MSP पर गेहूं खरीद: 256 लाख टन का आंकड़ा पार, 21 लाख किसानों के खाते में 62 हजार करोड़
02 मई 2025, नई दिल्ली: MSP पर गेहूं खरीद: 256 लाख टन का आंकड़ा पार, 21 लाख किसानों के खाते में 62 हजार करोड़ – इस बार रबी सीजन में गेहूं की खरीद ने नया कीर्तिमान रच दिया है। उपभोक्ता कार्य, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, 30 अप्रैल तक देश भर में 256.31 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदा जा चुका है। यह पिछले साल के 205.41 लाख मीट्रिक टन के मुकाबले करीब 25% ज्यादा है। इस खरीद से 21.03 लाख किसानों को फायदा हुआ है, और उनके खातों में न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के तहत 62,155.96 करोड़ रुपये पहुंचे हैं।
पंजाब-हरियाणा समेत इन राज्यों का दम
गेहूं खरीद में पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश सबसे आगे रहे हैं। पंजाब ने 103.89 लाख मीट्रिक टन, हरियाणा ने 65.67 लाख मीट्रिक टन, मध्य प्रदेश ने 67.57 लाख मीट्रिक टन, राजस्थान ने 11.44 लाख मीट्रिक टन और उत्तर प्रदेश ने 7.55 लाख मीट्रिक टन गेहूं केंद्रीय पूल में दिया। इन सभी राज्यों ने पिछले साल के अपने आंकड़ों को पीछे छोड़ दिया है।
मंत्रालय का कहना है कि इस साल का लक्ष्य 312 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदने का है। चूंकि खरीद का सीजन अभी खत्म नहीं हुआ है, ऐसे में उम्मीद है कि यह आंकड़ा और ऊपर जाएगा।
कैसे हुई इतनी तेजी?
खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग ने इस बार खरीद प्रक्रिया को और चुस्त-दुरुस्त करने की कोशिश की। किसानों को जागरूक करने से लेकर उनके पंजीकरण, खरीद केंद्रों की व्यवस्था और MSP का समय पर भुगतान सुनिश्चित करने तक, कई मोर्चों पर काम हुआ। विभाग का दावा है कि ज्यादातर किसानों को 24 से 48 घंटे के अंदर पैसे मिल गए। इसके अलावा, गेहूं स्टॉक पोर्टल के जरिए भंडारण की सीमा तय की गई और गुणवत्ता मानकों में जरूरत पड़ने पर छूट भी दी गई।
विभाग के अधिकारी भी कई जिलों में जमीनी हकीकत जानने पहुंचे, ताकि किसी भी दिक्कत का फौरन समाधान हो सके। ये सारी तैयारियां पिछले सालों के अनुभवों के आधार पर बनाई गई राज्य-विशिष्ट योजनाओं का नतीजा थीं।
जमीन पर क्या है हकीकत?
भले ही आंकड़े प्रभावशाली हों, लेकिन कई किसान संगठनों का कहना है कि खरीद केंद्रों पर भीड़, भुगतान में देरी और गोदामों की कमी जैसी समस्याएं अब भी बनी हुई हैं।
रबी विपणन वर्ष 2025-26 का खरीद सीजन अभी चल रहा है। अब सबकी नजर इस बात पर है कि क्या सरकार अपने 312 लाख मीट्रिक टन के लक्ष्य को छू पाएगी और कितने और किसानों को इसका फायदा मिलेगा।
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