जबलपुर और भोपाल के कलेक्टरों ने किसानों के लिए दिया ये फरमान
27 दिसंबर 2024, भोपाल: जबलपुर और भोपाल के कलेक्टरों ने किसानों के लिए दिया ये फरमान – जबलपुर और भोपाल के कलेक्टरों ने पराली जलाने पर सख्ती दिखाते हुए आदेश दिया है कि जो किसान पराली जलाएं उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करें। किसानों को ही टारगेट करते हुए एमपी हाईकोर्ट बार ने अनोखा निर्णय लिया है। बार ने सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया कि पराली जलाने वाले आरोपी किसानों की हाईकोर्ट का कोई भी वकील पैरवी नहीं करेगा।
कलेक्टर और एमपी हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के फैसले के बाद आरएसएस समर्थक किसान संगठन अखिल भारतीय किसान संघ मैदान में आ गया है। किसार संघ ने कहा कि किसानों के खिलाफ एफआईआर हुई तो किसान पराली लेकर कलेक्टर दफ्तर पहुंचा जाएंगे। बार एसोसिएशन के निर्णय पर कहा कि आतंकवादियों के लिए देर रात कोर्ट के दरवाजे खुल जाते हैं। एडवोकेट मुकदमा भी लड़ते हैं। पराली जलाने को लेकर किसानों का कोई दोष नहीं है। फिर भी किसानों को दोषी ठहराया जाता है। अब न्याय पाने के अधिकार से भी वंचित किया जा रहा है। पर्यावरण विशेषज्ञों की दृष्टि से भी देखें तो किसानों पर शासन-प्रशासन की सख्ती से हैरत होगी। देश-दुनिया के अनेक अध्ययनों से यह साफ हो गया है कि वायु प्रदूषण के प्रमुख कारणों में औद्योगिक और वाहनों से निकलने वाला धुआं, निर्माण कार्यों से उत्पन्न धूल और मलबा, बिजली के लिए ताप विद्युत पर निर्भरता, खुले में कचरा जलाना तथा खाना पकाने और तापने के लिए लकड़ी और गोबर का उपयोग, जंगल की आग, बदलता मौसम शामिल हैं। कृषि संबंधी गतिविधियों का दोष बहुत बाद में हैं। लेकिन सरकारें उद्योगों व वाहनों से होने वाले प्रदूषण पर मौन रहती है। खुले में कचरा जलाने जैसी आदतों से नगर निगमों के कर्मचारियों ने ही छुटकारा नहीं पाया है। पेंट, क्लीनर, परफ्यूम, डियोड्रेंट जैसे उत्पाद भी हवा की गुणवत्ता को खराब करते हैं लेकिन घरों के बाहर और भीतर विभिन्न प्रकार के वायु प्रदूषण के कारणों पर सरकारों की अजीब चुप्पी है। विकास के नाम पर हो रहे निर्माण और सामंजस्य के बिना पक्के निर्माण में बार-बार की तोड़फोड़ पर कोई लगाम नहीं है।
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