उर्वरक विक्रेताओं की समस्याओं का स्थाई निराकरण किया जाए
19 जुलाई 2024, इंदौर: उर्वरक विक्रेताओं की समस्याओं का स्थाई निराकरण किया जाए – एग्रो इनपुट डीलर्स एसोसिएशन, नई दिल्ली के अध्यक्ष श्री मनमोहन कलंत्री ने देश के उर्वरक विक्रेताओं की समस्याओं के निराकरण हेतु केंद्रीय उर्वरक एवं रसायन मंत्री श्री जेपी नड्डा, केंद्रीय उर्वरक राज्य मंत्री श्रीमती अनुप्रिया पटेल और भारत सरकार के रसायन और उर्वरक मंत्रालय के सचिव श्री रजत कुमार मिश्रा को पृथक -पृथक पत्र लिखकर समस्या का स्थाई निराकरण करने की मांग की।
श्री कलंत्री ने अपने पत्र में देश के 4 लाख कृषि आदान व्यापारियों का प्रतिनिधित्व करने वाले संगठन के सदस्यों की समस्याओं को तीन बिंदुओं में उल्लेख कर उनका स्थाई निराकरण करने की मांग की। श्री कलंत्री ने अपने पत्र में लिखा कि केंद्र सरकार द्वारा कॉम्प्लेक्स, उर्वरक , डीएपी और एमओपी पर जो डीलर मार्जिन 20 से 22 रु प्रति बैग तय किया गया है ,जबकि लोडिंग और अनलोडिंग खर्च ही 10 रु प्रति बैग हो जाता है। ऐसे में यह डीलर मार्जिन बहुत कम है। अतः इसे रिटेलर के लिए कम से कम 6 % और होलसेलर के लिए 2 % तय किया जाना चाहिए। इसी तरह यूरिया में कुल डीलर मार्जिन 15.88 रु प्रति बैग तय किया गया है , उसमें से 10 रु प्रति बैग लोडिंग और अनलोडिंग पर खर्च हो जाता है। इसे रिटेलर और होलसेलर के लिए अलग से तय नहीं किया गया है , अतः यूरिया में रिटेलर के लिए 23 रु प्रति बैग और और होलसेलर के लिए 7 रु प्रति बैग तय किया जाना चाहिए।
श्री कलंत्री ने ध्यान आकर्षित कराया कि देश की अनेक कंपनियों द्वारा रिटेलर तक यूरिया को एफओआर के माध्यम से नहीं पहुंचाते हुए एक्स रेल पॉइंट दिया जाता है , जबकि नियमानुसार यूरिया और कॉम्प्लेक्स उर्वरक अंतिम डीलर तक एफओआर पहुंचना चाहिए। इसलिए विक्रेताओं को 50 किलो के एक बैग पर 40 रु प्रति बैग का परिवहन व्यय शुल्कअलग से लगता है। इस बारे में सभी कंपनियों को स्पष्ट निर्देश जारी किए जाने चाहिए। आपने पत्र में लिखा कि सभी उर्वरक कंपनियों द्वारा यूरिया और डीएपी के साथ विभिन्न प्रकार के अन्य उत्पाद टैगिंग करके जबरन दिया जाता है , जो गोदाम में ही रह जाता है, जिससे व्यापारियों को नुकसान होता है। इस जबरन टैगिंग प्रथा को तत्काल बंद किया जाना अनिवार्य है। इन मुद्दों के संबंध में करीब 200 से अधिक जिलों से अनुरोध पत्र केंद्रीय उर्वरक मंत्रालय को भेजे जा चुके हैं , लेकिन इस पर कोई विचार विमर्श नहीं किया जा रहा है और न ही हमारे संगठन के साथ कोई बैठक आयोजित की गई है। इन सब मुद्दों पर अधिकारियों और कम्पनी प्रतिनिधियों की बैठक आयोजित की जाना अनिवार्य है। पत्र में संगठन के सदस्यों की उपरोक्त मांगों पर गंभीरतापूर्वक विचार कर उनका स्थाई निराकरण करने की मांग की गई।
(नवीनतम कृषि समाचार और अपडेट के लिए आप अपने मनपसंद प्लेटफॉर्म पे कृषक जगत से जुड़े – गूगल न्यूज़, टेलीग्राम, व्हाट्सएप्प)
(कृषक जगत अखबार की सदस्यता लेने के लिए यहां क्लिक करें – घर बैठे विस्तृत कृषि पद्धतियों और नई तकनीक के बारे में पढ़ें)
कृषक जगत ई-पेपर पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:
www.krishakjagat.org/kj_epaper/
कृषक जगत की अंग्रेजी वेबसाइट पर जाने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें: