गैर बासमती धान के न्यूनतम समर्थन मूल्य में सबसे कम वृद्धि; अच्छे लाभ के लिए अन्य फसल का सुझाव दें
27 जून 2024, नई दिल्ली: गैर बासमती धान के न्यूनतम समर्थन मूल्य में सबसे कम वृद्धि; अच्छे लाभ के लिए अन्य फसल का सुझाव दें – भारत सरकार ने विपणन सत्र 2024-25 के लिए खरीफ की प्रमुख फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में वृद्धि को मंजूरी दे दी है। हालांकि, इस बार गैर बासमती धान के एमएसपी में सबसे कम वृद्धि हुई है, जिससे इस फसल को उगाने वाले किसानों को अपेक्षाकृत कम लाभ होगा। इसके बजाय, किसानों को अन्य फसलों की खेती पर विचार करना चाहिए, जिनके एमएसपी में अधिक वृद्धि हुई है और जो बेहतर लाभ प्रदान कर सकती हैं।
विपणन सत्र 2024-25 के लिए गैर बासमती धान और अन्य फसलों के एमएसपी में वृद्धि (रुपये प्रति क्विंटल)
फसल | 2020-21 | 2021-22 | 2022-23 | 2023-24 | वृद्धि | 2024-25 |
धान (सामान्य) | 1868 | 1940 | 2040 | 2183 | 117 | 2300 |
धान (ग्रेड ए) | 1888 | 1960 | 2060 | 2203 | 117 | 2320 |
गैर बासमती धान की एमएसपी में कम वृद्धि के कई कारण हैं। धान की खेती में अत्यधिक पानी की खपत होती है और सामान्य धान के निर्यात पर प्रतिबंध भी लगा हुआ है। इसके अलावा, सरकार वित्तीय संतुलन बनाए रखने और कीमतों में स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए तिलहन और नकदी फसलों को बढ़ावा देना चाहती है।
दलहन और तिलहन की खेती पर जोर
तिलहन और दालों की एमएसपी में इस बार अधिक वृद्धि हुई है, जिससे इनकी खेती अधिक लाभकारी हो सकती है। तिलहन जैसे तिल और सूरजमुखी की फसलों की एमएसपी में वृद्धि से किसानों को बेहतर लाभ मिल सकता है।
फसल | 2020-21 | 2021-22 | 2022-23 | 2023-24 | वृद्धि | 2024-25 |
अरहर | 6000 | 6300 | 6600 | 7000 | 550 | 7550 |
उड़द | 6000 | 6300 | 6600 | 6950 | 450 | 7400 |
मूंगफली | 5275 | 5550 | 5850 | 6377 | 406 | 6783 |
तिल | 6855 | 7307 | 7830 | 8635 | 632 | 9267 |
सूरजमुखी | 5885 | 6015 | 6400 | 6760 | 520 | 7280 |
रामतिल | 6695 | 6930 | 7287 | 7734 | 983 | 8717 |
सरकार ने इस वर्ष तिलहन और दालों के लिए एमएसपी में सबसे अधिक वृद्धि की है। रामतिल के एमएसपी में 983 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि की गई है, जो इस वर्ष की सबसे बड़ी वृद्धि है। इसके बाद तिल के एमएसपी में 632 रुपये प्रति क्विंटल और तुअर/अरहर के एमएसपी में 550 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि की गई है।
नकदी फसलों की खेती
नकदी फसलें जैसे कपास, मूंग और सोयाबीन की खेती भी किसानों के लिए लाभकारी हो सकती है। कपास की एमएसपी में 501 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि की गई है। सोयाबीन की एमएसपी में 292 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि की गई है। मूंग का एमएसपी 8682 रुपये प्रति क्विंटल की गई है, जो की सभी खरीफ फसलों में सबसे अधिक है।
फसल | 2020-21 | 2021-22 | 2022-23 | 2023-24 | वृद्धि | 2024-25 |
कपास (मध्यम रेशा) | 5515 | 5726 | 6080 | 6620 | 501 | 7121 |
कपास (लंबा रेशा) | 5825 | 6025 | 6380 | 7020 | 501 | 7521 |
मूंग | 7196 | 7275 | 7755 | 8558 | 124 | 8682 |
सोयाबीन | 3880 | 3950 | 4300 | 4600 | 292 | 4892 |
मूंग का उत्पादन 75 से 90 दिनों की अवधी में होता है, जिससे किसानों को त्वरित लाभ की उम्मीद रहती है। दूसरी, और कपास का व्यावसायिक महत्व है जिससे इसकी मांग बनी रहती है इसका उत्पादन 140 से 150 दिनों के भीतर होता है। जिससे किसानों को त्वरित लाभ की उम्मीद रहती है।
दलहन और तिलहन की फसलों को उगाने से किसानों को बेहतर लाभ मिल सकता है, साथ ही यह फसलें पोषण और तेल की आपूर्ति के लिए महत्वपूर्ण हैं। तिलहन की उच्च एमएसपी वृद्धि से किसानों को अच्छा लाभ प्राप्त हो सकता है और बाजार में इनकी मांग भी बढ़ रही है।
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