राज्य कृषि समाचार (State News)

2024: मध्यप्रदेश में सिंचाई रकबे में अभूतपूर्व वृद्धि का वर्ष

31 दिसंबर 2024, भोपाल: 2024: मध्यप्रदेश में सिंचाई रकबे में अभूतपूर्व वृद्धि का वर्ष – मध्यप्रदेश ने वर्ष 2024 में सिंचाई के क्षेत्र में ऐतिहासिक कदम उठाते हुए दो बड़ी नदी जोड़ो परियोजनाओं की शुरुआत की है। ये परियोजनाएं प्रदेश की जल समस्याओं का समाधान करने और कृषि क्षेत्र में नए आयाम जोड़ने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकती हैं।

नदी जोड़ो परियोजनाओं का आगाज

17 दिसंबर को जयपुर में पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक परियोजना के लिए मध्यप्रदेश, राजस्थान और केंद्र सरकार के बीच समझौता हुआ। इसके बाद 25 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने छतरपुर के खजुराहो में केन-बेतवा लिंक परियोजना का शिलान्यास किया।

केन-बेतवा परियोजना देश की पहली भूमिगत दाबयुक्त पाइप सिंचाई प्रणाली है, जो 10 जिलों—छतरपुर, पन्ना, टीकमगढ़, निवाड़ी, दमोह, शिवपुरी, दतिया, रायसेन, विदिशा और सागर—में 8.11 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को सिंचाई सुविधा प्रदान करेगी। इस परियोजना से 44 लाख किसान परिवार लाभान्वित होंगे, साथ ही हरित ऊर्जा में 103 मेगावॉट का योगदान और रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे।

इस परियोजना से उत्तर प्रदेश के 59 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में वार्षिक सिंचाई और 1.92 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में मौजूदा सिंचाई स्थिरीकरण होगा। उत्तर प्रदेश के महोबा, झांसी, ललितपुर और बांदा जिलों के किसान भी इससे लाभान्वित होंगे। परियोजना के माध्यम से मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश की क्रमशः 44 लाख और 21 लाख आबादी को पेयजल की सुविधा मिलेगी।

पार्वती-कालीसिंध-चंबल परियोजना: मालवा-चंबल क्षेत्र की नई तस्वीर

पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक परियोजना से मालवा और चंबल क्षेत्र में 6.13 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की सुविधा मिलेगी और 40 लाख लोगों को पेयजल उपलब्ध होगा। इस परियोजना से मध्यप्रदेश के 13 जिलों—गुना, मुरैना, शिवपुरी, भिंड, श्योपुर, उज्जैन, सीहोर, मंदसौर, इंदौर, धार, आगर मालवा, शाजापुर और राजगढ़—के 3217 गांवों को सीधा लाभ मिलेगा।

परियोजना की अनुमानित लागत 72 हजार करोड़ रुपये है, जिसमें 90% राशि केंद्र सरकार और 10% राज्य सरकार वहन करेगी। इसके तहत 21 बांध और बैराज बनाए जाएंगे, जिनकी कुल जल संग्रहण क्षमता 1908.83 घन मीटर होगी। 172 मिलियन घन मीटर जल पेयजल और उद्योगों के लिए आरक्षित रहेगा।

सिंचाई क्षमता में बढ़ोतरी के प्रयास

मध्यप्रदेश में सिंचाई का रकबा वर्ष 2003 के 3 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 2024 में लगभग 50 लाख हेक्टेयर हो गया है। सरकार का लक्ष्य 2028-29 तक इसे 1 करोड़ हेक्टेयर तक पहुंचाने का है। वर्ष 2024-25 के बजट में सिंचाई परियोजनाओं के लिए 13,596 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।

चितरंगी और जावद नीमच जैसी सूक्ष्म सिंचाई परियोजनाएं प्रदेश में दाबयुक्त सिंचाई प्रणाली को बढ़ावा दे रही हैं। चितरंगी परियोजना से सिंगरौली जिले में 32,125 हेक्टेयर और जावद नीमच परियोजना से नीमच जिले में 18,600 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा विकसित होगी।

ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती

इन परियोजनाओं से न केवल सिंचाई क्षेत्र में विस्तार होगा, बल्कि फसल उत्पादन और किसानों की आय में भी वृद्धि होगी। बेहतर जल प्रबंधन और औद्योगिक इकाइयों को जल आपूर्ति से रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।

विशेषज्ञों का मानना है कि ये परियोजनाएं मध्यप्रदेश और राजस्थान में जल संसाधनों का संतुलित उपयोग सुनिश्चित करेंगी और दोनों राज्यों की अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करेंगी।

पर ड्रॉप मोर क्रॉप पहल का योगदान

प्रदेश में “पर ड्रॉप मोर क्रॉप” के तहत 133 बृहद और मध्यम प्रेशराइज्ड सूक्ष्म सिंचाई परियोजनाओं का निर्माण हो रहा है। इनमें चितरंगी और जावद नीमच जैसी प्रमुख परियोजनाएं शामिल हैं। इनसे जल के कुशल उपयोग के साथ-साथ अधिक उत्पादन सुनिश्चित किया जा रहा है।

सरकार के अनुसार, इन परियोजनाओं को वर्ष 2025-26 तक पूरा करने का लक्ष्य है। इसके बाद प्रदेश में सिंचाई रकबा 65 लाख हेक्टेयर तक पहुंचने की संभावना है।

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