चाय बागानों को ऑयल पाम मिशन का लाभ उठाने की अनुमति
19 अप्रैल 2025, नई दिल्ली: चाय बागानों को ऑयल पाम मिशन का लाभ उठाने की अनुमति – केंद्र सरकार ने असम के चाय बागानों को अपने प्रमुख ऑयल पाम मिशन का लाभ उठाने की अनुमति दे दी है। यह निर्णय उत्तर-पूर्वी चाय संघ के अनुरोध के बाद लिया गया है। उत्तर-पूर्वी चाय संघ ने केंद्र और राज्य सरकार को पत्र लिखकर असम के चाय बागानों को इस योजना के दायरे में लाने की अपील की थी। आपको बता दें कि भारत खाद्य तेलों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए बड़े पैमाने पर पाम ऑयल के आयात पर निर्भर है। ऐसे में NMEO-OP मिशन से स्वदेशी खाद्य तेल उत्पादन बढ़ाने और आयात खर्च को कम करने में मदद मिलेगी।
ऑयल पाम की खेती के लिए भारी पूंजी निवेश की आवश्यकता होती है, खासकर पहले चार वर्षों में जब फसल तैयार नहीं होती। चाय उद्योग को उम्मीद है कि केंद्र सरकार की NMEO-OP मिशन के तहत मिलने वाली सहायता से उनकी मौजूदा आर्थिक चुनौतियों को हल करने में मदद मिलेगी। उत्तर पूर्वी चाय संघ(NETA) के सलाहकार बिद्यानंद बोरकाकोटी के मुताबिक चाय बागानों में ऑयल पाम लगाने से उद्योग को मजबूती मिलेगी।
NETA ने अपने अध्ययन में पाया कि चाय और ऑयल पाम की खेती को संतुलित रूप से किया जा सकता है। इसके अलावा, अगर चाय बागानों की 5 फीसदी भूमि पर अगर पेड़, ऑयल पाम और अन्य नकदी फसलों की खेती की जाए, तो यह उद्योग की आर्थिक स्थिति को सुधारने में कारगर साबित हो सकता है। असम सरकार ने अक्टूबर 2022 में चाय बागानों की 5 फीसदी भूमि पर नकदी फसल उगाने की अनुमति दी थी। इसके बाद असम कैबिनेट ने ऑयल पाम को नकदी फसल के रूप में मान्यता दी। इस योजना के तहत किसानों और बागान मालिकों को रोपण सामग्री, चार साल तक की देखभाल, सहायक फसल के लिए इनपुट, भूमि समतलीकरण, बायो-फेंसिंग, ड्रिप सिंचाई, बोरवेल/पंप सेट/जल संचयन संरचना/वर्मी कंपोस्ट इकाई, कटाई के उपकरण जैसी सुविधाएं दी जाती हैं। पूर्वोत्तर राज्यों के लिए इसमें विशेष पैकेज भी शामिल है। यह योजना 2025-26 तक लागू रहेगी।
(नवीनतम कृषि समाचार और अपडेट के लिए आप अपने मनपसंद प्लेटफॉर्म पे कृषक जगत से जुड़े – गूगल न्यूज़, टेलीग्राम, व्हाट्सएप्प)
(कृषक जगत अखबार की सदस्यता लेने के लिए यहां क्लिक करें – घर बैठे विस्तृत कृषि पद्धतियों और नई तकनीक के बारे में पढ़ें)
कृषक जगत ई-पेपर पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:
www.krishakjagat.org/kj_epaper/
कृषक जगत की अंग्रेजी वेबसाइट पर जाने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें: