राष्ट्रीय कृषि समाचार (National Agriculture News)

1960 की गलती सुधारी गई, अब सिंधु का पानी भारत के खेतों में बहेगा: शिवराज सिंह चौहान

20 मई 2025, नई दिल्ली: 1960 की गलती सुधारी गई, अब सिंधु का पानी भारत के खेतों में बहेगा: शिवराज सिंह चौहान – केंद्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दिल्ली के पूसा परिसर स्थित शिंदे ऑडिटोरियम में देशभर के किसान संगठनों के साथ एक अहम बैठक की। यह बैठक मोदी सरकार द्वारा सिंधु जल संधि को समाप्त करने के निर्णय पर आयोजित की गई थी।

देशभर से आए किसान संगठनों के प्रतिनिधियों ने इस फैसले का स्वागत किया। चौहान ने इस संधि को “राष्ट्र के साथ अन्याय” बताते हुए इसकी तीव्र आलोचना की। उन्होंने कहा कि जब यह संधि हुई थी, तब प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने भारत का 80% पानी पाकिस्तान को सौंप दिया और साथ ही 83 करोड़ रुपये (जो आज की कीमत में लगभग 5,500 करोड़ रुपये होते हैं) भी दिए।

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चौहान ने कहा कि जल विशेषज्ञों के विरोध के बावजूद नेहरू ने यह संधि थोप दी थी। “हम अपने किसानों का पानी एक ऐसे देश को दे रहे थे, जो आतंकवाद का पोषण करता है। मोदी जी ने इस ऐतिहासिक अन्याय को समाप्त कर दिया है। अब यह पानी हमारे किसानों और देश की सेवा में लगेगा।”

चौहान ने हाल की सीमा पार घटनाओं का भी ज़िक्र किया, जहां धर्म पूछकर निर्दोष युवाओं की हत्या की गई। उन्होंने कहा, “भारत किसी को उकसाता नहीं, लेकिन अगर उकसाया गया, तो पीछे भी नहीं हटता। मोदी जी ने सेना को पूरी छूट दी और हमारे जवानों ने आतंकवादी ठिकानों को नष्ट कर दिया, लेकिन आम पाकिस्तानी नागरिकों को नुकसान नहीं पहुंचाया। पाकिस्तान को लगा कि तुर्की और चीन से मिले ड्रोनों व मिसाइलों से भारत डर जाएगा, लेकिन हमारे जवानों ने उन्हें खिलौनों की तरह गिरा दिया। पाकिस्तान तीन दिन में घुटनों पर आ गया।”

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चौहान ने स्पष्ट कहा कि मोदी जी का यह निर्णय छोटा कदम नहीं, बल्कि जल और आत्मसम्मान दोनों की रक्षा है। “पानी और खून एक साथ नहीं बह सकते,” उन्होंने कहा।

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उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के 1960 में संसद में दिए गए भाषण का उल्लेख किया, जो लोकसभा डिबेट्स सेकंड सीरीज़, वॉल्यूम 48, पेज 3165–3240 में प्रकाशित है। वाजपेयी ने इस संधि का विरोध करते हुए कहा था कि यह देश के साथ अन्याय है। पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति अयूब खान ने भी कहा था कि यह संधि नेहरू के दखल के बिना संभव नहीं थी।

चौहान ने सवाल किया, “क्या पानी और धन देकर हम शांति खरीद सकते हैं?” उन्होंने कहा कि बिना पानी के न खेती होती है, न जीवन चलता है और न ही जलविद्युत। यह एक ऐतिहासिक भूल थी।

पाकिस्तान ने संधि के नियमों का कभी पालन नहीं किया, यहां तक कि भारत को अपने बांधों की सिल्ट साफ करने की भी अनुमति नहीं दी। अब सरकार ने सलाल और बगलिहार जैसे बांधों पर पानी रोककर जवाब देना शुरू किया है।

किसानों से संवाद करते हुए चौहान ने कहा कि हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों को इस पानी का हक मिलेगा। उन्होंने दोहराया, “मैं कृषि मंत्री के रूप में आपका सेवक हूं। मेरे दरवाज़े और दिल किसानों के लिए हमेशा खुले हैं।”

इस अवसर पर पंजाब के किसान सरदान गोमा सिंह को भी सम्मानित किया गया, जिन्होंने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान अपने घर खाली करके भारतीय जवानों का सहयोग किया था।

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किसान संगठनों ने मोदी सरकार के फैसले का एकमत से समर्थन किया और संधि को पूर्णतः रद्द करने की मांग की। उनका कहना था कि पाकिस्तान ने 1960 से ही संधि के प्रावधानों का उल्लंघन किया है। उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि सिंधु नदी के जल का उपयोग अब भारत के राज्यों के हित में किया जाए।

किसान नेताओं ने कहा कि भारतीय किसान साहसी हैं और अन्याय कभी सहन नहीं करते। “यह फैसला ऐतिहासिक है। भले ही इसके क्रियान्वयन में समय लगे, लेकिन हम सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं।”

उन्होंने दोहराया कि “खेती के लिए पानी और फसल का सही मूल्य” किसान की समृद्धि की नींव हैं, और मोदी सरकार इस दिशा में साहसी निर्णय ले रही है।

इस मौके पर बोलने वाले प्रमुख किसान नेताओं में अशोक बलियान, धर्मेंद्र मलिक, सत्यनारायण नेहरा, कृपा सिंह नथुवाला, सतविंदर सिंह कालसी, मनकराम परिहार, सतीश चिकारा, बाबा श्याम सिंह, बाबा मूलचंद सहारावत, प्रो. वी.पी. सिंह, राजेश सिंह चौहान, सुशीला बिश्नोई और रामपाल सिंह जाट शामिल थे।

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