राष्ट्रीय कृषि समाचार (National Agriculture News)

जलवायु परिवर्तन के खतरे में किसान! जानिए कैसे हो रही है तैयारी

07 दिसंबर 2024, नई दिल्ली: जलवायु परिवर्तन के खतरे में किसान! जानिए कैसे हो रही है तैयारी – जलवायु परिवर्तन कृषि क्षेत्र के लिए एक गंभीर चुनौती बनता जा रहा है। बढ़ते तापमान, बदलते मौसम और अप्रत्याशित प्राकृतिक आपदाओं ने किसानों की परेशानियों को बढ़ा दिया है। इसके प्रभावों से निपटने और किसानों को सक्षम बनाने के लिए भारत में कई योजनाएँ और शोध परियोजनाएँ चलाई जा रही हैं।

भारत सरकार ने 2008 में राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन कार्य योजना (NAPCC) की स्थापना की, जिसका उद्देश्य जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने और पारिस्थितिकी तंत्र की स्थिरता बढ़ाने के लिए एक व्यापक रणनीति तैयार करना है। इस कार्य योजना के अंतर्गत राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन (NMSA) चलाया जा रहा है, जो कृषि को जलवायु परिवर्तन के प्रति अधिक सहनशील बनाने के लिए रणनीतियाँ विकसित करता है।

कृषि में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का अध्ययन और समाधान

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) ने जलवायु परिवर्तन पर अध्ययन और समाधान विकसित करने के लिए राष्ट्रीय जलवायु रोधी कृषि नवाचार परियोजना (NICRA) शुरू की है। यह परियोजना फसलों, पशुपालन, बागवानी और मत्स्य पालन पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव का अध्ययन करती है और जलवायु सहनशील तकनीकों को बढ़ावा देती है।

पिछले दस वर्षों (2014-2024) में ICAR ने 2593 नई किस्में विकसित की हैं, जिनमें से 2177 किस्में जैविक और अजैविक दबावों के प्रति सहनशील पाई गई हैं। 651 कृषि प्रधान जिलों का जलवायु जोखिम और संवेदनशीलता मूल्यांकन आईपीसीसी (IPCC) के प्रोटोकॉल के अनुसार किया गया है। इसमें से 310 जिलों को संवेदनशील के रूप में पहचाना गया है, जिसमें 109 जिले ‘अत्यधिक उच्च’ और 201 जिले ‘उच्च’ संवेदनशीलता की श्रेणी में हैं।

इन संवेदनशील जिलों के लिए जिला कृषि आकस्मिकता योजनाएँ (DACPs) तैयार की गई हैं, जो स्थानीय जलवायु-अनुकूल फसलों और प्रबंधन विधियों को सुझाती हैं। इसके अतिरिक्त, जलवायु रोधी गाँव (CRVs) की अवधारणा को बढ़ावा दिया गया है। 28 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 151 जलवायु संवेदनशील जिलों में 448 जलवायु रोधी गाँवों में किसानों को तकनीकी सहायता प्रदान की जा रही है।

जलवायु संकट से निपटने के लिए अन्य प्रमुख योजनाएँ

जलवायु परिवर्तन के कृषि पर प्रभाव को देखते हुए, राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन (NMSA) के तहत कई योजनाएँ शुरू की गई हैं:

  1. प्रति बूंद अधिक फसल (PDMC): 2015-16 में शुरू की गई यह योजना माइक्रो इरिगेशन तकनीकों (ड्रिप और स्प्रिंकलर) के माध्यम से खेतों में जल उपयोग दक्षता बढ़ाने पर केंद्रित है।
  2. वर्षा आधारित क्षेत्र विकास (RAD): यह योजना 2014-15 से कार्यान्वित है और कृषि उत्पादकता बढ़ाने के लिए एकीकृत कृषि प्रणाली (IFS) पर केंद्रित है।
  3. मिशन फॉर इंटीग्रेटेड डेवलपमेंट ऑफ हॉर्टिकल्चर (MIDH): बागवानी, एग्रोफोरेस्ट्री और बांस मिशन को बढ़ावा देने के माध्यम से जलवायु सहनशीलता में सुधार।
  4. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY): अप्रत्याशित प्राकृतिक आपदाओं और प्रतिकूल मौसम स्थितियों के कारण होने वाली फसल हानि के लिए व्यापक बीमा कवरेज प्रदान करती है।
  5. पुनर्गठित मौसम आधारित फसल बीमा योजना (RWBCIS): मौसम आधारित जोखिमों के खिलाफ किसानों की सुरक्षा सुनिश्चित करती है।

ICAR द्वारा NICRA परियोजना के तहत किसानों के बीच जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के प्रति जागरूकता पैदा करने के लिए विशेष कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। इसके तहत प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं, जो किसानों को जलवायु सहनशील तकनीकों को अपनाने में सक्षम बनाते हैं।

जलवायु परिवर्तन और कृषि की इस जटिल स्थिति से निपटने के लिए, किसानों को अधिक जागरूक और सक्षम बनाने की आवश्यकता है। उचित योजनाओं और तकनीकों के साथ, जलवायु संकट के बावजूद कृषि को स्थिर और लाभदायक बनाया जा सकता है।

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