2025, शिवपुरी: शिवपुरी जिले में फसल अवशेष जलाने पर पूर्ण प्रतिबंध – खरीफ फसलों की कटाई के उपरांत कृषकों द्वारा खेतों में पराली या नरवाई जलाने की प्रवृत्ति को रोकने एवं पर्यावरण संरक्षण के उद्देश्य से जिला प्रशासन द्वारा कठोर कदम उठाए गए हैं। कलेक्टर एवं जिला मजिस्ट्रेट श्री रवीन्द्र कुमार चौधरी ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 163 के तहत जिले की समस्त राजस्व सीमाओं में फसल अवशेष जलाने पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगाने के आदेश जारी किए हैं।
कलेक्टर श्री चौधरी ने कृषकों से अपील की है कि वे अपने खेतों में पराली या नरवाई न जलाएं और पर्यावरण की रक्षा के साथ-साथ भूमि की उर्वरता बनाए रखने के लिए फसल अवशेषों का वैज्ञानिक प्रबंधन अपनाएं। फसल अवशेष जलाना पर्यावरण और भूमि दोनों के लिए हानिकारक वर्तमान समय में कृषक खरीफ फसलों धान, मक्का, सोयाबीन, अरहर आदि की कटाई के साथ-साथ रबी फसलों गेहूँ, चना, मसूर, सरसों, मटर आदि की बुवाई की तैयारी में जुटे हैं। कुछ कृषक फसल कटाई के बाद खेत में बचे अवशेषों को जलाकर समाप्त करते हैं, जो भूमि और पर्यावरण दोनों के लिए गंभीर रूप से हानिकारक है। पराली जलाने से भूमि का तापमान बढ़ जाता है, मिट्टी में पाए जाने वाले लाभदायक जीवाणु नष्ट हो जाते हैं, धुआं वायु प्रदूषण फैलाता है और कई बार इससे आगजनी की घटनाएं भी हो जाती हैं, जिससे पशुधन एवं जनहानि की संभावना बढ़ जाती है।
अपनाएं आधुनिक कृषि यंत्रों से अवशेष प्रबंधन – उप संचालक कृषि द्वारा कृषकों को सलाह दी गई है कि फसल अवशेषों का प्रबंधन आधुनिक कृषि यंत्रों जैसे स्ट्रा रीपर सुपर सीडर, हैप्पी सीडर, स्मार्ट सीडर, रोटावेटर, बेलर आदि के माध्यम से किया जा सकता है। फसल अवशेषों को भूमि में मिलाने से न केवल मिट्टी की उर्वरता और जल धारण क्षमता बढ़ती है, बल्कि खेती की लागत में भी कमी आती है। सुपर सीडर एवं हैप्पी सीडर जैसे यंत्रों से किसान बिना खेत की दोबारा जुताई किए सीधे रबी फसलों की बुवाई कर सकते हैं, जिससे समय, श्रम और लागत तीनों की बचत होती है। उल्लंघन पर देना होगा पर्यावरणीय मुआवजा कलेक्टर द्वारा जारी आदेश के अनुसार यदि किसी व्यक्ति या संस्था द्वारा खेत में फसल अवशेष जलाने का उल्लंघन किया जाता है, तो उसे पर्यावरणीय मुआवजा (Environmental Compensation) देना होगा। छोटे भूमि मालिक जिनकी भूमि 2 एकड़ से कम है, उन्हें ₹2,500 प्रति घटना, 2 से 5 एकड़ के बीच भूमि वाले कृषकों को ₹5,000 प्रति घटना, तथा 5 एकड़ से अधिक भूमि वाले कृषकों को ₹15,000 प्रति घटना का मुआवजा देना होगा।
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