राज्य कृषि समाचार (State News)

छत्तीसगढ़: 45 साल बाद शुरू होगी पीपरछेड़ी सिंचाई परियोजना, 5,000 किसानों को मिलेगा फायदा

13 मई 2025, रायपुर: छत्तीसगढ़: 45 साल बाद शुरू होगी पीपरछेड़ी सिंचाई परियोजना, 5,000 किसानों को मिलेगा फायदा – गरियाबंद जिले के मड़ेली में 45 साल से अधूरी पड़ी पीपरछेड़ी सिंचाई परियोजना को आखिरकार हरी झंडी मिल गई है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने इस परियोजना को पूरा करने की घोषणा की, जिससे 10 से अधिक गांवों के करीब 5,000 किसानों को सिंचाई सुविधा मिलने की उम्मीद जगी है। इस कदम से क्षेत्र में कृषि उत्पादन और किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार की संभावना है।

यह परियोजना 1977 में घुनघुट्टी नाला पर बांध बनाकर शुरू की गई थी, जिसका मकसद आसपास के गांवों में सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराना था। लेकिन 1980 में वन अधिनियम लागू होने के कारण पर्यावरणीय स्वीकृति न मिलने से काम रुक गया। इसके बाद कई दशकों तक यह योजना अधर में लटकी रही, और स्थानीय किसानों की उम्मीदें धूमिल होती गईं।

हाल ही में केंद्र सरकार ने इस परियोजना के लिए पर्यावरणीय मंजूरी दी, जिसके बाद मुख्यमंत्री साय ने सुशासन तिहार समाधान शिविर में इसकी स्वीकृति की घोषणा की। इस मौके पर उन्होंने कहा, “यह सिर्फ एक परियोजना नहीं, बल्कि किसानों के संघर्ष, प्रतीक्षा और उम्मीद की जीत है। यह सुशासन तिहार का असली अर्थ है – लोगों के जीवन में वास्तविक बदलाव लाना।”

इस परियोजना के पूरा होने से क्षेत्र के किसानों को स्थायी सिंचाई सुविधा मिलेगी, जिससे फसल उत्पादन में वृद्धि और आर्थिक स्थिरता की संभावना बढ़ेगी। स्थानीय किसानों का कहना है कि इस परियोजना के रुकने से उनकी खेती बारिश पर निर्भर थी, लेकिन अब उन्हें नियमित पानी मिलने की उम्मीद है। यह परियोजना क्षेत्र के समग्र विकास के लिए भी एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।

हालांकि, परियोजना को समय पर पूरा करना और इसके लाभ को सभी जरूरतमंद किसानों तक पहुंचाना अभी भी एक चुनौती है। क्षेत्रवासियों को उम्मीद है कि यह घोषणा कागजी न रहकर वास्तव में उनके खेतों तक पानी पहुंचाएगी।

(नवीनतम कृषि समाचार और अपडेट के लिए आप अपने मनपसंद प्लेटफॉर्म पे कृषक जगत से जुड़े – गूगल न्यूज़,  टेलीग्रामव्हाट्सएप्प)

(कृषक जगत अखबार की सदस्यता लेने के लिए यहां क्लिक करें – घर बैठे विस्तृत कृषि पद्धतियों और नई तकनीक के बारे में पढ़ें)

कृषक जगत ई-पेपर पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:

www.krishakjagat.org/kj_epaper/

कृषक जगत की अंग्रेजी वेबसाइट पर जाने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:

www.en.krishakjagat.org

Advertisements