राजस्थान में जैविक खेती को बढ़ावा: वर्मी कम्पोस्ट इकाई लगाने पर मिलेगा 50 हजार तक की सब्सिडी
12 सितम्बर 2024, जयपुर: राजस्थान में जैविक खेती को बढ़ावा: वर्मी कम्पोस्ट इकाई लगाने पर मिलेगा 50 हजार तक की सब्सिडी – राजस्थान सरकार ने किसानों को जैविक खेती के प्रति प्रोत्साहित करने और उनकी आय बढ़ाने के लिए एक नई योजना का ऐलान किया है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की अगुवाई वाली सरकार ने किसानों को वर्मी कम्पोस्ट इकाई स्थापित करने पर 50 हजार रुपये तक का अनुदान देने की घोषणा की है। इस योजना के तहत किसानों को कुल लागत का 50 प्रतिशत या अधिकतम 50 हजार रुपए तक का अनुदान मिलेगा।
बून्दी जिले में इस योजना के तहत 100 स्थायी वर्मी कम्पोस्ट इकाइयां स्थापित की जाएंगी। राजस्थान सरकार ने इस योजना को वित्तीय वर्ष 2024-25 के बजट में शामिल किया था। योजना का मुख्य उद्देश्य रासायनिक खादों और कीटनाशकों के अत्यधिक उपयोग से बंजर होती जमीन को बचाना और खाद्यान्न की गुणवत्ता को सुधारना है।
योजना से जुड़ने के तरीके किसान इस योजना का लाभ उठाने के लिए अपने नजदीकी ई-मित्र केंद्र पर जाकर या राजकिसान साथी पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। आवेदन केवल ऑनलाइन माध्यम से ही स्वीकार किए जाएंगे। “पहले आओ, पहले पाओ” की तर्ज पर अनुदान दिया जाएगा, लेकिन यदि आवेदन ज्यादा होते हैं तो लॉटरी के माध्यम से चयन किया जाएगा।
अनुदान पाने की पात्रता इस योजना का लाभ वही किसान उठा सकते हैं जिनके पास 0.4 हेक्टेयर या उससे अधिक कृषि योग्य भूमि है। उनके पास पर्याप्त पशुधन, पानी और जैविक कचरे की उपलब्धता होनी चाहिए। अगर किसान के पास खुद की भूमि नहीं है, लेकिन वे अपने परिवार की जमीन पर खेती करते हैं, तो वे अपने पिता के नाम पर भू-स्वामित्व का राजस्व विभाग से प्रमाण पत्र लेकर आवेदन कर सकते हैं।
आवेदन की प्रक्रिया और शर्तें कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक महेश शर्मा ने बताया कि आवेदन ऑनलाइन ही स्वीकार किए जाएंगे और आवेदकों को उनके मोबाइल पर एसएमएस के जरिए जानकारी दी जाएगी। अगर आवेदन में कोई त्रुटि पाई जाती है, तो आवेदक को इसे ठीक करने के लिए 15 दिनों का समय मिलेगा। यदि तय समय में त्रुटियों को नहीं सुधारा गया, तो आवेदन स्वतः निरस्त हो जाएगा।
योजना का उद्देश्य और लाभ यह योजना किसानों को जैविक खेती की ओर आकर्षित करने और मृदा स्वास्थ्य को बेहतर करने के उद्देश्य से शुरू की गई है। वर्मी कम्पोस्ट इकाई के माध्यम से किसानों को गोबर और कचरे से उच्च गुणवत्ता वाली जैविक खाद बनाने का मौका मिलेगा, जिससे जमीन की उर्वरता बढ़ेगी और बंजर भूमि की समस्या से निपटा जा सकेगा। इसके साथ ही, यह योजना पर्यावरण संतुलन बनाए रखने और किसानों की आय बढ़ाने में सहायक होगी।
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