मनरेगा में सुधार के लिए विचार-मंथन: केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने उठाए बड़े कदम
19 दिसंबर 2024, नई दिल्ली: मनरेगा में सुधार के लिए विचार-मंथन: केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने उठाए बड़े कदम – ग्रामीण भारत के विकास और रोजगार की स्थिरता के लिए केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण विचार-मंथन सत्र आयोजित किया। केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में आयोजित इस बैठक में राज्यों के कमिश्नरों, मनरेगा वर्कर्स, सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों और जमीनी स्तर के अधिकारियों ने अपने सुझाव और अनुभव साझा किए।
मनरेगा योजना ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर प्रदान करने के साथ-साथ टिकाऊ बुनियादी ढांचा तैयार करने में सहायक रही है। इस वित्तीय वर्ष में अब तक 5 करोड़ से अधिक परिवारों के 6.7 करोड़ मजदूरों को रोजगार दिया गया है, जिसमें आधे से अधिक महिलाएं शामिल हैं। यह महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि है। साथ ही, योजना ने हाशिए पर खड़े समाज के वर्गों, जैसे अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य पिछड़े वर्गों को भी लाभान्वित किया है।
बैठक में उठे महत्वपूर्ण मुद्दे
बैठक में मनरेगा की मौजूदा चुनौतियों पर गहन चर्चा की गई। इस चर्चा के दौरान समय पर मजदूरी का भुगतान, जॉब कार्ड जारी करने में आने वाली समस्याएं, कार्यों की गुणवत्ता और निगरानी, शिकायत निवारण तंत्र को मजबूत करने और प्रौद्योगिकी के बेहतर उपयोग जैसे विषयों को प्राथमिकता दी गई। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि योजनाओं की सफलता इस पर निर्भर करती है कि उनका लाभ सही लोगों तक पहुंचे और आवंटित धन का उचित उपयोग हो।
सत्र में यह भी सुझाव दिया गया कि प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल से योजना की पारदर्शिता और प्रभावशीलता को बढ़ाया जाए। इसके तहत जॉब कार्ड पंजीकरण प्रक्रिया को और सुगम बनाने और शिकायतों के निवारण के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म विकसित करने पर चर्चा हुई। मंत्री ने कहा कि जब तक जमीनी स्तर पर काम करने वाले लोगों से संवाद नहीं किया जाएगा, तब तक समस्याओं का सही समाधान नहीं मिल सकता। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि हितधारकों की सहभागिता से योजना को अधिक प्रभावी बनाया जा सकता है।
पिछले वर्षों में मनरेगा की उपलब्धियां
मनरेगा के तहत पिछले वर्षों में कई बड़ी उपलब्धियां हासिल हुई हैं। योजना के माध्यम से 9.39 करोड़ परिसंपत्तियों का निर्माण किया गया है। इस साल, 63.4 लाख टिकाऊ परिसंपत्तियां तैयार की गई हैं, जो गरीबी उन्मूलन, सामाजिक समावेशन और ग्रामीण विकास में योगदान दे रही हैं। इन परिसंपत्तियों में बुनियादी ढांचे के निर्माण से लेकर सामुदायिक विकास तक के कई पहल शामिल हैं।
बैठक के अंत में केंद्रीय मंत्री ने इस चर्चा को ग्रामीण भारत के सशक्तिकरण की दिशा में एक सकारात्मक कदम बताया। उन्होंने कहा कि प्राप्त सुझावों के आधार पर मनरेगा में आवश्यक सुधार किए जाएंगे। यह सत्र ग्रामीण विकास योजनाओं को 2047 तक के विकसित भारत के दृष्टिकोण के साथ जोड़ने के प्रयासों का हिस्सा है।
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