‘ मन का मोगरा ’ पुस्तक का विमोचन
श्री विश्वास सारंग एवं सुश्री उषा ठाकुर ने किया
26 मार्च 2022, भोपाल । ‘ मन का मोगरा ’ पुस्तक का विमोचन – उत्कृष्ट ललित निबंधों से समाहित पुस्तक मन का मोगरा का विमोचन गत दिनों राज्य संग्रहालय, भोपाल में चिकित्सा शिक्षा, भोपाल गैस त्रासदी राहत एवं पुनर्वास मंत्री श्री विश्वास सारंग के मुख्य आतिथ्य, पर्यटन, संस्कृति एवं अध्यात्म मंत्री सुश्री उषा ठाकुर के प्रमुख आतिथ्य तथा मध्यप्रदेश साहित्य अकादमी के निदेशक डॉ. विकास दवे की उपस्थिति में किया गया।
डॉ. साधना गंगराड़े द्वारा लिखित एवं कृषक जगत द्वारा प्रकाशित मन का मोगरा पुस्तक के विमोचन कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में म.प्र. लेखिका संघ की अध्यक्ष श्रीमती अनीता सक्सेना, म.प्र. लेखिका संघ की पूर्व अध्यक्ष श्रीमती उषा जायसवाल तथा वरिष्ठ कवि एवं साहित्यकार श्री यतीन्द्र नाथ ‘राही’ उपस्थित थे।
कार्यक्रम में श्री सारंग ने लेखिका को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि मन का मोगरा तरह की उत्कृष्ट पुस्तकें जब समाज में आती है तो वह पे्ररणा स्त्रोत बन जाती है सामाजिक ताने-बाने को दर्शाती हुई यह पुस्तक समाज एवं संस्कृति को बचाने में एवं संरक्षित करने में महत्वपूर्ण योगदान देगी। उन्होंने कहा कि वर्तमान में हमारी संस्कृति पर जो कुठाराघात हो रहा है वह संस्कृति को मिटाने का एक षडय़ंत्र है इसे बचाने के लिए मन का मोगरा जैसी पुस्तकें प्रेरणा स्त्रोत बनेगी।
श्री विश्वास सारंग ने कहा कि भारतीय नारी ही संस्कृति को बचाती हैं। माँ, बहन, पत्नी आदि रूपों में नारी ही संस्कृति के उच्च आदर्श का वाहक बन समाज में सद्गुणों का संचार करती है। पुस्तक की लेखिका स्वयं 27 सदस्यों के संयुक्त परिवार में रहती हैं। तीन पीढ़ी वाले संयुक्त परिवार को उन्होंने संभाला है और एक सूत्र में बांधा है। उनके द्वारा लिखी गई यह पुस्तक नारी के विभिन्न रूपों को आदर्श रूप में समाज के सामने लाती है।
इसके पूर्व डॉ. गंगराड़े ने पुस्तक का सार बताते हुए कहा कि मनुष्य के मन को उत्साहित एवं उमंग से भरा होना चाहिए तभी वह जीवन में आगे बढ़ सकता है। मनुष्य का जीवन उसके विचारों की तरह ही ढलता है जैसी उसकी सोच होती है वैसा ही वह बन जाता है। उन्होंने पुस्तक के प्रमुख अंशों का भी उल्लेख किया।
अग्निहोत्र जरूर करें : सुश्री ठाकुर
सुश्री ठाकुर ने कहा कि जिस तरह साहित्य समाज का दर्पण होता है, उसी तरह नारी समाज के मूल्यों को सहेजती है। नारी ही समाज के आदर्श और मूल्य भावी पीढ़ी को सौंपती है। डॉ. साधना द्वारा लिखी पुस्तक देश की सत्य सनातन परंपरा की रीढ़ संयुक्त परिवार में नारी की संस्कारित और परिवार को एक सूत्र में बांधने की शक्ति को दर्शाती है। साथ ही भारतीय नारी का शील, चरित्र और पवित्रता को समाज में पुर्नस्थापित करती है। सुश्री ठाकुर ने सभी से पर्यावरण की शुद्धि के लिए सूर्योदय और सूर्यास्त के वक्त अग्निहोत्र की दो आहुतियाँ डालने का आव्हान किया। उन्होंने कहा कि गाय के गोबर, घी, अक्षत और गुड़ के अग्निहोत्र से उत्पन्न औषधि युक्त धुआँ पर्यावरण के प्रदूषण और हानिकारक जीवाणुओं को समाप्त करेगा।
गद्य की सुन्दर कृति
श्रीमती उषा जायसवाल ने कहा कि मन का मोगरा पुस्तक गद्य की सुंदर कृति है। गद्य में भाव प्रवाहित होना चाहिए जिससे लालित्य पनपता है और लालित्य होने पर निबंध साहित्य की कोठी में आता है। उन्होंने कहा कि ललित निबंध में शैली की रोचकता है।
जीवन मूल्यों का संरक्षण
श्री यतीन्द्र नाथ राही ने पुस्तक का व्याख्यान करते हुए कहा कि इस पुस्तक में जीवन मूल्यों का संरक्षण है। 60 पृष्ठों की यह ललित निबंध पुस्तक के हर पृष्ठ पर मोगरे की खुशबू बिखर रही है। उन्होंने कहा कि लेखिका ने खूबसूरती के साथ समाज में लुप्त हो रही खुशबू को जगाने का प्रयास किया है। इसके साथ ही आदि शक्ति माँ की नई ज्योत जगाने का प्रयास ही मन का मोगरा है।
कार्यक्रम के प्रारंभ में डॉ. प्रीति प्रवीण खरे ने अतिथियों का स्वागत कर पुस्तक की महत्वपूर्ण जानकारी दी। अंत में अतिथियों को कृषक जगत के संपादक सुनील गंगराड़े ने स्मृति चिन्ह भेंट कर आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का संचालन श्रीमती शशि बंसल ने किया। इस अवसर पर प्रबुद्धजन एवं गणमान्य नागरिक तथा साहित्य प्रेमी उपस्थित थे।
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