केन्द्रीय कृषि मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने लोकसभा में विपक्ष को जमकर घेरा
अन्नदाता को ऊर्जादाता भी बना रही है केंद्र सरकार
31 जुलाई 2024, नई दिल्ली: केन्द्रीय कृषि मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने लोकसभा में विपक्ष को जमकर घेरा – केन्द्रीय कृषि और ग्रामीण विकास मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने मंगलवार को लोक सभा में प्रश्नकाल के दौरान विपक्ष और तत्कालीन यूपीए सरकार को जमकर घेरा। कृषि संबंधित प्रश्नों के जवाब देते हुए श्री चौहान ने कहा कि, तत्कालीन यूपीए सरकार ने किसान कल्याण, किसानों के विकास के लिए कोई कदम नहीं उठाए।
अन्नदाता को उर्जादाता बनाने का संकल्प
केन्द्रीय कृषि मंत्री श्री चौहान ने कहा कि अन्नदाता को उर्जादाता बनाएंगे। जिसके लिए कुसुम योजना है, जिसके तीन कंपोनेंट हैं, कुसुम-A, कुसुम-B और कुसुम-C, कुसुम-A में बंजर भूमि पर कोई सोलर पैनल बिछाकर बिजली उत्पादित करना चाहे तो कर सकता है। कुसुम-B के अंतर्गत सोलर पैनल अपने खेत में लगाकर अपनी सिंचाई की व्यवस्था भी कर सकता है, और वह चाहे तो ग्रीड में उत्पादित बिजली बेचकर लाभ भी प्राप्त कर सकता है। कुसुम-C योजना के अंतर्गत वह अपना सोलर पैनल लगाकर अपनी सिंचाई की व्यवस्था भी कर सकता है। उन्हेंने कहा कि, मुझे बताते हुए प्रसन्नता है कि, कुसुम-B और कुसुम-C एग्रिकल्चर इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड की योजना के अंतर्गत सम्मिलित कर ली गई है और कुसुम-A पर भी अभी विचार किया जा रहा है।
प्राकृतिक खेती मिशन
श्री चौहान ने कहा कि, सूक्ष्म सिंचाई जैसी अनेकों परियोजनाओं पर काम चल रहा है। प्रधानमंत्री सूक्ष्म सिंचाई योजना के अंतर्गत 70 लाख हेक्टेयर जमीन इसके अंतर्गत लाई गई है, जिससे कम पानी में ड्रिप और स्प्रिंकलर के माध्यम से सिंचाई की अधिकतम व्यवस्था हो सके और किसान की लागत भी कम की जा सके। इसके अलावा सरकार रिवर लिंकिंग जैसे प्रोजेक्ट पर काम कर रही है। केन-बेतवा जैसे कई प्रोजेक्ट शुरू हुए हैं उन पर भी पानी की व्यवस्था के लिए सरकार ने योजना बनाई हैं। सिंचाई का रकबा भी बढ़ाया जा रहा है। जहां तक प्राकृतिक आपदा का सवाल है तो उसमें राज्य जब अपनी रिपोर्ट भेजते हैं तो केंद्र सरकार अपने दल को भेजकर परीक्षण करवाती है और जो नियम और प्रक्रिया है उसके अंतर्गत सहायता देने का काम करती है।
प्राकृतिक खेती पर पूरी गंभीरता के साथ सरकार काम कर रही है और प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों को सब्सिडी देने के प्रावधान पर गंभीरता पूर्वक विचार हो रहा है। जिससे लागत भी घट सके और सुरक्षित उत्पाद भी हमें मिल सकें। साथ ही धरती का स्वास्थ्य भी बच सकें। ज्यादा केमिकल फर्टिलाइजर के उपयोग के कारण मानव शरीर पर भी प्रभाव पढ़ रहा है। जमीन की उत्पादक क्षमता भी कम हो रही है।
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