राष्ट्रीय कृषि समाचार (National Agriculture News)

बजट 2025 से किसान खुश होंगे या फिर बढ़ेंगी परेशानियां? जानिए बड़ी मांगें

PM-KISAN बढ़ेगा? बजट 2025 से किसानों को क्या उम्मीदें हैं?

30 जनवरी 2025, नई दिल्ली: बजट 2025 से किसान खुश होंगे या फिर बढ़ेंगी परेशानियां? जानिए बड़ी मांगें – भारत का कृषि क्षेत्र बजट 2025 से बड़ी उम्मीदें लगाए बैठा है। किसान संगठनों, कृषि विशेषज्ञों और कंपनियों ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP), वित्तीय सहायता, बाजार सुधार, आधुनिकीकरण और कृषि निवेश को लेकर अपनी माँगें सरकार के सामने रखी हैं।

बजट 2025: MSP सुधार और PM-KISAN भुगतान में बढ़ोतरी की मांग

भारतीय किसान यूनियन (BKU) के प्रवक्ता धर्मेंद्र मलिक ने MSP व्यवस्था में व्यापक सुधार की मांग की है। उनका कहना है कि MSP की गणना में भूमि किराया, कृषि मजदूरी और फसल कटाई के बाद के खर्चों को भी शामिल किया जाना चाहिए, ताकि किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य मिले। इसके अलावा, उन्होंने MSP को मौजूदा 23 फसलों से अधिक फसलों तक विस्तारित करने की भी माँग की है।

कृषि मंत्रालय के कुल बजट में अपेक्षित वृद्धि को लेकर किसान संगठनों और विशेषज्ञों की निगाहें टिकी हैं। पिछले साल की तुलना में इस बार कृषि क्षेत्र के लिए आवंटन बढ़ने की संभावना जताई जा रही है, जिससे किसानों को नई योजनाओं का लाभ मिल सके।

कृषि पर GST राहत की माँग

धनुका एग्रीटेक के चेयरमैन एमेरिटस आर.जी. अग्रवाल ने कीटनाशकों पर GST को 18% से घटाकर 5% करने की मांग की है, ताकि किसानों के लिए यह अधिक किफायती हो सके। साथ ही, उन्होंने नकली और अवैध रूप से आयातित कीटनाशकों पर सख्त कार्रवाई करने की भी अपील की है।

कृषि अर्थशास्त्री दीपक पारेख ने बायोफर्टिलाइजर और जैविक विकल्पों को बढ़ावा देने के लिए सब्सिडी बढ़ाने की जरूरत बताई है। उन्होंने किसानों के लिए PM-KISAN की वार्षिक सहायता को ₹12,000 करनेकिसान क्रेडिट कार्ड (KCC) पर ब्याज दर को 1% तक घटानेऔर ग्रामीण लॉजिस्टिक्स व सिंचाई में निवेश बढ़ाने की भी मांग की है।

CEF ग्रुप के सीईओ मनिंदर सिंह नय्यर के अनुसार, सरकार को प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों को सब्सिडी, सर्टिफिकेशन और बाजार तक आसान पहुंच सुनिश्चित करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र के डिजिटलीकरण और स्मार्ट गांवों के निर्माण में निवेश करना भी आवश्यक है।

APMC मंडियों में सुधार और निजी बाजारों की भूमिका को मजबूत करने के लिए नई नीतियाँ लाई जा सकती हैं। सरकार किसानों को डिजिटल प्लेटफार्मों से जोड़ने की दिशा में काम कर रही है, जिससे वे सीधे उपभोक्ताओं तक अपनी उपज बेच सकें।

NCDEX के मुख्य व्यापार अधिकारी केदार देशपांडे ने किसानों के लिए ई-नेगोशिएबल वेयरहाउस रिसीट्स (eNWRs)जैसी योजनाओं को प्रोत्साहन देने की मांग की है, जिससे किसान अपने उत्पादों को उचित मूल्य पर बेच सकें और आर्थिक स्थिरता पा सकें।

फसल बीमा और कृषि अनुसंधान में निवेश

धनुका एग्रीटेक के चेयरमैन एम.के. धनुका ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) के तहत किसानों के लिए आसान दावा प्रक्रिया और कवरेज विस्तार की मांग की है। उन्होंने AI आधारित डिजिटल समाधानों से किसानों को सशक्त बनाने पर भी जोर दिया।

सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के कार्यकारी निदेशक बी.वी. मेहता ने राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन के लिए ₹25,000 करोड़ के बजट आवंटन की अपील की है। उनका कहना है कि इससे 2029-30 तक भारत की खाद्य तेल आयात निर्भरता को 65% से घटाकर 25-30% तक लाया जा सकता है।

बजट 2025 कृषि क्षेत्र में व्यापक सुधार लाने का सुनहरा अवसर प्रदान करता है। किसानों की उम्मीदें MSP सुधार, सब्सिडी, डिजिटलाइजेशन, प्राकृतिक खेती और फसल बीमा योजनाओं पर टिकी हैं। देखना दिलचस्प होगा कि सरकार इन मुद्दों पर क्या बड़े फैसले लेती है।

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