कृषि के विकास में अनुसंधान की महत्वपूर्ण भूमिका : श्री तोमर
लोकसभा में कृषि
निमिष गंगराड़े
22 जुलाई 2021, नई दिल्ली । कृषि के विकास में अनुसंधान की महत्वपूर्ण भूमिका : श्री तोमर – कृषि क्षेत्र में अनुसंधान कृषि क्षेत्र के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस संबंध में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने कृषि क्षेत्र के विकास के लिए इस क्षेत्र की आवश्यकताओं की पूर्ति करने के लिए बहु-आयामी कार्यनीति बनाई है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रणाली (एनएआरएस) द्वारा विकसित की गई फसलों की नई उच्च पैदावार वाली तकनीकी ने देश की खाद्य सुरक्षा को बढ़ाने में मूलभूत भूमिका निभाई है। लोकसभा में केन्द्रीय कृषि मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने सांसदों के प्रश्न पर जवाब देते हुए कहा कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने वर्ष 1969 से अब तक विभिन्न फील्ड और बागवानी फसलों की 5500 से अधिक किस्में विकसित की हैं।
1575 किस्में विकसित
विगत 7 वर्षों में 70 फील्ड फसलों की 1575 किस्में विकसित की गई जिनमें अनाजों की 770, तिलहनों की 235, दालों की 236, रेशा फसलों की 170, चारा फसलों की 104, गन्ने की 52 तथा अन्य फसलों की 8 किस्में शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, बागवानी फसलों की 288 किस्में भी जारी की गई। इसके साथ ही पॉल्ट्री की 12 उन्नत किस्में, शूकर की 9 उच्च उत्पादक किस्में तथा भेड़ की एक उन्नत किस्म विकसित की गई। विगत 7 वर्षों के दौरान श्रेष्ठ जनन-द्रव्य का बहुगुणन करने के लिए 12 क्लोन की गई भैंसों का भी उत्पादन किया गया। मतस्य उत्पादन को बढ़ाने के लिए, खाद्य मछली की 25 प्रजातियों तथा सजावटी मत्स्य की 48 प्रजातियों के लिए मत्स्य प्रजनन और बीज उत्पादन की प्रौद्योगिकियाँ विकसित की गई तथा 2014-21 के दौरान चिन्हित की गई। बेहतर स्वास्थ्य प्रबंधन के लिए, पशुधन और मत्स्य में क्रमश: कुल 47 तथा 25 नई वैक्सीन/ नैदानिक किटें भी विकसित की गई थीं।
खाद्यान्न उत्पादन में 70 वर्षों में 6 गुना वृद्धि
श्री गजानन कीर्तिकर मुंबई से शिवसेना सांसद और डॉ. गौतम सिगामणि पोन, डीएमके सांसद तमिलनाडू के प्रश्न के उत्तर में श्री तोमर ने लोकसभा में जानकारी दी कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा विकसित किस्मों तथा सरकार की सक्षमकारी नीतियों के कारण देश ने 1950-51 से अब तक कुल खाद्यान्नों में 6 गुना वृद्धि देखी गई। दालों, तिलहनों, दूध तथा मत्स्य उत्पादन में तदनुरूपी वृद्धि क्रमश: 3.04, 7.10, 11.04 तथा 17.90 गुना रही। 1950-51 से 2018-19 की अवधि के दौरान, सभी खाद्यान्नों, चावल, गेहूं, गन्ना, दालों तथा तिलहन की उत्पादकता (किलोग्राम/हेक्टेयर) में वृद्धि क्रमश: 4.04, 3.98, 5.30, 2.34, 2.83 तथा 2.63 गुना थी।
एक प्रश्न के जवाब में कृषि अनुसंधान की भूमिका को बताते हुए कृषि मंत्री ने कहा गत 7 वर्षों के दौरान, डेयर/भाकृअप के तहत अनुसंधान संस्थानों ने, यंत्रीकरण को बढ़ाने, कटाई पश्चात हानियों को कम करने और किसानों की आय बढ़ाने के उद्देश्य से 230 कृषि मशीनरी/उपकरण एवं 168 प्रोटोकॉल विकसित किए। भारत सरकार ने वर्ष 2014-15 में एक विशेष योजना ‘कृषि यंत्रीकरण पर उप मिशन (एसएमएएम)Ó आरम्भ की। इस योजना में, गत 7 वर्षों और वर्तमान वर्ष के दौरान कुल 15390 कस्टम हायरिंग केन्द्र, 362 हाईटेक हब्स, 14235 कृषि मशीनरी बैंकों की स्थापना की। इस अवधि के दौरान सब्सिडी के तहत इस वर्ष 2021-22 (जून 2021 तक) रु. 1086.66 करोड़ जारी किए गए।