जलवायु-प्रतिरोधी 668 धान की किस्मों का विकास, लेकिन किसानों द्वारा अपनाए जाने का डेटा नहीं उपलब्ध
22 दिसंबर 2024, नई दिल्ली: जलवायु-प्रतिरोधी 668 धान की किस्मों का विकास, लेकिन किसानों द्वारा अपनाए जाने का डेटा नहीं उपलब्ध – भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के राष्ट्रीय जलवायु-लचीला कृषि नवाचार (NICRA) परियोजना के तहत सरकार ने जलवायु परिवर्तन के धान की खेती पर प्रभाव का अध्ययन किया है। इस अध्ययन में पाया गया है कि यदि अनुकूलन उपाय नहीं किए गए तो जलवायु परिवर्तन के कारण वर्षा आधारित धान की उपज 2050 तक 20% और 2080 तक 47% तक घट सकती है। सिंचित धान की उपज में भी क्रमशः 3.5% और 5% की गिरावट हो सकती है।
2014 से 2024 के बीच सरकार ने 668 धान की किस्मों का विकास किया है, जिनमें से 199 किस्में जलवायु-प्रतिरोधी हैं। इन किस्मों को सूखा, बाढ़, लवणता और तापमान में उतार-चढ़ाव जैसी कठोर मौसम परिस्थितियों को सहन करने के लिए विकसित किया गया है। इसके अलावा, इनमें से 579 किस्में कीट और बीमारियों के प्रति सहनशील हैं, जो बदलते जलवायु परिस्थितियों में उत्पादकता बढ़ाने में मदद कर सकती हैं। सरकार ने जोखिमों को कम करने के लिए सीधे बीजाई, ड्रम सीडिंग और हरी खाद जैसे नवाचारात्मक उपायों को भी बढ़ावा दिया है।
इन प्रयासों के बावजूद, इन किस्मों को किसानों द्वारा अपनाए जाने की स्थिति को लेकर महत्वपूर्ण जानकारी का अभाव है। कृषि और किसान कल्याण राज्य मंत्री श्री भगीरथ चौधरी ने लोकसभा में इन किस्मों के विकास की जानकारी दी, लेकिन किसानों द्वारा इन्हें अपनाए जाने और बीज उत्पादन की सफलता का कोई डेटा साझा नहीं किया। इन किस्मों की उपलब्धता और किसानों द्वारा अपनाए जाने की प्रक्रिया उतनी ही महत्वपूर्ण है, और इस डेटा की कमी सरकार के इन पहलों की प्रभावशीलता पर सवाल खड़ा करती है।
(नवीनतम कृषि समाचार और अपडेट के लिए आप अपने मनपसंद प्लेटफॉर्म पे कृषक जगत से जुड़े – गूगल न्यूज़, टेलीग्राम, व्हाट्सएप्प)
(कृषक जगत अखबार की सदस्यता लेने के लिए यहां क्लिक करें – घर बैठे विस्तृत कृषि पद्धतियों और नई तकनीक के बारे में पढ़ें)
कृषक जगत ई-पेपर पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:
www.krishakjagat.org/kj_epaper/
कृषक जगत की अंग्रेजी वेबसाइट पर जाने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें: