छत्तीसगढ़: रायपुर में बाँस टिशू कल्चर प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन, 20 प्रतिभागियों ने लिया हिस्सा
04 अगस्त 2025, भोपाल: छत्तीसगढ़: रायपुर में बाँस टिशू कल्चर प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन, 20 प्रतिभागियों ने लिया हिस्सा – इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर के आणविक जीवविज्ञान एवं जैव प्रौद्योगिकी विभाग में आयोजित पाँच दिवसीय “बाँस के टिशू कल्चर के माध्यम से सूक्ष्म प्रजनन पर क्षमता निर्माण प्रशिक्षण कार्यक्रम” का समापन हो गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य युवाओं, शोधकर्ताओं और तकनीकी कर्मचारियों को बाँस सूक्ष्मप्रजनन (micropropagation) की व्यावहारिक समझ और वैज्ञानिक दक्षता प्रदान करना था।
समापन समारोह के मुख्य अतिथि कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल थे, जबकि अध्यक्षता कृषि महाविद्यालय, रायपुर की अधिष्ठाता डॉ. आरती गुहे ने की। आयोजन सचिव डॉ. ज़ेनू झा ने पूरे प्रशिक्षण की रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसमें पाँच दिनों की गतिविधियों की जानकारी दी गई। रिपोर्ट में बताया गया कि प्रशिक्षण के दौरान प्रतिभागियों को एक्सप्लांट की तैयारी, शूट मल्टीप्लिकेशन, रूटिंग तकनीक, अनुकूलन प्रोटोकॉल, संदूषण प्रबंधन और आणविक नैदानिक तकनीकों के बारे में विस्तार से सिखाया गया।
आईजीकेवी से जुड़े वैज्ञानिक और छात्र शामिल
प्रशिक्षण में कुल 20 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया, जिनमें आईजीकेवी के विभिन्न केंद्रों से 12 वैज्ञानिक और तकनीशियन, तथा विभाग के 8 छात्र शामिल थे। प्रतिभागियों ने इस प्रशिक्षण को अत्यंत लाभकारी बताया। खास तौर पर डॉ. श्याम सुंदर शर्मा (टेरी, नई दिल्ली) द्वारा वाणिज्यिक सूक्ष्मप्रजनन पर दिया गया सत्र सबसे ज्यादा सराहा गया।
कुलपति ने प्रतिभागियों की सराहना की
डॉ. गिरीश चंदेल ने प्रतिभागियों के वैज्ञानिक उत्साह और सीखने की इच्छा की प्रशंसा की। उन्होंने बाँस की खेती और सूक्ष्मप्रजनन के क्षेत्र में संस्थागत सहयोग जारी रखने का आश्वासन भी दिया। साथ ही, राष्ट्रीय बाँस मिशन जैसी योजनाओं के अनुरूप ऐसे प्रशिक्षण कार्यक्रमों के आयोजन के लिए विभाग की सराहना की।
प्रमाण पत्र वितरण के साथ कार्यक्रम सम्पन्न
समारोह का समापन डॉ. सुनील कुमार वर्मा द्वारा प्रस्तुत धन्यवाद ज्ञापन और प्रमाण पत्र वितरण के साथ हुआ। यह आयोजन हरित जैवप्रौद्योगिकी और सतत कृषि के क्षेत्र में छत्तीसगढ़ और इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय की महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाता है।
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