राष्ट्रीय कृषि समाचार (National Agriculture News)

संस्कृति और आस्था का संगम प्रयागराज महाकुम्भ

लेखक: मधुकर पवार, मो.: 8770218785

15 जनवरी 2025, नई दिल्ली: संस्कृति और आस्था का संगम प्रयागराज महाकुम्भ – इन दिनों समूचे उत्तर भारत में कड़ाके की ठंड पड़ रही है और ऐसे मौसम में प्रयागराज में महाकुम्भ, 13 जनवरी से शुरू हो रहा है। करीब डेढ़ माह तक चलने वाले इस महाकुम्भ में 40 से 50 करोड़ श्रद्धालुओं के प्रयागराज में आकर मां गंगा, यमुना और सरस्वती नदी के पवित्र जल में डुबकी लगाने की सम्भावना व्यक्त की जा रही है। उत्तरप्रदेश सरकार ने महाकुम्भ के आयोजन को लेकर बड़े पैमाने पर तैयारियां की हैं ताकि कोई भी चूक न हो और विश्व के सबसे बड़े धार्मिक समागम का निर्विघ्न समापन हो। साधु – संतों का प्रयागराज आने का सिलसिला तो पिछले महीने दिसम्बर माह के अंतिम सप्ताह से ही शुरू हो गया था। प्रयागराज में हो रहे इस महाकुम्भ के लिए करीब 4 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सभी मूलभूत व्यवस्थाएं उपलब्ध कराई गई हैं।

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भारत में नदियों का धार्मिक और आध्यात्मिक रूप से विशेष महत्व है। प्राय: सभी प्रमुख धार्मिक शहर नदी के किनारे ही बसे हैं। परंपरागत तौर पर नदियों का मिलन बेहद पवित्र माना जाता है। इस दृष्टि से प्रयागराज का महत्व और बढ़ जाता है क्योंकि यहां गंगा, यमुना और सरस्वती का अद्भुत मिलन हुआ है। पौराणिक कथाओं के अनुसार समुद्र मंथन के बाद भगवान विष्णु अमृत से भरा कुंभ (बर्तन) लेकर जा रहे थे तभी असुरों से छीना-झपटी में अमृत की चार बूंदें पृथ्वी पर गिर गई थीं। ये बूंदें प्रयाग, हरिद्वार, नासिक और उज्जैन में गिरीं। जहां-जहां अमृत की बूंदें गिरीं, वहां तीन-तीन साल के अंतराल पर बारी-बारी से कुंभ मेले का आयोजन होता है। इन तीर्थों में भी संगम को तीर्थराज के नाम से जाना जाता है। संगम में हर बारह साल पर कुंभ का आयोजन होता है। लेकिन इस साल का यह पुनीत अवसर 144 वर्षों बाद आया है। प्रत्येक बारह साल बाद यहां प्रयागराज में कुम्भ ही आयोजित होता है लेकिन इस बार यह महाकुम्भ के रूप में आयोजित हो रहा है। संचार क्रांति और सोशल मीडिया के प्रभावी विस्तार ने इस बार के विश्व के सबसे बड़े समागम के प्रति आम लोगों में विशेषकर हिंदुओं के मन में महाकुम्भ को लेकर एक नई चेतना जाग्रत कर दी है।

प्रयागराज में आयोजित यह महाकुंभ आध्यात्मिकता और नवीनता का अनूठा संगम देखने को मिल रहा है जहां अत्याधुनिक डिजिटल प्रगति के साथ सनातन धर्म की पवित्र परम्पराएं भी नजर आ रही हैं। दुनिया भर के लाखों-करोड़ों भक्तों की आस्था का केंद्र बने महाकुम्भ में श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए आधुनिक तकनीक अपनाई जा रही हैं।

