अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का संदेश
23 जून 2025, नई दिल्ली: अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का संदेश – हाल ही में केंद्रीय आयुष मंत्रालय की एक सर्वेक्षण रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत की पहल पर संयुक्त राष्ट्र द्वारा 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस घोषित किए जाने के एक दशक बाद देश के 41 प्रतिशत से अधिक उत्तरदाताओं ने कुछ हद तक योग को अपनी जीवनशैली में शामिल कर लिया है। इस सर्वेक्षण में 34 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के कुल 30,084 परिवारों को शामिल किया गया। सर्वेक्षण में पाया गया कि 24.6 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने योग के कारण बेहतर फिटनेस की बात कही, 16.9 प्रतिशत ने तनाव के स्तर में कमी महसूस की जबकि लगभग एक-चौथाई उत्तरदाताओं ने स्वास्थ्य संबंधी ज्ञान प्राप्त होने का दावा किया है।
‘अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के एक दशक के प्रभाव का आकलन: सर्वेक्षण के निष्कर्ष’ शीर्षक के तहत किए गए सर्वेक्षण में पाया गया कि 11.2 प्रतिशत लोग नियमित रूप से योग करते हैं, 13.4 प्रतिशत लोग कभी-कभी और 75.5 प्रतिशत लोग योग नहीं करते हैं। इसके अलावा शहरी क्षेत्रों में 12.6 प्रतिशत उत्तरदाता नियमित रूप से योग करते हैं जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में यह आंकड़ा 10.4 प्रतिशत ही है। पिछले कुछ दशक से देश में योग के बारे में व्यापक प्रचार-प्रसार हुआ है और सर्वेक्षण में यह भी उजागर हुआ है कि योग के प्रति 18 से 24 आयु वर्ग के युवाओं में सबसे अधिक जागरूकता आई है। हालांकि, योग का अभ्यास करने वालों में 65 वर्ष या उससे अधिक आयु के लोगों की हिस्सेदारी सबसे अधिक यानी 17 प्रतिशत है।
भारत सरकार की पहल पर संयुक्त राष्ट्र संघ ने हर साल 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाने का निर्णय लिया। पहला अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 21 जून 2015 को मनाया गया था। इसके बाद हर साल 21 जून को पूरे विश्व में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाता है। सन् 2015 के बाद योग के प्रति जागरूकता फैलाने में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के महत्व को भी नकारा नहीं जा सकता। इसी का परिणाम है कि योग को अपनाने वालों की संख्या में साल- दर-साल वृद्धि हो रही है। आयुष मंत्रालय के सर्वेक्षण में जो तथ्य सामने आए हैं, बेहद चौकाने वाले हैं। देश में मात्र 11.2 प्रतिशत लोग ही नियमित योग करते हैं और ग्रामीण क्षेत्रों में शहरों की तुलना में योग करने वालों की संख्या भी कम है। कुछ दशक पहले योग बहुत कम लोगों तक ही सीमित था लेकिन अब योग को वैश्विक पहचान मिल चुकी है। योग से न केवल स्वस्थ रहा जा सकता है बल्कि यह रोजगार का भी एक साधन बन गया है। योग का एक सूत्र वाक्य भी है ‘करो योग रहो निरोग’। यानी योग करने वाला स्वस्थ रहता है। यह भी कहा जाता है ‘पहला सुख निरोगी काया’ और निरोग रहने में योग की भूमिका सिद्ध भी हो चुकी है। इसलिये योग को केवल अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस तक ही सीमित नहीं करना चाहिए अर्थात् योगाभ्यास को अपनी दिनचर्या का अनिवार्य अंग बनाना चाहिए ताकि शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रहा जा सके।
योग से एक ओर जहां रोग को होने से रोका जा सकता वहीं दूसरी ओर योग से अनेक रोगों पर काबू पाया जा सकता है। हालांकि योग के बारे में अधिकांश देशवासी जानते हैं लेकिन नियमित योग करने वालों की संख्या बहुत कम है। इसलिए योग को बढ़ावा देने और सभी आयु वर्ग के लोगों को योग करने के प्रोत्साहित करने की जरूरत है। यह काम केवल सरकार का ही नहीं है अपितु आम नागरिकों को भी अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी और योग के बारे में व्यापक प्रचार-प्रसार करना चाहिए। बच्चों को बचपन से ही योग के बारे जानकारी दी जानी चाहिए ताकि जब वे युवा और जवान होंगे तब निश्चित ही एक आम नागरिक से अलग अपनी पहचान बनाएंगे और एक जिम्मेदार नागरिक के रूप में देश के विकास में अपनी भागीदारी निभाएंगे।
वर्ष 2025 का अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 21 जून को भारत सहित समूचे विश्व में मनाया गया। इस साल अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की विषयवस्तु थी – ‘योग फॉर वन अर्थ, वन हेल्थ’ यानी ‘एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य के लिए योग’। इससे यह इंगित हो रहा है कि हमारी सेहत और धरती की सेहत एक-दूसरे से जुड़ी हुई है। इसलिये हमें वे सब प्रयास करने होंगे जिससे मानव और धरती, दोनों स्वस्थ रहें।
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