दतिया जिले में पराली जलाने पर लगाया प्रतिबंध
30 नवंबर 2024, दतिया: दतिया जिले में पराली जलाने पर लगाया प्रतिबंध – शासन के निर्देशानुसार कलेक्टर श्री संदीप कुमार माकिन ने जिले में आज पुनः आदेश जारी कर शासन के निर्देशों के तहत जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण दतिया द्वारा आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 की धारा 30 (अ) के अंतर्गत आदेशित किया है कि संबंधित क्षेत्र के अधिकारी अपने कर्तव्य स्थल के अंतर्गत आने वाले ग्रामीण/शहरी परिक्षेत्र में पराली जलाने से होने वाली दुर्घटना से बचाव हेतु कैंप आयोजित कर लोगों में जागरूकता लाए। उक्त परिस्थिति में आदेश का पालन न होने पर संबंधित के विरुद्ध आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 की धारा 56 के अंतर्गत यथोचित कार्यवाही की जाएगी।
उन्होंने निर्देश दिए कि मध्य प्रदेश शासन पर्यावरण विभाग द्वारा पत्र क्रमांक एफ-12-37/2017/18-5 भोपाल 15 मई 2017 द्वारा वायु प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण अधिनियम 1981 की धारा 19(1) के अंतर्गत जारी अधिसूचना क्रमांक 1481-1473-32-88 दिनांक 9 मार्च 1988 के माध्यम से वायु प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण अधिनियम 1981 के प्रावधानों केे अनुपालन हेतु संपूर्ण मध्य प्रदेश को वायु प्रदूषण नियंत्रण हेतु अधिसूचित किया गया है। मध्य प्रदेश में वायु प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण अधिनियम 1981 की धारा 5 के तहत नरवाई जलाना तत्समय से तत्काल प्रतिबंधित किया गया है, जो कि वर्तमान में निरंतर है। पर्यावरण विभाग द्वारा उक्त अधिसूचना अंतर्गत नरवाई में आग लगाने वालों के विरुद्ध क्षतिपूर्ति हेतु दंड का प्रावधान किया गया है। जिसमें 2 एकड़ तक के कृषकों केा 2500 रूपये का अर्थदंड प्रतिघटना, 2 से 5 एकड़ तके कषकों को 5 हजार रूपये का अर्थदंड प्रतिघटना तथा 5 एकड़ से बडे कृषकों केा 15 हजार रूपये का अर्थदंड प्रतिघटना अधिरोपित किया जाएगा।
खेत में आग के अनियंत्रित होने पर जन संपत्ति व प्राकृतिक वनस्पति, जीवजंतु आदि नष्ट हो जाते है, जिससे व्यापक पारिस्थितिक नुकसान होता है। खेत की मिटटी की प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले लाभकारी सूक्ष्म जीवाणु इससे नष्ट होते है, जिससे खेत की उर्वरा शक्ति शनैः शनैः घट रही है और उत्पादन प्रभावित हो रहा है। खेत में पड़ा कचरा, भूसा, डंठल सड़ने के बाद भूमि केा प्राकृतिक रूप से उपजाऊ बनाते है, इन्हें जलाकर नष्ट करना प्राकृतिक खाद को नष्ट करना है। आग लगाने से हानिकारक गैसों का उत्सर्जन होता है, जिससे पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। जिले में कई कृषकों द्वारा सुपरसीडर, हैप्पीसीडर व अन्य साधनों से डंठल खेत से हटाने हेतु साधन अपनाए जाने लगे है। कृषकों के पास वैकल्पिक सुविधा जो कि जनहित में भी उपलब्ध हो गई है। नरवाई जलाने से भूमि की लवण सांद्रता प्रभावित होती है जो कि पौधों द्वारा पोषक तत्वों के अवशोषण की दर निर्धारित करती है। यह आदेश तत्काल प्रभाव से पूरे जिले में प्रभावशील होगा। इस आदेश का उल्लंघन करने वाले व्यक्ति के विरुद्ध भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2003 की धारा 223 के अंतर्गत कार्यवाही की जाएगी।
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