केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की ओर से कीट व रोगों के प्रकोप से बचने का सुझाव
21 अक्टूबर 2024, नई दिल्ली: केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की ओर से कीट व रोगों के प्रकोप से बचने का सुझाव – केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की ओर से मूली, गाजर, पालक, फूलगोभी और शलजम, सहित अन्य सब्जी फसलों के साथ ही मक्का, मूंग, अरहर सहित कई फसलों की उपज बचाने के लिए किसानों को सतर्क किया गया है। कृषि सलाह में फसलों में इस समय कीट व रोगों के प्रकोप से बचने का सुझाव किसानों को दिया गया है।
किसानों से कहा गया है कि वह बाढ़ के पानी से फसलों को बचाने का प्रबंध करने के साथ ही सड़न रोग सहित कई तरह के कीटों से बचाव के लिए नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र जाकर अपने क्षेत्र की जलवायु के अनुसार दवाओं और कीटनाशकों का प्रयोग करने का तरीका समझ लें।
पंजाब के मध्य इलाकों में सर्दियों के लिए गाजर, मूली, पालक और शलजम जैसी सब्जियों की बुवाई काम कर सकते हैं। यहां के किसान फूलगोभी की रोपाई भी कर सकते हैं। फूलगोभी की बंपर उपज के लिए बुवाई का यह सही समय है। दिल्ली के आसपास के इलाकों में जल्दी तैयार होने वाली अगेती किस्म की सरसों और मटर की बुवाई के लिए खेत तैयार कर सकते हैं। इसमें गाजियाबाद और गौतमबुद्ध नगर सहित नजदीकी जिलों में रबी सीजन के लिए सरसों की बुवाई कर सकते हैं। पश्चिमी यूपी के किसान इस समय मेथी धनिया सहित दूसरी सब्जी फसलों की बुवाई कर सकते हैं। यहां मैदानी इलाकों में मेथी और धनिया की बुवाई के लिए यह सही समय है, क्योंकि बारिश का दौर थम गया है। इसके अलावा किसान मूली फसल की बुवाई भी कर सकते हैं। इसके अलावा किन सब्जियों और दलहनी फसलों में पर्याप्त जल निकासी की व्यवस्था करें और सब्जी फसलों में कीट और रोग की रोकथाम का प्रबंध करें। इस मौसम में बिहार के किसान उत्तर पूर्वी जलोढ़ इलाकों में जल्दी तैयार होने वाली उन्नत किस्म की सफेद सरसों की बुवाई का काम कर सकते हैं। किसान सफेद सरसों की बुवाई का काम बारिश की वर्तमान अवधि खत्म होने के बाद कर सकते हैं। जबकि बाढ़ प्रभावित इलाकों में फसलों को बचाने के लिए जल निकासी की व्यवस्था शीघ्र करनी चाहिए, नहीं तो पौधे में सड़न रोग सहित कई तरह की बीमारियां लग सकती हैं। इसके अलावा उत्तर पश्चिमी जलोढ़ मैदानी क्षेत्र में किसान बैंगन , टमाटर और मिर्च की रोपाई काम कर सकते हैं।
(नवीनतम कृषि समाचार और अपडेट के लिए आप अपने मनपसंद प्लेटफॉर्म पे कृषक जगत से जुड़े – गूगल न्यूज़, टेलीग्राम, व्हाट्सएप्प)
(कृषक जगत अखबार की सदस्यता लेने के लिए यहां क्लिक करें – घर बैठे विस्तृत कृषि पद्धतियों और नई तकनीक के बारे में पढ़ें)
कृषक जगत ई-पेपर पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:
www.krishakjagat.org/kj_epaper/
कृषक जगत की अंग्रेजी वेबसाइट पर जाने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें: