राज्य कृषि समाचार (State News)उद्यानिकी (Horticulture)

फसल बीमा को लेकर जनसुनवाई में की शिकायत

उद्यानिकी फसल का बीमा शुरू करने की मांग

26 जुलाई 2025,  (उमेश खोड़े, पांढुर्ना): फसल बीमा को लेकर जनसुनवाई में की शिकायत – किसानों के लिए  खरीफ 2025 में प्रदेश सरकार द्वारा फसलों का बीमा करवाने की अंतिम तिथि 31 जुलाई निर्धारित की गई है। लेकिन फसल बीमा के मुआवजे के बारे में  किसानों का कहना है कि फसल नुकसानी के बाद भी उचित और सही समय पर मुआवजा नहीं  दिया जाता है।  ग्राम धावड़ीखापा के किसान श्री मंसाराम पिता झोट्या खोड़े ने ऐसी ही कई बातों को लेकर  गत दिनों कलेक्टर कार्यालय की जन सुनवाई में की शिकायत की ।

 श्री मंसाराम ने खोड़े ने 6  बिंदुओं में अपनी शिकायत में कहा कि  फसल नुकसानी के बाद भी उचित और समय पर मुआवजा नहीं  दिया जाता है। जो थोड़ा मुआवजा मिलता भी है, तो उसे लेकर भी किसानों को विभिन्न विभागों में भटकना पड़ता है। उद्यानिकी फसलों का बीमा भी सरकार ने 2019  से बंद कर रखा है। महाराष्ट्र में किसानों का मात्र एक रुपए में फसल बीमा किया जाता है, उसी तर्ज़  पर मप्र में भी किया जाना चाहिए।   मुआवजे को लेकर किसानों के अनुभव अच्छे नहीं है। ऐसे में बीमा कम्पनी, कृषि विभाग और राजस्व विभाग की स्पष्ट जिम्मेदारी तय की जानी चाहिए। क्षेत्र में वर्ष 2016 -17 से 2018 -19  तक का उद्यानिकी /कृषि विभाग का क्लेम बकाया है , जबकि वर्ष 2019 -20 से 2024 -25  तक की कृषि विभाग से कई किसानों की करोड़ों की क्लेम राशि किसानों के खाते में नहीं पहुंची है। संबंधित विभागों द्वारा क्लेम सूची पुनः चस्पा की जाने की भी मांग की गई।  

इस संबंध में ग्राम बोरखेड़ी के किसान श्री रवि केवटे ने कृषक जगत को बताया कि दो -तीन साल से फसल बीमा का क्लेम नहीं मिला है। मेरे द्वारा तीन एकड़ में संतरे की फसल ली जाती है, लेकिन करीब 5 सालों से उद्यानिकी फसलों का बीमा नहीं किया जा रहा है , ऐसे में नुकसानी होने पर किसानों को बहुत हानि होती है। वहीं ग्राम धावड़ीखापा के किसान श्री प्रकाश देशमुख ने कहा कि फसल बीमा में सभी फसलें आनी चाहिए।  कोरोना काल  के बाद से उद्यानिकी फसलों का बीमा नहीं किया जा रहा है। सिर्फ  सामान्य फसल का बीमा हो रहा है , जिसकी प्रीमियम भी ज़्यादा है। महाराष्ट्र में किसानों की फसल का एक रुपए बीमा हो रहा है। मप्र में भी इसे लागू करना चाहिए । पूरे देश में फसल बीमा की प्रीमियम दरें केंद्रीयकृत होनी चाहिए ,ताकि अधिक से अधिक किसान इसका लाभ ले सकें। मप्र में फसल बीमा का ग्राफ हर साल गिर रहा है। यह योजना अच्छी है, लेकिन इसकी प्रक्रियागत जो त्रुटियां हैं, उनमें सुधार की ज़रूरत है। ग्राम हिवरा  खंडेरवार के प्रगतिशील  एवं केंद्रीय कृषि मंत्री से सम्मानित कृषक श्री योमदेव उर्फ राजकुमार कालबांडे ने कहा कि  उद्यानिकी फसलों का भी बीमा होना चाहिए।  क्षेत्र में संतरे की फसल दोनों   सीजन में ली जाती है। लेट तुड़ाई  दिसंबर -जनवरी तक होती है। उस अवधि तक संतरा फसल का बीमा किया जाना चाहिए।

आपसी  समन्वय नहीं –  कृषि, राजस्व  विभाग एवं  फसल बीमा कम्पनी के बीच आपसी समन्वय नहीं होने से  किसानों को अपेक्षित  सहयोग नहीं  मिल पाता है । कृषक जगत प्रतिनिधि द्वारा एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कम्पनी ( एआईसी ) के पांढुर्ना जिला प्रतिनिधि श्री प्रियंक खरे को  किसानों के हित में  पांढुर्ना में फसल बीमा पाठशाला आयोजित किए जाने  बाबत पूछा गया , तो श्री खरे ने बताया कि पांढुर्ना में फसल बीमा  पाठशाला आयोजित की गई थी , जबकि किसानों ने ऐसी कोई पाठशाला होने से इंकार किया । यहां तक की पांढुर्ना के वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी श्री विनोद लोखंडे ने भी पांढुर्ना में फसल बीमा पाठशाला नहीं होने की पुष्टि की। इस तरह फसल बीमा कम्पनी द्वारा भ्रामक जानकारी दी गई।

अधिकारियों का कथन –  श्री एम एल उइके , उप संचालक उद्यान , छिंदवाड़ा ने कृषक जगत को बताया कि 2019 से उद्यानिकी फसलों का बीमा बंद है।  इसका निर्णय शासन स्तर से होगा । उद्यानिकी फसल बीमा के लिए निविदा जारी होने के बाद कंपनियां आएंगी। उसके बाद ही  उद्यानिकी फसलों का बीमा हो पाएगा।

 श्री सिद्धार्थ दुपारे , वरिष्ठ उद्यान विकास अधिकारी , पांढुर्ना ने  कृषक जगत को बताया कि हम तो चाहते हैं कि उद्यानिकी फसलों का बीमा हो। लेकिन उद्यानिकी फसल का बीमा प्रशासन स्तर का मामला है। गत वर्ष भी इसी विषय का मांग पत्र वरिष्ठ कार्यालय को भेज दिया था।

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