बजट में क्या मिलेगा किसानो को ?
20 जुलाई 2024, भोपाल: बजट में क्या मिलेगा किसानो को ? – केन्द्र सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला बजट होने के कारण इस बार के बजट पर सभी की निगाहें लगी हुई हैं। केन्द्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण से किसान भी उम्मीद लगाए बैठे हैं. सूत्रों की तरफ से दावा किया जा रहा है कि इस बार का बजट मध्यम वर्ग को फोकस करते हुए पेश किया जाएगा। अभी भारत दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी इकोनॉमी है और आने वाले समय में इसके तीसरे नंबर पर पहुंचने की संभावना है। ऐसे में बजट 2024 से देश की इकोनॉमी को नई ऊंचाई पर ले जाने का खाका तैयार होने की उम्मीद है. पिछले रुझान को देखकर यही उम्मीद की जा रही है कि मोदी सरकार इस बार भी इंफ्रास्ट्रक्चर पर बजट बढ़ाएगी, इससे जीडीपी ग्रोथ को गति मिलेगी। साथ ही सरकार पीएम-किसान योजना के तहत मिलने वाली वार्षिक राशि को 6 से बढ़ाकर 8 हजार रुपये तक कर सकती है। अब 23 जुलाई को यह देखना होगा कि बजट में किसानों, कारोबारियों, और मध्यम वर्ग को क्या हासिल होता है?
पीएम-किसान योजना में राशि बढऩे की उम्मीद
केन्द्र सरकार की तरफ से इस समय चलाई जा रही प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना देश की सबसे महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक है। इस योजना के तहत, सरकार हर साल पात्र किसानों को 6 हजार रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान करती है। पीएम किसान योजना का लाभ इस समय 11 करोड़ से अधिक किसान उठा रहे हैं। सरकार पीएम-किसान योजना के तहत मिलने वाली वार्षिक राशि को 6 हजार रुपये से बढ़ाकर 8 हजार रुपये तक कर सकती है। अब 23 जुलाई 2024 को पूर्ण बजट पेश होने वाला है और किसानों को उम्मीद है कि इस बार उनकी किस्त में बढ़ोतरी हो सकती है।
सरकार किसान क्रेडिट कार्ड के माध्यम से किसानों को रियायती संस्थागत ऋण 4 प्रतिशत वार्षिक ब्याज पर प्रदान करती है। वित्तीय बजट प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के लिए भी धनराशि आवंटित करता है और किसानों को फसल बीमा कवर प्रदान करता है। किसानों की साख को बेहतर बनाने पर ध्यान होना चाहिए, ताकि वित्तीय संस्थाएं कृषि समुदाय को ऋण देने से न कतराएं।
देश की आधी से थोड़ी अधिक कृषि भूमि पर ही सिंचाई की सुविधा उपलब्ध है, जिस कारण अभी भी मानसून पर बहुत अधिक निर्भरता बनी हुई है। बजट में सरकार को फसल पैदावार में होने वाले नुकसान को रोकने के लिए सबसे पहले बुनियादी ढांचे को सुधारने पर ध्यान देना चाहिए। भारत दुनिया में दालों का सबसे बड़ा उत्पादक है। हालांकि, हाल के वर्षों में हमारे आयात में वृद्धि हुई है, क्योंकि बुवाई क्षेत्र कम हो गया है। भारत खाद्य तेलों और दालों के आयात पर अत्यधिक निर्भर है, क्योंकि किसान खाद्यान्न उत्पादन की ओर अधिक झुकाव रखते हैं। फसल विविधीकरण और बहु-फसली खेती को प्रोत्साहित करने के लिए आक्रामक उपाय शुरू किए जाने चाहिए।
आगामी बजट 2024 में कृषि उत्पादक मंडियों में पारदर्शिता लाने और मूल्य निर्धारण में अनियमितताओं को खत्म करने के लिए खाद्य मुद्रास्फीति के ज्वलंत मुद्दे को बेहतर ढंग से प्रबंधित करने के लिए कदम उठाए जाने चाहिए। कृषि-निर्यात भी सुसंगत हो, क्योंकि इससे अच्छा मुनाफा मिलता है और किसानों की आय में सुधार होता है।
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