राष्ट्रीय कृषि समाचार (National Agriculture News)

शिवराज सिंह चौहान खेतों में पहुँचे, किसानों से सीधे की बात

02 जून 2025, पानीपत, हरियाणा: शिवराज सिंह चौहान खेतों में पहुँचे, किसानों से सीधे की बात – ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ को लेकर देशभर में उत्साह लगातार बढ़ रहा है। इस महत्वाकांक्षी कृषि पहल के तीसरे दिन, केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने हरियाणा के पानीपत जिले में किसानों से सीधे संवाद कर उनकी समस्याएँ जानीं और उन्नत कृषि की दिशा में सरकार की दृष्टि साझा की।

मंत्री श्री चौहान ने जी.टी. रोड स्थित आर्य पी.जी. कॉलेज में आयोजित एक सार्वजनिक सभा में भाग लिया। कार्यक्रम में हरियाणा के कृषि मंत्री श्याम सिंह राणा, शिक्षा मंत्री महिपाल ढांडाडॉ. मांगी लाल जाट (डेयर सचिव एवं आईसीएआर के महानिदेशक), अन्य स्थानीय गणमान्य व्यक्ति और कृषि विभाग के अधिकारी भी मौजूद रहे।

“खेतों में जाना ही कार्यक्रम को पूर्ण बनाता है”

सभा को संबोधित करने से पहले मंत्री चौहान ने खेतों का दौरा किया और किसानों से सीधी बातचीत की। उन्होंने किसान रामप्रताप के खेत में जाकर लाल, पीले और नारंगी रंग के तरबूज देखे और उनके स्वाद और नवाचार की सराहना की। मंत्री ने बताया कि गेहूं और तरबूज की मिश्रित खेती भारतीय कृषि के लिए लाभदायक और आधुनिक तरीका हो सकता है।
उन्होंने कहा, “किसानों का कोई भी कार्यक्रम खेतों में गए बिना अधूरा होता है। आज रामप्रताप जैसे किसान से बात करके और उनकी फसल देखकर मुझे विश्वास हुआ कि भारत का कृषि भविष्य उज्ज्वल है।”

“किसान भारतीय अर्थव्यवस्था की आत्मा हैं”

श्री चौहान ने भावुक होकर कहा, “किसानों के बीच जाना, उन्हें सुनना और समाधान देना ही कृषि मंत्री के रूप में मेरी भूमिका का सार है। कृषि भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और किसान इसकी आत्मा। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने जबसे मुझे यह जिम्मेदारी सौंपी है, खेती मेरी सांसों में बस गई है।”

उन्होंने कहा, “मैं किसान का बेटा हूँ। ट्रैक्टर चलाता हूँ, बुआई करता हूँ। बिना किसान के भारत अधूरा है।” उन्होंने नारा दोहराया – “जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान, जय अनुसंधान”, और कहा कि देश की ताकत उसके जवान और किसान हैं।

जल अधिकारों पर बड़ा संदेश: सिंधु जल संधि पर रोक

मंत्री चौहान ने ऐतिहासिक अन्याय का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री मोदी का आभार जताया कि उन्होंने सिंधु जल संधि को स्थगित करने का साहसिक फैसला लिया। उन्होंने बताया कि संधि के तहत 80% नदी जल पाकिस्तान को दे दिया गया था, जिससे भारतीय किसान पानी के लिए संघर्ष कर रहे थे।
अब यह पानी पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर के खेतों में बहेगा। “यह पानी अब हमारे खेत सींचेगा और किसान सशक्त होंगे,” उन्होंने कहा।

विकसित कृषि संकल्प अभियान: प्रयोगशाला से खेत तक

केंद्रीय मंत्री ने अभियान का उद्देश्य स्पष्ट करते हुए बताया कि यह वैज्ञानिकों और किसानों को जोड़ने का अभियान है। देशभर में 16,000 से अधिक वैज्ञानिकों की 2,170 टीमें गाँव-गाँव जाकर किसानों से संवाद कर रही हैं।

“यह ‘Lab to Land’ (प्रयोगशाला से खेत) आंदोलन है,” उन्होंने कहा। हरियाणा में ही 55 टीमें सक्रिय हैं, जो किसानों को उर्वरक संतुलन, नई फसल किस्में, और उत्पादन बढ़ाने के तरीकों पर जानकारी दे रही हैं।

उन्होंने किसानों से आग्रह किया, “जब वैज्ञानिक आपके गाँव आएं, तो ज़रूर मिलें। सवाल पूछें, समस्याएं बताएं। सिर्फ 1 क्विंटल प्रति एकड़ उत्पादन बढ़ने से ही इस खरीफ सीजन में 2 करोड़ टन अतिरिक्त अन्न उपज सकता है।”

नई धान की किस्में: अधिक उत्पादन, कम पानी

वैज्ञानिक प्रगति पर बोलते हुए मंत्री ने बताया कि हाल ही में दो नई धान की किस्में विकसित की गई हैं जो 30% अधिक उत्पादन देती हैं और 20% कम पानी में उगाई जा सकती हैं।
“ऐसे नवाचार किसानों तक रियल टाइम में पहुंचें – यही इस अभियान का मकसद है,” उन्होंने कहा।

प्राकृतिक और संतुलित खेती को बढ़ावा

मंत्री ने किसानों से संतुलित उर्वरक उपयोग और प्राकृतिक खेती को अपनाने की अपील की। उन्होंने कहा कि यह दोनों तरीके कृषि को टिकाऊ और लाभकारी बनाएंगे।
“हमारे वैज्ञानिक आपको बताएंगे कि कैसे मिट्टी को स्वस्थ रखते हुए उत्पादन बढ़ाया जा सकता है,” उन्होंने कहा।

किसानों से आग्रह: अभियान में सक्रिय भागीदारी करें

अंत में मंत्री चौहान ने किसानों से अपील की कि वे वैज्ञानिकों की इस पहल का पूरा लाभ उठाएं। “जब वैज्ञानिक आपके गाँव आएं, तो उन्हें समय दें, बातचीत करें, और जानें। हम सब मिलकर भारतीय खेती का भविष्य बदल सकते हैं।”

किसान-प्रथम दृष्टिकोण के साथ ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ केवल सरकारी योजना नहीं, बल्कि एक जन आंदोलन बन रहा है – भारत के अन्नदाता को सशक्त बनाने और देश को वैश्विक खाद्य टोकरी बनाने की दिशा में।

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