महाकुम्भ में जा रहे हैं तो रखें ध्यान
15 जनवरी 2025, नई दिल्ली: महाकुम्भ में जा रहे हैं तो रखें ध्यान – पवित्र, धार्मिक एवं ऐतिहासिक नगरी प्रयागराज में 13 जनवरी से शुरू हो रहा महाकुम्भ आस्था, विश्वास, सौहार्द्र एवं संस्कृतियों के मिलन का महापर्व है। अगले महीने 26 फरवरी तक आयोजित इस महापर्व में 40 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के प्रयागराज आने की सम्भावना है। ये सभी श्रद्धालु त्रिवेणी यानी पवित्र नदी गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम स्थल पर डुबकी लगाकर अपने आपको धन्य समझेंगे।
सही मायने में यह हिंदू धर्मावलम्बियों का सबसे बड़ा पर्व है जिसमें देश-विदेश के करोड़ों श्रद्धालु बिना किसी आमंत्रण के अपनी सुविधानुसार आकर महाकुम्भ में अपनी सहभागिता करेंगे। जब संख्या करोड़ों में हो तो पर्याप्त मूलभूत सुविधाएं भी कम पडऩे लग जाती हैं। हालांकि उत्तरप्रदेश सरकार ने महाकुम्भ में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या का जो अनुमान लगाया है, उसी के अनुरूप मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करवाने का भरसक प्रयत्न किया है। फिर भी कहीं कोई कमी रह गई है तो सरकार ने विश्वास दिलाया है कि उस कमी को शीघ्र ही पूरा कर लिया जाएगा।
आये दिन देखने में आता है कि किसी भी मेला या बड़े आयोजन, जिनमें लाखों श्रद्धालु सहभागिता करते हैं। लेकिन जब अनुमान से अधिक संख्या हो जाए तो सभी व्यवस्थाएं चरमरा जाती हैं। जरा सी लापरवाही से जन धन की हानि हो जाती है। इसलिए जब भीड़-भाड़ वाले स्थानों पर जाते हैं तब विशेष सावधानी रखना आवश्यक हो जाता है।
जब पहले से ही तय होता है कि कितने व्यक्ति आयेंगे तब व्यवस्था करना आसान होता है लेकिन जब मेलों और धार्मिक आयोजनो में यह कह पाना मुश्किल रहता है तथा अनुमान के आधार पर ही व्यवस्था की जाती है। इसलिये प्रयागराज में आयोजित महाकुम्भ में जाने वाले श्रद्धालुओं को भी अपनी ओर से मेला प्रबंधन द्वारा की गई व्यवस्थाओं को सुचारू रूप से संचालित करने में सहयोग करना चाहिए।
हालांकि उत्तरप्रदेश सरकार ने सभी सम्भावित चुनौतियों के मद्देनजर माकूल व्यवस्था करने का दावा किया है। लेकिन आम श्रद्धालुओं के सहयोग के बिना इन व्यवस्थाओं को सुचारू रूप से संचालित करना सम्भव नहीं है। मेला प्रबंधन ने मेला को सिंगल यूज प्लास्टिक से मुक्त घोषित किया है तो सभी श्रद्धालुओं की भी जिम्मेदारी है कि वे अपने साथ सिंगल यूज प्लास्टिक लेकर न जायें। यदि ले जाना अपरिहार्य हो तो उपयोग करने के बाद मेला क्षेत्र में जगह-जगह रखे गए डस्टबिन में ही डालें। इधर-उधर खुले स्थान या नदी में नहीं फेकें। नदी में स्नान करते समय और कपड़े धोने में साबुन का उपयोग नहीं करें। नदी में बनाए गये निर्धारित स्थान पर ही स्नान करें और सीमा का उल्लंघन भी न करें। सोशल मीडिया पर असामाजिक तत्वों द्वारा अफवाह भी फैलाई जा सकती है इसलिये जब तक पुष्टि न हो जाए, ऐसी अफवाहों पर ध्यान न दें।
यात्रा करते समय या मेला में कहीं भी संदिग्ध वस्तु या व्यक्ति देखें, इसकी सूचना स्थानीय पुलिस को अवश्य दें। मेला प्रबंधन ने वाट्सएप के माध्यम से भी मेला की सम्पूर्ण जानकारी देने की व्यवस्था की है। आपातकाल की स्थिति में महाकुंभ का हेल्पलाइन नंबर : 1920 और पुलिस हेल्पलाइन नंबर : 112 पर सम्पर्क करें। मेला प्रबंधन ने श्रद्धालुओं की अनुमानित संख्या के अनुसार ही करीब डेढ़ लाख शौचालयों का निर्माण करवाया है इसलिये शौचालयों का प्रयोग करें तथा भूलकर भी खुले में शौच न करें। वाहनों की पार्किंग के लिए पार्किंग स्थलों का उपयोग करें तथा यातायात नियमों का पालन करें ताकि किसी भी तरह की अव्यवस्था न हो। ध्यान रखें कि मेला क्षेत्र या शहर में ठहरने के स्थान के निकटतम स्नान घाटों का उपयोग करें। समय-समय रेडियो और लाऊडस्पीकरों से या किसी अन्य माध्यम से प्राप्त नियमों और निर्देशों का पालन करें। आप के साथी या सामग्री के खो जाने पर खोया-पाया केंद्रों का उपयोग करें। मेला में जाते समय ध्यान रखें कि कीमती सामान और अनावश्यक खान-पान की वस्तुएं न रखें। यदि संक्रामक रोग से पीडि़त हों तो भीड़-भाड़ वाली जगहों पर न जाएं ।
महाकुम्भ में जाने वाले सभी श्रद्धालुओं के सहयोग से ही विश्व के सबसे बड़े आयोजन को सफल बनाया जा सकता है। इसलिये कोई भी ऐसा काम न करें जिससे व्यवस्थापकों को अनावश्यक रूप से परेशानी हो। मेला प्रबंधन द्वारा दिये गये निर्देशों का कड़ाई से पालन करें और अपनी यात्रा को यादगार बनाएं।
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