सर्दी के मौसम में मछलियों की देखभाल: मत्स्य पालकों के लिए जरूरी टिप्स
लेखक: डॉ. सतेंद्र कुमार, वैज्ञानिक (मत्स्य पालन), कृषि विज्ञान केंद्र, टीकमगढ़ (म.प्र.), डॉ. बी. एस. किरार प्रधान वैज्ञानिक, एवं प्रमुख कृषि विज्ञान केंद्र, टीकमगढ़(म.प्र.)
18 दिसंबर 2024, भोपाल: सर्दी के मौसम में मछलियों की देखभाल: मत्स्य पालकों के लिए जरूरी टिप्स – मछली एक शीत रक्त (cold blooded) जलीय जीव है, इसलिए सर्दियों के दौरान इनकी विशेष देखभाल की आवश्यकता होती है और सर्दी का मौसम मछलियों के लिए चुनौतीपूर्ण होता है। तापमान में गिरावट, ऑक्सीजन का स्तर कम होना और अन्य कारक मछलियों के स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकते हैं। मत्स्य पालकों को इस मौसम में विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है।
सर्दी के मौसम में मछलियों की देखभाल के लिए कुछ महत्वपूर्ण सुझाव:
1. पानी का तापमान:
- सर्दियों में पानी का तापमान कम हो जाता है। मछलियों की प्रजाति के अनुसार उपयुक्त तापमान बनाए रखने का प्रयास करें।
- उथले तालाब में, पूरा पानी ठंडा हो जाता है, जो मछलियों के स्वास्थ्य को प्रभावित करता है और घातक साबित हो सकता है।
- प्राय: सर्दियों में सतही जल का तापमान निचली परतों से ठंडा होता है, इसलिए मछलियाँ निचले तल में रहना पसंद करती हैं। किसानों को तालाब में पानी की गहराई कम से कम 6 फीट तक रखनी चाहिए, ताकि उन्हें गर्म निचले क्षेत्र में हाइबरनेटिंग के लिए पर्याप्त जगह मिल सके।
- यदि तापमान बहुत कम हो जाए तो नल कूप (बोरवेल) द्वारा समय-समय पर (प्राय: सुर्योदय के पूर्व या देर रात) आंशिक रुप से गर्म पानी का उपयोग कर सकते हैं, लेकिन ध्यान रखें कि तापमान में अचानक बदलाव न आए।
2. ऑक्सीजन का स्तर:
- सर्दियों में पानी में ऑक्सीजन का स्तर कम हो जाता है जो मछली के विकास को प्रभावित करता है और गंभीर स्थिति में मृत्यु का कारण भी बन सकता है।
- सर्दियों के दौरान दिन की लंबाई और प्रकाश की तीव्रता भी कम हो जाती है, प्रकाश संश्लेषण गतिविधि कम होने के कारण तालाबों में ऑक्सीजन का स्तर कम हो जाता है इसलिए तालाब के पानी को वातन (एरिएशन) और समय-समय पर आंशिक रुप से पानी बदने की सलाह दी जाती है। लगातार बादल छाए रहने के दौरान स्थिति और भी खराब हो सकती है। किसानों को सलाह दी जाती है कि वे अपने तालाबों में खासकर सुबह के समय ताज़ा पानी डालकर या एरेटर का उपयोग करके ऑक्सीजन का स्तर बनाए रखें और मछलियों को आहार देना बंद कर दें। ।
- तालाब में घुलनशील ऑक्सीजन की मात्रा कम होने पर ऑक्सीजन बढ़ाने वाला टेवलेट का छिड़काव 400 ग्राम / एकड़ की दर से करें या शाम एवं सुवह में 2 घंटा एयरेटर चलाएँ।
- तालाब में पानी की सतह को बर्फ से ढकने से रोकें।
3. आहार प्रबंधन:
- सर्दियों में मछलियां कम खाती हैं। इसलिए, उन्हें सुर्योदय पश्चात आहार दे और आहार की मात्रा आवश्यकतानुसार कम कर सकते है।
- मौसम का तापमान 20 डिग्री सेल्सियस से कम एवं 36 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा होने पर पूरक आहार का प्रयोग आधा कर देना चाहिए।
- तापमान में कमी के साथ मछलियों का आहार कम हो जाता है क्योंकि उनका पाचन तंत्र सुस्त हो जाता है। इसलिए, तापमान के आधार पर आहार की दर को 50-75% तक कम करना आवश्यक है।
- यदि तापमान 50 C से नीचे चला जाए, तो आहार देना बंद कर देना चाहिए। अतिरिक्त आहार बिना खाए रह जाता है और तालाब के तल में जमा हो जाता है, जिससे पानी की गुणवत्ता खराब हो जाती है।
