किसान भाईयों को सलाह
खेतों से जल निकास का उचित प्रबंध करें
17 सितम्बर 2024, भोपाल: किसान भाईयों को सलाह – मूंग- मूंग पकाने की अवस्था में उसकी फलियों को शीघ्र तोड़ लें तथा जल निकास का उचित प्रबंधन करें।
उड़द, सोयाबीन एवं मूंग– उड़द, सोयाबीन एवं मूंग में पत्ती धब्बा रोग की संभावना को देखते हुए किसान भाई फसल का निरीक्षण करें, प्रकोप होने पर नियंत्रण करने के लिए (मेटालैक्सिल 1 ग्रा. + मैन्कोज़ेब 2 ग्रा.) 3 ग्रा. दवा को प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर मौसम साफ रहने पर छिड़काव करें।
मूंगफली- वर्तमान में मूंगफली में जड़ सडऩ एवं तना सडऩ रोग का प्रकोप देखा जा रहा है इसलिए किसान भाई फसलों की निगरानी करें तथा खेत में रोग ग्रसित पौधे पाए जाने पर नियंत्रण के लिए (कार्बेन्डाजिम 12 प्रतिशत + मैनकोज़ेब 63 प्रतिशत डब्ल्यू.पी.) की 1 ग्रा. दवा को प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर मौसम साफ रहने पर छिड़काव करें।
पान एवं अरबी- पान एवं अरबी की फसलों में पद गलन रोग हो सकता है, इसके बचाव के लिए किसान भाई बरेजा के आस-पास पानी एकत्रित न होने दें साथ ही पान एवं अरबी के पत्तों को बरेजा पर चढ़ायें एवं (मेटालैक्सिल + मैन्कोज़ेब) दवा की 3 ग्रा. प्रति ली. पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।
अदरक- अदरक में कंद गलन रोग की रोकथाम हेतु (मेटालैक्सिल + मैन्कोज़ेब) दवा की 3 ग्रा. प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर जड़ों के आसपास डालें तथा खेत में पानी नहीं भरने दें।
भिंडी- भिंडी में लाल कीट नियंत्रण हेतु इमिडाक्लोप्रिड की 7 मिली मात्रा 15 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।
उड़द एवं सोयाबीन- उड़द एवं सोयाबीन में पीला मोजेक रोग / सफ़ेद मक्खी / एफिड की रोकथाम हेतु (एसिटामिप्रिड + बायफेन्थ्रिन 25त्न ङ्खत्र) की 250 ग्रा./हे. या (थायामेथोक्सम + लैम्ब्डा साइहेलोथ्रिन) की 125 मिली./हे. या (बीटा-साइफ़्लुथ्रिन + इमिडाक्लोप्रिड) की 350 मिली./हे. 400 ली. पानी की दर से घोल बना कर छिड़काव करें। खरीफ फसलों में लगातार बारिश होने से तम्बाकू इल्ली, चना फली छेदक इल्लियों का प्रकोप हो जाता है, इसके नियंत्रण के लिए इमामेक्टिन बेंजोएट 425 मिली./हे. का उपयोग करें। एन्थ्रेक्नोज / एरियल ब्लाइट / चारकोल सडन रोगों से बचाव हेतु (टेबुकोनाज़ोल दर 625 मिली./हे.) या (टेबुकोनाज़ोल + सल्फर) दर 1 किग्रा./हे. या (हेक्साकोनाज़ोल दर 500 मिली./हे.) या (पाइराक्लोस्ट्रोबिन दर 500 ग्रा./हे.) के साथ 500 ली./हे. पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।
पशुधन- गाय या भैंस के बच्चे के पैदा होते ही बच्चे की नाल को 1.5-2.0 इंच की दूरी पर धागे से बांधकर नई ब्लेड से काट लें। जन्म के 2 घंटे के अंदर बच्चे को टिंचर आयोडीन का टीका लगवाये और केलोस्ट्रम अवश्य पिलायें। इस समय गायों / भैंसों को पेट के कीड़ो पर परजीवियों से बचाने के लिए कृमि नाशक फ़ेनबेंडाज़ोल 1 ग्रा. दवा 100 किग्रा शरीर की दर से पिलायें। गायों/भैंसों के पेट में कीड़ों की दवा उनके शरीर के वजन के अनुसार दें। इसके अतिरिक्त गर्भवती गायों/भैंसों को 250-300 ग्राम संतुलित आहार खाने के लिए दें। पशुओं में गलघोटू एवं लंगडिय़ा रोग से बचाव हेतु टीकाकरण अवश्य लगवायें। बकरियों को वर्षा में भीगने से बचाने की व्यवस्था करें एवं सी.सी.पी.पी. एवं पी.पी.आर. पर का टीकाकरण अवश्य करवायें।
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