प्रयागराज महाकुम्भ भगदड़ त्रासदी: देर आए, दुरूस्त आए
03 फ़रवरी 2025, नई दिल्ली: प्रयागराज महाकुम्भ भगदड़ त्रासदी: देर आए, दुरूस्त आए – पिछले महीने 13 जनवरी से शुरू हुए विश्व के सबसे बड़े आध्यात्मिक और सांस्कृतिक समागम में उस समय एक ऐसा दाग लग गया जब मौनी अमावस्या के अवसर पर अमृत स्नान शुरू होने से पहले ही मची भगदड़ में 30 श्रद्धालुओं की दर्दनाक मौत हो गई। 28 और 29 जनवरी की मध्यरात्रि को श्रद्धालुओं की अनियंत्रित भारी भीड़ में अचानक भगदड़ मच जाने से पवित्र नदी के संगम तट पर कोहराम मच गया और अफरा-तफरी के माहौल में बेहद दु:खद हादसा हो गया। उत्तरप्रदेश सरकार और मेला प्रशासन द्वारा सुरक्षा के किये गए सब दावे हवा हो गए जब निगरानी के लिये लगाए गये कैमरे, बड़ी संख्या में तैनात पुलिस और सुरक्षाकर्मी भी इस हादसे को रोक पाने में नाकामयाब रहे। हालांकि महाकुंभ मेला क्षेत्र में हुई इस दर्दनाक भगदड़ में उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मृतकों के परिवारों को 25-25 लाख रुपए देने की घोषणा की है। पीडि़तों के लिए राहत राशि और हादसे की जांच के लिए आयोग गठित कर दिया है तथा आयोग ने जांच भी शुरू कर दी है।
जब मौनी अमावस्या के दो-तीन दिन पहले से ही श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जमा होने लगी थी और एक दिन पहले 28 जनवरी को मेला प्रशासन श्रद्धालुओं की संख्या कई करोड़ से अधिक होने का दावा कर रहा था तब भी यही कहा जा रहा था कि दस करोड़ श्रद्धालुओं के आने पर भी सभी आसानी से स्नान कर सकेंगे। लेकिन अमृत स्नान शुरू होने से पहले मध्यरात्रि को ही श्रद्धालुओं की भीड़ डुबकी लगाने के लिये संगम की ओर जाने लगी तब सुरक्षा/पुलिस कर्मी सचेत क्यों नहीं हुए ? जब एक दिन पहले ही श्रद्धालुओं का जमावड़ा होना शुरू हो गया था तब इतने बड़े क्षेत्र में फैले महाकुम्भ में श्रद्धालुओं को अलग-अलग स्थानों पर एकत्रित क्यों नहीं किया गया ? उन्हें सीमित क्षेत्र में एकत्रित क्यों होने दिया गया ?
मौनी अमावस्या पर मची भगदड़ और दु:खद मौतों के बाद प्रशासन ने जो सख्त कदम उठाए हैं, यदि पहले ही इस पर अमल कर लिया होता तो दु:खद दुर्घटना को होने से बचाया जा सकता था। प्रशासन ने अब मेला क्षेत्र में पांच बड़े बदलाव किए हैं। पूरे मेला क्षेत्र को नो-व्हीकल जोन घोषित कर दिया गया है, जिससे किसी भी प्रकार के वाहन को अंदर जाने की मनाही है। वीवीआईपी पास निरस्त कर दिये गए हैं तथा किसी भी विशेष पास के जरिए वाहनों को प्रवेश नहीं मिलेगा। श्रद्धालुओं के सुगम आवागमन के लिए एक तरफा रास्ते की व्यवस्था की गई है जिसके तहत श्रद्धालु एक रास्ते से स्नान करने जा सकेंगे तथा दूसरे रास्ते से बाहर आ सकेंगे। प्रयागराज से सटे जिलों से आने वाले वाहनों को जिले की सीमा पर ही रोका जा रहा है। शहर में चार पहिया वाहनों को अंदर आने पर पूरी तरह से रोक रहेगी।
भगदड़ की घटना के बाद प्रशासन अब लापरवाही बरतने के मूड में नहीं हैं, इसलिए ये सख्त नियम लागू किए गए हैं। प्रशासन का कहना है कि इन बदलावों का उद्देश्य कुंभ क्षेत्र में भीड़ को नियंत्रित करना और श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना है।
प्रबल आस्था के चलते ही कष्ट सहते हुए देश भर के सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों से भी श्रद्धालुओं की भारी भीड़ केवल पवित्र मां गंगा के जल में डुबकी लगाना चाहती है। उन्हें न तो मोबाईल पर फोटो खिंचवानी है और न ही संगम पर सेल्फी लेना है। उनके साथ ज्यादती न हो, इस बात का भी ध्यान रखना होगा। महाकुम्भ का लगभग आधा समय बीत गया है। सर्दी का असर भी कम होने लगा है। उम्मीद की जानी चाहिये कि 3 फरवरी को बसंत पंचमी के साथ अन्य दो अमृत स्नान बिना किसी व्यवधान के सम्पन्न हो जाएंगे। मेला प्रशासन ने मौनी अमावस्या पर हुई दु:खद दुर्घटना के बाद जो सख्त कदम उठाए हैं, श्रद्धालुओं को प्रशासन के निर्देशों का पालन करना होगा। प्रशासन और श्रद्धालुओं की आपसी समझ से ही महाकुम्भ को किसी अनहोनी घटना से बचाया जा सकता है।
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