राष्ट्रीय कृषि समाचार (National Agriculture News)

देश में रबी का रकबा 526 लाख हेक्टेयर पार

  • (नई दिल्ली कार्यालय)

15 दिसम्बर 2022,  देश में रबी का रकबा 526 लाख हेक्टेयर पार – देश में रबी फसलों का रकबा 9 दिसम्बर की स्थिति के मुताबिक 526 लाख हेक्टेयर पार कर गया है। जबकि गत वर्ष समान अवधि में 457.80 लाख हेक्टेयर में बोनी हुई थी। 68.47 लाख हेक्टेयर का यह अंतर वर्ष 2021-22 की इसी अवधि की तुलना में 15 प्रतिशत अधिक है। रकबे में वृद्धि सभी फसलों में हुई है; लेकिन सबसे ज्यादा वृद्धि गेहूं में देखने को मिली है। सभी रबी फसलों के रकबे में हुई 68.47 लाख हेक्टेयर की वृद्धि में से 51.85 लाख हेक्टेयर वृद्धि गेहूं के रकबे में हुई है, जो 203.91 लाख हेक्टेयर से बढक़र 255.76 लाख हे. हो गया है।

तिलहन

रबी सीजन में गेहूं के बाद तिलहन के रकबे में सबसे अधिक वृद्धि हुई है। तिलहन की खेती का रकबा वर्ष 2021-22 के 87.65 लाख हेक्टेयर से 7.55 लाख हेक्टेयर बढक़र इस साल 95.19 लाख हेक्टेयर हो गया है। तिलहन के रकबे में हुई 7.55 लाख हेक्टेयर की वृद्धि में से अकेले रेपसीड और सरसों के रकबे में 7.17 लाख हेक्टेयर की वृद्धि हुई। इसका कारण पिछले 2 वर्षों से लागू किया जा रहा विशेष सरसों मिशन है। रबी 2022-23 के दौरान, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन-तिलहन के तहत 18 राज्यों के 301 जिलों में 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर से अधिक उपज क्षमता वाले 26.50 लाख एचवाईवी बीज मिनीकिट किसानों को वितरित किए गए।

दलहन

दलहन का रकबा 3.30 लाख हेक्टेयर वृद्धि के साथ 123.77 लाख हेक्टेयर से बढक़र 127.07 लाख हेक्टेयर हो गया। सभी दालों के रकबे में हुई 3.30 लाख हेक्टेयर की वृद्धि में से 2.14 लाख हेक्टेयर की वृद्धि अकेले चने की फसल में हुई है। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के तहत एनएफएसएम ‘टीएमयू 370’ के नाम से विशेष कार्यक्रम शुरू किया गया, जिसका उद्देश्य अच्छे बीज और तकनीकी हस्तक्षेपों के अभाव के कारण दालों की राज्य औसत से कम उपज वाले जिलों की उत्पादकता बढ़ाना था। जिलों में फसल के फैलाव और उत्पादकता के आधार पर 370 जिलों पर अरहर, मसूर और उड़द (टीएमयू) की खेती के लिए केंद्रित किया गया।

मोटे अनाज

मोटे सह पोषक अनाजों की खेती के रकबे में 4.34 लाख हेक्टेयर की वृद्धि देखी गई। वर्ष 2021-22 में 32.05 लाख हेक्टेयर की तुलना में इस वर्ष अब तक का कवरेज 36.39 लाख हेक्टेयर है। यह एक शुभ संकेत है, क्योंकि संयुक्त राष्ट्र ने 2023 को अंतर्राष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष (आईवाईओएम) घोषित करने का प्रस्ताव पारित किया है, जिसकी पेशकश भारत द्वारा खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) को की गई थी।

‘सरकार सभी फसलों की उत्पादकता बढ़ाने पर जोर दे रही है और इसके लिए किसानों को तकनीकी सहायता और महत्वपूर्ण इनपुट के साथ-साथ एचवाईवी बीज मिनीकिट मुफ्त में दिए जाते हैं। उच्च उत्पादकता के साथ रकबे में हुई वृद्धि देश के खाद्यान्न उत्पादन में एक नया मील का पत्थर स्थापित करेगी। अधिक उत्पादन और लाभकारी कीमतों के लिए समर्थन के कारण किसानों की आय में भी वृद्धि होगी।

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