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इन दिनों सायबर अपराधों की संख्या में अत्यधिक वृद्धि हो रही है। देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं को साइबर अपराधों से बचाने और सुरक्षा के लिए विशेष व्यवस्था की गई है। महाकुम्भ के दौरान सायबर सुरक्षा और सहायता के लिए हेल्पलाइन नंबर 1920 शुरू की गई है। सायबर अपराधियों ने आधिकारिक वेबसाईट से मिलती जुलती वेबसाईटें बना ली हैं जिनके माध्यम से श्रद्धालु ठगी का शिकार हो सकते हैं। इसलिए जो श्रद्धालु वेबसाईट के जरिए होटल आदि की बुकिंग करवाना चाहते हैं वे आधिकारिक वेबसाईट का ही उपयोग कर बुकिंग करवाएं। वैसे उत्तरप्रदेश पुलिस ने वेबसाईट http://chatbot. kumbh.up.gov.in जारी की है जिसका उपयोग कर होटल, काटेज, गेस्ट हाऊस और अन्य सुविधाओं की बुकिंग कर सकते हैं। इसके अलावा वाट्सएप नम्बर 8887847153 पर कुम्भ सहायक की मदद से भी अपनी यात्रा को आसान बना सकते हैं।

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महाकुम्भ के दौरान नदी में पानी के अंदर ड्रोन चौबीसों घंटे निगरानी करेंगे और सभी गतिविधियों पर नजऱ रखेंगे। विशेष रूप से ये ड्रोन उन्नत तकनीक से लैस हैं इसलिए लक्ष्यों की सटीक ट्रैकिंग सुनिश्चित करते हुए कम रोशनी में भी प्रभावी ढंग से काम कर सकते हैं।
महाकुम्भ में देश-विदेश के 45 से 50 करोड़ श्रद्धालुओं के आने की सम्भावना के मद्देनजर उत्तरप्रदेश के पुलिस विभाग के सहयोग से हाई-टेक खोया-पाया पंजीकरण केंद्र स्थापित किए गए हैं। खोए हुए तीर्थयात्रियों को उनके परिवारों से मिलाने में ये केंद्र महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। महाकुंभ ग्राम में ठहरने के लिए ऑनलाइन बुकिंग 10 जनवरी से शुरू हो गई है जो 28 फरवरी तक खुली रहेगी।

उत्तरप्रदेश सरकार ने मेला क्षेत्र में 25000 डस्टबिन की व्यवस्था की है और प्रत्येक 100 मीटर पर एक डस्टबिन रखा गया है। नदी के घाटों पर श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए 5 हजार कुम्भ सेवा मित्रों की सेवाएं उपलब्ध हैं। श्रद्धालुओं के इलाज के लिये 100 बिस्तरों वाले अस्पताल के अलावा आकस्मिक चिकित्सा के लिये 10 अन्य अस्पताल भी बनाए गए हैं। इसके अलाव 6000 बिस्तर, 125 एम्बुलेंस, 7 रिवर एम्बुलेंस और एयर एम्बुलेंस भी चौबीसों घंटे तैनात रहेंगी। मेला क्षेत्र में 50 फायर स्टेशन और इतने ही अग्निशमन निगरानी केंद्र स्थापित किए गए हैं।
प्रयागराज जंक्शन पर 22000 तथा अन्य 9 रेलवे स्टेशनों पर करीब 1 लाख लोगों के ठहरने की व्यवस्था तैयार की गई है। महाकुम्भ में आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा के लिये करीब डेढ़ लाख शौचालयों का निर्माण कराया गया है।

13 जनवरी को पौष पूर्णिमा के दिन स्नान के साथ महाकुम्भ की शुरूआत होगी। 14 जनवरी को मकर संक्रांति के अवसर पर भी स्नान का विशेष महत्व है और आने वाले श्रद्धालु पवित्र नदियों के संगम पर स्नान कर पुण्य कमाएंगे। मौनी अमावस्या 29 जनवरी को है और इसी दिन महाकुम्भ का तीसरा प्रमुख स्नान भी किया जाएगा। महाकुम्भ का चौथा प्रमुख स्नान 3 फरवरी को बसंत पंचमी के अवसर पर होगा जबकि पांचवा प्रमुख स्नान माघ पूर्णिमा के दिन 12 फरवरी को है। महाकुम्भ का छटा और अंतिम प्रमुख स्नान महाशिवरात्रि के पर्व पर 26 फरवरी को होगा तथा इसी स्नान के साथ ही महाकुम्भ का महापर्व भी समाप्त हो जाएगा । कई मायनों में प्रयागराज महाकुंभ एक ऐसी मिशाल कायम करेगा जिसकी अविस्मरणीय यादें लम्बे समय तक श्रद्धालुओं के दिलो-दिमाग पर अंकित रहेगी।

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