राष्ट्रीय कृषि समाचार (National Agriculture News)

पूसा संस्थान ने किसानों को बताया कैसे करें मक्के की फसल में पोषक तत्व प्रबंधन

05 सितम्बर 2023, नई दिल्ली: पूसा संस्थान ने किसानों को बताया कैसे करें मक्के की फसल में पोषक तत्व प्रबंधन – भारतीय कृषि अनुसन्धान संस्थान नई दिल्ली (पूसा ) द्वारा किसानों की कृषि से संबंधित समस्याओं को हल करने के लिए हर हफ्ते उनके द्वारा एक विडियो एपिसोड जारी  किया जाता हैं। इसके जरिये  किसानों को उनकी फसल से जुड़ी संपूर्ण जानकारी दी जाती हैं। इस एपिसोड में पूसा संस्थान के डॉ. एस.एल. जाट ने किसानों को मक्का की फसल में पोषक तत्व प्रबंधन से संबंधित संपूर्ण जानकारी दी हैं।

मक्का खरीफ मौसम में अनाजी फसलों में उगाई जाने वाली प्रमुख फसल हैं। मक्का विटामिन, खनिज, लवण इत्यादि पौषक तत्वों से भरपूर तो होती हैं इसके साथ ही यह किसानों की आय का एक उत्तम स्त्रोत भी हैं।

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फसल में पोषक तत्व प्रबंधन

सबसे पहले जब आपकी फसल घुटने तक की ऊचांई हो तो आप एक बैग यूरिया प्रति एकड़ की दर से दें l यह यूरिया पौधे के पास डालेंl। इससे यह यूरिया ज्यादा से ज्यादा पौधों में काम आयेगा। अगले चरण में  जब आप यूरिया की दूसरी डोज दे तो उस समय आप गुढ़ाई भी कर  सकते हैं। आप गुढ़ाई  यूरिया देने से पहले भी कर  सकते है और यूरिया देने के बाद भी। यदि मक्के की फसल में जो 20-30 दिन की हैं या उससे ज्यादा दिन की  हैं तो आप उसमें से खरपतवार निकाल सकते हैं।

रासायनिक उपाय़ों से खरपतवार को करें नष्ट

इसके अलावा कुछ ऐसे खरपतवारनाशी भी आये हैं जो मक्का की खड़ी फसल में  छिड़काव कर सकते हैं । इनमें प्रमुख हैं, टैंबोट्रिन जो लॉरिफ के नाम से जाता हैं इसको आप 115 मिलीलीटर प्रति 200 लीटर पानी में प्रति एकड़ की दर से आप खड़ी मक्का में 20-30 दिन की या 30-40 दिन की मक्का फसल में छिड़काव कर सकते हैं। 

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इसके साथ ही एक दूसरा उपाय टोपरामेजोन हैं जिसको टिंजर के नाम से जाना जाता हैं। इसको आप 30 मिली लीटर प्रति 200 लीटर पानी में प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।

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जिन क्षेत्रों में जलभराव की समस्या होती हैं उन क्षेत्रों में मक्का आप खड़ी फसल में मिट्टी चलाते हैं तो यह लाभदायक होता हैं। इसके बहुत लाभ होते हैं जेसे मिट्टी चलाने से जो नालियां होती हैं यह आपका जल संरक्षण भी करती हैं दूसरा जल निकास का काम भी करती हैं।

मक्के की फसल में फॉल आर्मी वर्म का प्रकोप

इस समय़ मक्के में फॉल आर्मी वर्म है। इसमें सबसे पहले आपको यह पहचानना हैं कि आपके खेत में यह आया भी हैं कि नहीं ? उसके के लिए आपको खेत के अंदर जाना होगा । बाहर से आपको आपकी फसल बिल्कुल साफ और अच्छी नजर आयेगी।

परन्तु यह कीड़ा आपको पौधे के केंद्र भाग में दिखाई देता हैं। यह कीड़ा देखने में बहुत छोटा होता हैं कभी-कभी हम इसको देख भी नही पाते हैं। लेकिन यह शुरू आत में पहले पौधों को खुरचते हैं जिससे पत्ती में सफेद धारियां बन जाती हैं। इन पौधों को इनकी प्रारंभिक अवस्था में नष्ट करना आसान होता हैं। इसलिए शुरूआत में ही इसको नष्ट कर देना चाहिए। अगर यह कीड़ा ज्यादा पत्तियो को खाने लगता हैं, तो पत्ती में यह छेद कर देता हैं। इस कीड़े का जीवन चक्र 15-20 दिन का होता हैं।

यह कीड़ा जो भी नई पत्ती होती हैं उनको खाता हैं। यह पुरानी पत्तियों को नही खाता हैं। इस कीट पर प्रबंधन के लिए आपको पहले देखना होगा कि यह कीट आपके पूरे खेत के अंदर हैं या नही अगर हैं तो आप पूरे खेत के अंदर पेस्टिसाइड का छिड़काव करें। अगर यह कीट कुछ जगह है तो सर्जिकल के रूप में जैसे जिस-जिस जगह पौधे के अंदर कीट सिर्फ वही पेस्टिसाइड का छिड़काव करें।

इस कीट के नियंत्रण के लिए आप जब भी आपकी फसल को बोते हैं तब उसके अंदर आप फेरोमोन ट्रैप (pheromone trap) को प्रति एकड़ की दर से लगा सकते हैं।

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जैविक नियंत्रण

मक्के की फसल में इस कीट को जैविक प्रबंधन भी कर सकतें हैं। नीम सीड कर्नल एक्सट्रैक्ट (1500 पीपीएम) एक जैविक कीट पर प्रबंधन पाने का  जैविक उपाय हैं। इसको 10 मिली लीटर प्रति लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करते हैं।

रासायनिक कीटनाशक से नियंत्रण

मक्के की फसल में लगने वाले कीट रासायनिक उपायों से भी प्रबंधन कर सकते हैं। इसमें आप इमामेक्टिन बेन्जोएट का उपयोग कर सकते हैं। इस कीटनाशी को आप  0-4 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें। इसके अलावा क्लोरनट्रानीलीप्रोल हैं जिसका आप 0-4 एमएल प्रति लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें। इसके साथ ही आप स्पाइनटोरम कीटनाशी का भी उपयोग कर सकतें हैं। इसको आप 0-5 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करें।

आप इन तीनो में से कोई भी एक कीटनाशी, उसको आप बार-बार बदल के उपयोग करें। जैसे आपने पौधे में कीट की प्रारंभिक अवस्था में इमामेक्टिन बेन्जोएट का उपयोग किया हैं तो आप दूसरे छिड़काव में इसको बदलकर क्लोरनट्रानीलीप्रोल का उपयोग करें। अगर अभी भी कीटनाशक की जरूरत होती हैं तो आप तीसरे छिड़काव में स्पाइनटोरम का उपयोग करें।

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