राज्य कृषि समाचार (State News)

केंद्रीय प्री-बजट बैठक में हरियाणा के 5 अहम सुझाव

07 जनवरी 2025, चंडीगढ़: केंद्रीय प्री-बजट बैठक में हरियाणा के 5 अहम सुझाव – हरियाणा के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री श्याम सिंह राणा ने केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा आयोजित प्री-बजट बैठक में विभिन्न सुझाव प्रस्तुत किए। बैठक का उद्देश्य कृषि और बागवानी क्षेत्र के लिए नीतियों पर चर्चा करना था।

गन्ने की फसल को प्रोत्साहन

श्री राणा ने कहा कि गन्ने की खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों को गन्ने की बुवाई और कटाई की मशीनें सब्सिडी पर उपलब्ध कराई जानी चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि गन्ने की खेती धान की जगह अपनाने से पानी की खपत में कमी लाई जा सकती है।

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मंत्री ने बागवानी के लिए 40 से 50 हेक्टेयर के छोटे क्लस्टर बनाने की आवश्यकता जताई। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि बागवानी किसानों के बागों की सुरक्षा के लिए फेंसिंग हेतु विशेष योजनाएं बनाकर अनुदान दिया जाए।

प्राकृतिक खेती और प्रमाणिकता

श्री राणा ने प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए मंडियों और फसल टेस्टिंग लैब स्थापित करने की वकालत की। उन्होंने कहा कि इससे प्राकृतिक खेती की प्रमाणिकता सुनिश्चित होगी। उन्होंने प्राकृतिक खेती पर राष्ट्रीय मिशन को मील का पत्थर बताया लेकिन मानकीकरण और विनिर्देशन की कमी को दूर करने की अपील की। इसके लिए उन्होंने केंद्र सरकार से अनुरोध किया कि केंद्रीय कृषि संस्थानों को इस दिशा में काम करने के लिए निर्देशित किया जाए।

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फसल अवशेष जलाने पर चिंता

मंत्री ने फसल अवशेष जलाने से होने वाले प्रदूषण पर ध्यान दिलाते हुए कहा कि हरियाणा ने इस दिशा में उल्लेखनीय प्रगति की है। इस साल राज्य में खेतों में आग लगने की घटनाएं 40% कम हुई हैं, और यह संख्या 700 से भी कम रह गई है। उन्होंने भारत सरकार से इस योजना के तहत हरियाणा को अधिक बजट आवंटित करने का अनुरोध किया ताकि खेतों में आग लगने की घटनाओं को पूरी तरह समाप्त किया जा सके।

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भावांतर भरपाई योजना’ का राष्ट्रीय विस्तार

श्री राणा ने हरियाणा में लागू ‘भावांतर भरपाई योजना’ के सकारात्मक परिणामों का हवाला देते हुए इसे राष्ट्रीय स्तर पर लागू करने का सुझाव दिया। इस योजना के तहत बागवानी फसलों की कीमतें गिरने पर किसानों को लागत मूल्य और बिक्री मूल्य के अंतर की भरपाई की जाती है। उन्होंने बताया कि हरियाणा में इस योजना के तहत 21 बागवानी फसलें शामिल की गई हैं। उन्होंने केंद्र से इस योजना के लिए आवश्यक बजट प्रावधान की भी मांग की।

प्राकृतिक खेती पर राष्ट्रीय मिशन को खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता सुधारने वाला कदम बताते हुए श्री राणा ने इसे मील का पत्थर करार दिया। उन्होंने इस क्षेत्र में मानकीकरण की कमी पर जोर देते हुए कहा कि गुणवत्ता और प्रक्रिया के आधार पर प्रमाणन सुनिश्चित करना जरूरी है।

कृषि और बागवानी के क्षेत्र में सुधार के लिए श्री राणा ने केंद्र सरकार से नीतिगत बदलाव और वित्तीय सहायता की अपील की। उन्होंने कहा कि इन सुझावों का उद्देश्य किसानों की आय बढ़ाने और कृषि में स्थायित्व सुनिश्चित करना है। प्री-बजट बैठक में कृषि विभाग के निदेशक राजनारायण कौशिक और बागवानी विभाग के अधिकारी अर्जुन सैनी सहित अन्य अधिकारी भी उपस्थित थे।

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