- किसानों को कम प्रोटीन वाले आहार का उपयोग करने की सलाह दी जाती है। सर्दियों के दौरान खराब माइक्रोबियल गतिविधि के कारण जैविक खादों के अपघटन की दर कम हो जाती है, इसलिए तालाब में गाय का गोबर, मुर्गी का गोबर और सुअर का गोबर जैसी जैविक खाद डालना कम करना / बंद करना भी उचित होगा। तालाब के तल पर जहरीली गैसों के किसी भी संदिग्ध संचय को रोकने के लिए समय-समय पर नीचे की मिट्टी (कांटेदार तार की मदद से) को रेक करने की भी सलाह दी जाती है।
- उच्च गुणवत्ता वाला भोजन प्रदान करें ताकि उनकी प्रतिरोधक क्षमता मजबूत रहे।
4. बीमारियों से बचाव:
- सर्दियों में मछलियां बीमारियों के प्रति अधिक संवेदनशील होती हैं। नियमित रूप से पानी की गुणवत्ता की जांच करें और किसी भी संक्रमण के लक्षणों पर ध्यान दें।
- सर्दियों के दौरान, मछलियों में कई तरह की फफूंद, जीवाणु और परजीवी बीमारियाँ जैसे फिन रोट, गिल रोट, ईयूएस और अर्गुलोसिस दिखाई दे सकती हैं। सर्दियों की शुरुआत से ठीक पहले तालाब को 400 मिली/एकड़ की दर से सीआईफैक्स (CIFAX) से उपचारित करें। इसके अलावा तालाब को 1-2 किलोग्राम/एकड़ की दर से पोटेशियम परमैंगनेट या 50-100 किलोग्राम/एकड़ की दर से चूना पत्थर से उपचारित करें। 100 किलोग्राम/एकड़ की दर से नमक का प्रयोग भी सर्दियों के दौरान बीमारी के प्रकोप से मछलियों को बचाने में मदद करता है।
- मछली को संक्रमण से बचाने हेतु प्रति 15 दिन पर पी०एच० मान के अनुसार 10-15 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से चूना घोल कर छिड़काव करें एवं माह में एक बार प्रति एकड़ की दर से 400 ग्राम पोटाशियम परमेग्नेट को पानी में घोल कर छिड़काव करें।
- मछली को परजीवी जनित संक्रमण से बचाने हेतु फसल चक्र में दो बार (दो माह पर) 40 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से नमक को पानी में घोल कर छिड़काव करें एवं माह में एक सप्ताह प्रति किलोग्राम पूरक आहार में 10 ग्राम नमक मिलाकर मछलियों को खिलायें। पंगेशियस मछली के तालाब में दो माह पर 20 कि० ग्रा० प्रति एकड़ की दर से नमक का छिड़काव करें।
- किसी भी बीमारी के संकेत दिखने पर तुरंत विशेषज्ञ से संपर्क करें।
5. तालाब की सफाई:
- तालाब को नियमित रूप से साफ रखें। मृत पत्तियों, शैवाल और अन्य मलबे को हटा दें।
- तालाब का पानी अत्याधिक हरा हो जाने पर रासायनिक उर्वरक एवं चूना का प्रयोग एक माह तक बन्द कर देना चाहिए, इसके बाद भी यदि हरापन नियंत्रित नहीं हो तो दोपहर के समय 800 ग्राम कॉपर सल्फेट या 250 ग्राम एट्राजीन (50%) प्रति एकड़ की दर से 100 लीटर पानी में घोल कर तालाब में छिड़काव करना चाहिए।
6. तनाव कम करें:
- मछलियों को तनाव से बचाएं। अचानक पानी बदलने या तापमान में अचानक बदलाव करने से बचें।
निष्कर्ष : सर्दी के मौसम में मछलियों की देखभाल करना महत्वपूर्ण है क्योंकि यह न केवल मछलियों के स्वास्थ्य को बचाता है बल्कि मछलियो की वृद्धि दर, उत्तर जीविता एवम उत्पादन को भी प्रभावित करता है। अलग-अलग मछली की प्रजातियों की सर्दी के प्रति सहनशीलता अलग-अलग होती है। तालाब का आकार और गहराई भी मछलियों के लिए महत्वपूर्ण होती है। स्थानीय जलवायु के आधार पर मछलियों की देखभाल की रणनीति में बदलाव करने की आवश्यकता हो सकती है।
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